फ़ूड शॉर्टेज ABHAY SINGH द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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फ़ूड शॉर्टेज

फ़ूड शॉर्टेज,
औऱ पीएल 480

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नेहरू पर निशाना साधते हुए कहा, कि उन्होंने खराब गुणवत्ता के खाद्यान्न का आयात किया।

सच यह है कि यह आयात नही था।
यह मुफ्त था।

यूएस एड के द्वारा, मुसीबत के वक्त दी गई मानवीय मदद थी।
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1941 में भारत मे बंगाल में महान अकाल पड़ा। बंगाल के फ़ूड और सिविल सप्लाई मिनिस्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इतना अच्छा प्रबंधन किया कि मात्र तीन लाख निन्यानबे हजार, नौ सौ निन्यानबे लोग मरे।

मंत्री जी स्वयं बच गए। अगर कांग्रेसी मंत्री होता तो वहां 4 लाख लोग मरते।
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बहरहाल भारत मे ऐसे अकालो की लंबी श्रृंखला थी, जिसमे लोगो के मरने का इतिहास रहा है। इसलिए आजादी के बाद पहली पंचवर्षीय योजना कृषि को बूस्ट करने के लिए ही बनी।

मानसूनी बारिश के कारण, जो साल में 10-12 वास्तविक दिनों में ही होती है, उसे रोककर साल भर सिंचाई के लिए बहुद्देशीय बांध बने। इससे खरीफ (बारिश) में ही नही, रबी (ठंड) में भी आप फसलें उगा सकते थे।

तो तमाम नदी घाटी परियोजनाये, जो आप हम यूपीएससी की तैयारी के लिए पढ़ते थे, प्रथम योजना का हिस्सा थी।
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बांध बनने और चौपट कृषि प्रबंधन को सुधारने में कुछ बरस लगते हैं। इस दौर में फूड शॉर्टेज में लोगो को मौत से बचाने के लिए जहां से जो भी अन्न मिला, उसे लाया गया।

अमेरिका की संसद का एक कानून था- पब्लिक लॉ क्रमांक 480,

इसे PL-480 भी कहते हैं।

इसके तहत, अमेरिका अपने देश के सरप्लस उत्पादन को अपने मित्र राष्ट्रों को बेच, सब्सिडाइज या दान कर सकता था।

भारत को यूएस एड के थ्रू, गेहूं फ्री मिला। यद्यपि इसका अमेरिका से उठाने और शिपिंग का खर्च, प्राप्तकर्ता देश को वहन करना था, जो हमने किया।
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फ़ूड प्रोडक्शन भारत में बढ़ा, पर जनसँख्या भी। अकाल दूर नही हुए थे। सन 64 में नेहरू के बाद बने प्रधानमंत्री शास्त्री ने तो देश को एक वक्त उपवास करने का सुझाव दिया। खुद भी उपवास रखते।

प्रधाननमंत्री आवास के लॉन में हल चलाकर, किसानों को "अधिक अन्न उपजाने" का संदेश दिया, जानो मानो किसान ही वह बदमाश आदमी है, जो अन्न अधिक उपजाना नही चाहता। काम कम बकवास ज्यादा का यह क्लासिक एग्जाम्पल है।

आखिर के 12 दिन युद्ध, औऱ उसमे अप्रत्याशित जीत, और फिर मृत्यु ने उनके डिजास्टरस कार्यकाल को गौरव दे दिया।
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बहरहाल इंदिरा युग मे मुकम्मल हरित क्रांति, भोजन के दूसरे स्रोत जैसे श्वेत क्रांति (दूध), गुलाबी क्रांति ( प्रॉन/मछली), सब्सिडाइज खाद, नदी घाटी परियोजनाओं का पूरा होना और नहरों का जाल होने से कृषि पनपी।

बैंक नेशनलाजेशन ने कृषि में महत्वपूर्ण योगदान दिया। गावो तक बैंक पहुचे, कृषि ऋण मिला। मंडी स्ट्रक्चर ने बिकवाली और मूल्य में मदद की। नतीजतन किसान का जीवन स्तर सुधरा औऱ सन 80 आते आते भारत खाद्यान्न में ऐसा आत्मनिर्भर हुआ कि

- सन 2000 आते आते गोदामो में फसल सड़ने लगी।

- और की सन 2021 आते आते मोदी जी दुनिया का पेट भरने का दावा करने लगे।

यहां पाकिस्तान के पास ऐसी दूर दृष्टि नही थी। वह 2008 तक पीएल 480 से गेहूं लाकर खा रहा था।
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एक योगदान अटल का याद किया जाना चाहिए। जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना थी। इसने फसलों की ढुलाई, बिक्री आसान बना दी।

और अब फूड इतना सरप्लस है कि सबसे कम इन्फ्लेशन फ़ूड प्राइज में दर्ज किया जाता है।
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शिवराज के चार कार्यकाल में मध्यप्रदेश ने खास तौर पर कृषि में 10-12 प्रतिशत की वार्षिक ग्रोथ हासिल की, और कृषि मंत्री होने के लिए वे आज की भाजपा के बेस्ट कैंडिडेट हैं।

तो मध्यप्रदेश में कृषि के मामले में उनके 16 साल के काम नेहरू के 16 साल के आसपास ठहरते हैं। पर नेहरू ने नींव बनाई, बाकियों ने इमारत..

यह बातें, किसान पुत्र और किसानों के मसीहा टाइप प्राणी रहे शिवराज को अवश्य मालूम होंगी। लेकिन मूर्खो की सभा में इज्जत और सुरक्षा सिर्फ उसे मिलती है..

जो बढ़ चढ़कर बड़ी बड़ी मूर्खतापूर्ण बात करे। झूठ बोले, बकवाद करे, और नेहरू को गाली दे।
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शिवराज, भाजपा के पुराने दौर के, उन कम बचे लीडर्स में है, जिनकी हर समाज मे इज्जत है। उनकी लोकप्रियता उनके डर से नही, मुस्कान से रही है।

और पीएल 480 पर बकवास करके उन्होंने यही बताया है, की जहरीले कुएं से लोटा भर शुद्ध जल मिल पाना भी असम्भव है।।

उन्हें मेरा जोरदार लानत भरा प्रणाम पहुंचे।