उजाले की ओर –संस्मरण Pranava Bharti द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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उजाले की ओर –संस्मरण

स्नेहिल नमस्कार प्यारे दोस्तों

जीवन चलने का नाम

चलते रहो सुबहोशाम

नई उम्र के योद्धाओं के लिए...

पिछले एक महीने में कई क्लास, बोर्ड और प्रतियोगी परीक्षाओं के रिजल्ट्स आए हैं।

आपके परिवार और आसपास के नई उम्र के सभी योद्धाओं ने मेहनत में कसर नहीं छोड़ी होगी। उन्होंने रिजल्ट्स से पहले की धकधक भी महसूस की होगी। फिर भी कुछ के सामने असफता आई होंगी।

हमें यह बात समझनी व समझानी जरूरी है कि जीवन के हर मोड पर परीक्षा हैं और हैं उनके परिणाम! रिजल्ट्स तो रिजल्ट्स हैं। मीठे भी और खट्टे भी! मीठे हैं तो बढ़िया, फीके रहे तो हमें उनको दिल पर नहीं लेना है।

जीवन हर पल परीक्षा ही तो लेता है। अभी जीवन में न जाने कितनी परीक्षाएं बाकी हैं।

रिजेक्शन, क़र्ज़, शट-डाउन्स, यहां तक कि डिप्रेशन ! और जीवन की ऐसी किसी भी परीक्षा में, इम्तिहान में कोर्स की कोई किताब काम नहीं आती है।

क्योंकि ये सब ज़िंदगी के इम्तिहान हैं।

हमें यह याद रखना होगा कि हम हमेशा अपनी परीक्षा नहीं चुन सकते। ज़िंदगी ख़ुद हम सबका एग्जाम-शेड्यूल यानि परीक्षाओं को तय करती है।

हम  सिर्फ़ यह चुन सकते हैं कि हम कैसे उन परीक्षाओं का सामना करते हैं?

सब लोग कड़ी मेहनत से गुज़रे हैं। हमेशा मेहनत के बाद ठीक से रिलैक्स करके, विवेकऔर ऊर्जा का दामन पकडकर फिर से एक नए संघर्ष को करने के लिए तैयार हो जाएं, अगली परीक्षा के लिए।

यह याद रखते हुए, कि हमारे जीवन में जीतने के हजारों मौक़े आते रहेंगे। और जब असली जीत हाथ लगेगी तब इन परीक्षाओं के रिपोर्ट कार्ड्स सिर्फ एक मेमोरी बन कर रह जाएँगे।

अतः हमारे जो भी परिणाम हुए हों, अब हमें आगे चलना है।

सभी मित्रों को भविष्य के लिए स्नेहिल शुभकामनाएं!!

आपकी मित्र

डा. प्रणव भारती