हाथी और अंधे व्यक्ति DINESH KUMAR KEER द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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हाथी और अंधे व्यक्ति

एक हाथी और छह अंधे व्यक्ति

एक समय की बात है, एक गांव में छह अंधे व्यक्ति बड़ी खुशी के साथ आपस में मिल - जुल कर रहते थे। एक बार उनके गांव में एक वयस्क हाथी आया। जब उनको इस बात की जानकारी हुई, तो वो भी उस हाथी को देखने गए। लेकिन दिखाई नहीं देने के कारण उन्होंने सोचा, हम भले ही उस हाथी को न देख पाएं लेकिन हाथों से छूकर जरूर महसूस करेंगे कि हाथी कैसा होता है। वहां पहुंच कर उन । सभी ने हाथी को हाथों से छूना शुरू किया। हाथी को छूकर एक अंधा व्यक्ति बोला, हाथी एक स्तम्भ की तरह का होता है, मैं अब इसे अच्छी प्रकार से समझ गया हूं, क्योंकि उसने हाथी के पैरों को छूकर महसूस किया था। तभी दूसरा व्यक्ति हाथी की पूंछ पकड़ कर बोला, "अरे नहीं, हाथी तो सांप की तरह होता है।" तभी तीसरा व्यक्ति भी बोल पड़ा, "अरे नहीं, मैं बताता हूं, यह तो पेड़ के तने की तरह ठोस होता है." "तुम लोग क्या बात कर रहे हो, हाथी तो एक बड़े से छाजले (सूप) की तरह होता है!" चौथे व्यक्ति ने हाथी के कान को छूते हुए सभी को जानकारी साझा की थी। तभी एकाएक पांचवें व्यक्ति ने हाथी के बड़े से पेट पर हाथ रखते हुए सभी को कहा कि, "अरे नहीं - नहीं, यह तो एक ठोस दीवार की तरह होता है. "ऐसा नहीं है, हाथी तो एक कठोर नली की तरह होता है", छठे व्यक्ति ने हाथी को अपने हाथों से छूते हुए अपनी बात रखी। सभी के अलग - अलग मत होने के कारण उन सभी में बहस होने लगी और खुद को सही साबित करने की होड़ सी लग गयी। उनकी बहस तेज होती गई और ऐसा लगने लगा मानो वो आपस में लड़ - झगड़ ही पड़ेंगे। तभी वहां से एक बुद्धिमान व्यक्ति राह से गुजर रहा था। उनकी बहस को देखकर, वह वहां रुका और उनसे पूछा, "क्या बात है, तुम सब आपस में झगड़ा क्यों कर रहे हो?" उन्होंने बहस का कारण बताते हुए, उस बुद्धिमान व्यक्ति को बताया कि हम यह नहीं तय कर पा रहे हैं कि आखिर हाथी दिखता कैसा है। उन्होंने ने उत्तर दिया। फिर एक - एक करके उन्होंने अपनी बात उस व्यक्ति को समझाई । बुद्धिमान व्यक्ति ने सभी की बात शांति से सुनी और बोला, तुम सब अपनी-अपनी जगह सही हो, तुम्हारे वर्णन में अंतर इसलिए है, क्योंकि तुम सबने हाथी के अलग - अलग भागों को छुआ एवं महसूस किया । लेकिन यदि देखा जाए तो तुम लोग अपनी - अपनी जगह ठीक हो, क्योंकि जो कुछ भी तुम सबने बताया, वो सभी बातें हाथी के वर्णन के लिए सही बैठती हैं। अब तक सभी को सारी बातें समझ आ गई थीं। उसके बाद उस बुद्धिमान व्यक्ति ने उन्हें समझाया कि यदि आप सबने जो - जो महसूस किया, उसके अलावा भी यदि आगे कुछ देखते तो आपको हाथी असल में कैसा होता है, समझ आ जाता।

सीख :- कई बार ऐसा होता है कि हम केवल सिक्के का एक ही पहलू देख रहे होते हैं। हमें जरूरत है, सिक्के के दोनों पहलुओं को देखकर समझने की। इसलिए हमें अपनी बात तो रखनी चाहिए पर दूसरों की बात भी सब्र से सुननी चाहिए और कभी भी बेकार की बहस में नहीं पड़ना चाहिए।