Suraksha Chakra Banam Prem Promilla Qazi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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Suraksha Chakra Banam Prem

सुरक्षा चक्र बनाम प्रेम !

पीहू उस छोटी सी दीवार से कूदने की कोशिश कर रही थी, प्रफ्फुल हांफता हुआ आया और अपने नन्हे नन्हे हाथो से उसे रुकने का इशारा करते हुए कुछ पत्थर इक्कट्ठे करने लगा. उन्हें अच्छे से जमा कर उसने पीहू का हाथ पकड़, उसकी फ्रॉक को ठीक करते हुए, उसको नीचे उतार दिया, नीचे उतर कर उसने प्रफ्फुल की ओर मुस्कुरा कर देखा और एक पीली तितली के पीछे भाग ली ! वो वहां मुस्कुराता हुआ उसे जाते देखता रहा !पीहू ने अपने आस पास एक सुरक्षा चक्र सा महसूस किया . वो छह साल की थी और प्रफ्फुल आठ साल का !

माँ ने बताया कि उसके लिए ताजमहल देखने जाने से ज़रूरी है अपनी परीक्षा देना, सो मन मार कर पीहू उन के साथ ना जा पायी . बुझे मन से उसने प्रफ्फुल से कहा “ मेरे लिए क्या लाओगे वहां से?” वो बस झेंपी सी मुस्कान से उसे देखता रहा . जब वो स्कूल से वापिस आई तो उसने टेबल पर एक सुंदर सा डिब्बा देखा, जो प्रफ्फुल ने उसे शर्माते हुए थमा दिया . डिब्बे में उसके लिए एक सुंदर सी माला और एअररिंग्स थे! वो खुश हो गयी . शाम को जब पापा घर लौटे तो प्रफ्फुल उनके पास जाकर बोला –‘अंकल, पीहू के लिए गिफ्ट ३० रूपये का आया , वो दे दीजिये !’ पूरा घर हँसते हँसते लौट-पौट हो गया. उसने गुस्से से प्रफ्फुल को देखा लेकिन फिर भी वो मुस्कुराता रहा . वो दस साल कि थी और यह बारह का !

एक दिन उसके कमरे में पीहू ने उसे अचानक एक किताब छुपाते हुए देखा . काफी जोर ज़बरदस्ती के बाद उससे किताब छीन कर वो एक पन्ना जोर-जोर से पढने लगी- “ राहुल ने ज़बरदस्ती सारा को अपने सीने से लगाते हुए उसके होंठो पर अपने होंठ ..... “ उसने घबरा कर किताब दूर फेंक दी और उसकी ओर नफरत से देखा . उसने आंखे झुकाते हुए अपने कंधे उचका दिए. उसने गुस्से से उस पन्ने के टुकड़े टुकड़े कर दिए. जब वो चला गया तो उसने बड़े जतन से पन्ने को जोड़ कर उस को दोबारा पढ़ा वो गिल्ट से भर गयी और उसके गाल तमतमा गए!
वह 14 साल की थी और वह सोलह का !

उस दिन जब वह प्रफ्फुल के घर पहुंचे तो बहुत देर हो गयी थी , लेकिन पीहू ने जिद करके कहा कि वो नयी रिलीज़ हुई पिक्चर देखना चाहती है . प्रफ्फुल ने तुरंत से टिकट्स का इंतज़ाम किया और अपने दोस्त और उसकी बहन के साथ चारो पिक्चर देखने पहुंचे. वो तीनो सिनेमा देखते रहे और वह पीहू को!

उसे टीवी पर रखे उसके पापा मम्मी की फोटो को देखते वो धीरे से उसके कान में बुदबुदाया – “हमारी शादी के बाद यहाँ हम दोनों की फोटो रखेंगे’ उसने चौंक कर उसे देखा और वो उसकी आँखों में आंखे डाल मुस्कुराता रहा, और एक शरारती हंसी हँसता हुआ कमरे से बाहर चला गया! वो हैरान सी उसे देखती रही.

दुसरे दिन जब वो वापिस जाने को थे तो उसने अपने पापा को परेशान देखा. अच्छी खासी कार स्टार्ट ही नही हो रही थी. रास्ता अच्छा नहीं था, और देर हो रही थी. तुरंत मैकेनिक को बुलाया गया और दो मिनट में कार स्टार्ट हो गयी, कोई तार कट गया था. वो दूर खड़ा निराशा से सर हिला रहा था और यह खिलखिला रही थी. उसे पता चल गया था कि यह किया किसने और क्यों था! गाड़ी निकलते ही अचानक उसे उदासी ने घेर लिया. अचानक उसे लगा कि वो बहुत अकेली हो गयी है. एक शरारती मुस्कान और गहरी आंखे उसका पीछा करती रही और जाने क्यों उसकी आंखे आंसुओ से भर गयी! वो 16 कि थी और वो 18 का !

छत पर दोनों परिवार मस्ती कर रहे थे, जोरो-शोरो से अन्ताक्षरी का सेशन चल रहा था. पीहू चुप –चाप आकाश की ओर जाने क्या देख रही थी कि अचानक एक तारा टूटा और आसमान पर एक लम्बी सी रौशनी की रेखा खींचता चला गया . उसने जाने क्या मांगना चाहा लेकिन वो बस स्तब्ध सी उसे देखती रह गयी .बाकि बच्चो कि नज़र भी उधर गयी और वो चिल्लाने लगे

“इस बार मुझे 90% मार्क्स चाहिए” यह उसके भाई कि आवाज़ थी

‘मुझे साइकिल चाहिए’ दूसरी आवाज़ ....

‘बेस्ट एथलीट अवार्ड’ उसकी बहन की आवाज़ ..........

अचानक उसके पास से एक धीमी आवाज़ ने उसे चोंका दिया !

‘पीहू .....’ यह प्रफ्फुल कि आवाज़ थी, मानो दिल की गहराइयो से निकली हो ! वो काँप गयी. वो दम साधे उसकी और टकटकी लगा कर देखती रही. फिर से उसे लगा कि एक सुरक्षा चक्र उसके इर्द –गिर्द खिच गया हो और अब उसका कोई कुछ नही बिगाड़ सकता. वो 18 साल की थी और यह 20 का !

बहस ज़ारी थी. ना कहने का कोई कारण नहीं था, दोनों परिवार एक दुसरे को आखिर बरसो से जानते थे !उन्हें यह रिश्ता स्वीकार कर लेना चाहिए और इस निश्चय के साथ यह पीहू को बता दिया गया. उसके नाम ने उसे फिर गहरी सुरक्षा, गर्माहट से भर दिया. पर बीच में कितने साल निकल गए, इसीलिए उसने उससे एक बार मिल कर हां कहने की सोची . दोनों जब मिले तो जाने क्यों वो उसके मुंह से तीन जादुई शब्द सुनने को बेताब थी , पर जाने क्यों उसने वो कहा ही नहीं ! वो परेशां हो उठी .

“मुझ से शादी करोगी ?’

‘घर वालो को तय करने देते है यह सब’ वो दुविधा में उलझा उसे देखता रहा .

‘मगर शादी हमने करनी है’

‘लेकिन मै चाहती हूँ कि यह फैसला घर वाले ही करे’

और दोनों लौट आये.

दोनों असमंजस में थे ! घर पर दोनों से पुछा गया. प्रफ्फुल ने सर हिला दिया और पीहू चुप रही. इसे हां मान कर उसकी माँ ने उसे सीने से लगा लिया. उसके हाथो में अपने हाथो से दो सोने की चूड़ियाँ उतार कर उसकी कलाई में डाल दी. दोनों का रिश्ता अनोफिश्ली तय हो गया था. सगाई की तारिख तय कर सब को सूचित कर दिया गया .

घर के बड़े बुड्डे यूँ तो शांत रहते थे लेकिन शायद शादी ब्याह में अपनी महत्ता जताना उनका एक अस्त्र होता है ! सो पीहू और प्रफ्फुल के जीवन में यह वार दादा जी की ओर से हुआ . उन्होंने जाने क्या क्या कारण दे इस रिश्ते को ही नकार दिया ! सो रिश्ता टूट गया. उस तरफ यही सन्देश गया कि पीहू ने हां नहीं की ! किसी को भी इस बात पर विश्वास ना हुआ लेकिन अब हो क्या सकता था! सब पहले जैसा ही नोर्मल हो गया लेकिन पीहू ?

अचानक सालो बाद दोनों फिर मिले. दोनों अपनी अपनी जिंदगी में शायद खुश थे . कुछ पल वह उसे देख मुस्कुराया और फिर उसे अपना सुरक्षा चक्र याद आया . अचानक एक तारा टूटा और दोनों की निगाह आकाश की तरफ एक साथ उठी ! एक उदासी भरी मुस्कुराहट के साथ दोनों अपने अपने जीवन की तरफ पलट गए.

वह जाने कितने साल का था और यह ना मालूम कितने की !

लेकिन दोनों अब बच्चे तो हरगिज़ नहीं थे !

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