फोटोग्राफर सरस्वती Rakesh Rakesh द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • जंगल - भाग 10

    बात खत्म नहीं हुई थी। कौन कहता है, ज़िन्दगी कितने नुकिले सिरे...

  • My Devil Hubby Rebirth Love - 53

    अब आगे रूही ने रूद्र को शर्ट उतारते हुए देखा उसने अपनी नजर र...

  • बैरी पिया.... - 56

    अब तक : सीमा " पता नही मैम... । कई बार बेचारे को मारा पीटा भ...

  • साथिया - 127

    नेहा और आनंद के जाने  के बादसांझ तुरंत अपने कमरे में चली गई...

  • अंगद - एक योद्धा। - 9

    अब अंगद के जीवन में एक नई यात्रा की शुरुआत हुई। यह आरंभ था न...

श्रेणी
शेयर करे

फोटोग्राफर सरस्वती

गांव के स्त्री पुरुष बच्चे बुजुर्ग अपने जरूरी काम छोड़कर एक बार पांच गांव के जिम्मेदार की हवेली पर जरूर जाते थे क्योंकि जमीदार का बेटा हिमांशु कलकाता से फोटोग्राफी सीख कर आया था और अपने साथ साफ-सुथरी खूबसूरत फोटो खींचने वाला कैमरा भी लेकर आया था।

जब वह फोटोग्राफी करता था, तो गांव के लोगों कों बहुत आनंद आता था और जब वह तैयार फोटो देखते थे, तो उन्हें लगता था, कि यह कोई जादूगरी है क्योंकि जीता जागता मनुष्य कागज के टुकड़े में कैसे छाप सकता है।
और जमीदार उसका बेटा बहुत निर्दय दुष्ट थे, दोनों बाप बेटे बस अपने परिवार कि ही फोटो खींचना पसंद करते थे और जब जमीदार की पत्नी बेटी गांव वालों की फोटो खींचने के लिए उनसे कहती थी, तो दोनों बाप बेटे उसका अपमान करके उन्हें वहां से भगा देते थे।

जमीदार का सबसे पुराना नौकर प्रभु अपना फोटो खिंचवाने के लिए इतना पागल रहता था, कि जब हिमांशु कैमरे से फोटो खींचता था, तो जमीदार की हवेली की गाय भैंसों की देखभाल का काम छोड़कर फोटो खिंचवाने की कोशिश करने लग जाता था और जब वह फोटो खिंचवाने की कोशिश करते-करते पकड़ा जाता था, तो जमीदार उसे अपनी मोटी मजबूत छड़ी से बहुत पीटता था, किंतु प्रभु पीटने के बाद भी अपनी इस हरकत से बाज नहीं आता था।

लेकिन अपने पिता प्रभु के शरीर पर जमीदार की छड़ी के निशान देखकर उसकी इकलौती बेटी सरस्वती को बहुत दुख होता था क्योंकि मां की मृत्यु के बाद उसका पिता प्रभु ही उसका सब कुछ था।

भोला भला सीधा-साधा प्रभु जब अपनी बेटी सरस्वती की शादी के बाद घर में अकेले रहने की बात सोचता था, और बच्चों जैसे रोने लगता था, तब सरस्वती उसको समझते हुए कहती थी "मैं जीवन भर शादी नहीं करूंगी और जीवन भर आपके साथ ही रहूंगी।"

जमीदार का जन्मदिन होता है, जमीदार की जन्मदिन की दावत में बहुत बड़े-बड़े खानदानी रईस लोग शामिल होते हैं, किंतु जमीदार और उसका बेटा गांव के एक भी गरीब परिवार को एक मिठाई का टुकड़ा भी खाने के लिए नहीं देते हैं।

हिमांशु पिता की जन्मदिन की दावत का खूब आनंद उठाने के साथ-साथ पिता की जन्मदिन में फोटो ग्राफी भी करता है और जब फोटो तैयार होकर आते हैं तो दोनों बाप बेटे फोटो देखकर आग बबूला हो जाते हैं, क्योंकि जमीदार की जन्मदिन की दावत के सारे फोटो में प्रभु दिखाई दे रहा था क्योंकि जब हिमांशु फोटोग्राफी कर रहा था, तो प्रभु मौका देखकर अपना फोटो खिंचवाने के लिए कैमरे के सामने आ जाता था, एक-एक फोटो में प्रभु को देख कर जमींदार और उसके बेटे को इतना गुस्सा आता है, कि वह उसको नीम के पेड़ से बांधकर इतना पीटते हैं, कि पर वह अधमरा हो जाता है।

अपने पिता की ऐसी हालत देखकर सरस्वती भी बेहोश हो जाती है और जब एक दिन के बाद दोनों बाप बेटी को होश आता है, तो देश आजाद हो चुका था, इसलिए सरस्वती अपने पिता को भी जमीदार की गुलामी से आजाद करवा के अपना गांव छोड़कर पिता के साथ कलकाता चली जाती है।

और कलकाता में सरस्वती को एक फोटोग्राफर की दुकान में नौकरी मिल जाती है और प्रभु को एक सेठ की कोठी में माली की नौकरी मिल जाती है।

एक दिन सरस्वती से उसका मालिक फोटोग्राफर दिवाकर पूछता है? "तुम बाप बेटी अपना गांव छोड़कर कलकाता क्यों आ गए हो।"

तब सरस्वती गांव के जमीदार और उसके बेटे की सारी बात दिवाकर फोटोग्राफर बताती है।

सरस्वती से गांव के जमीदार और उसके बेटे की सारी बात सुनकर फोटोग्राफर दिवाकर कहता है,

"मैं तुम्हें फोटोग्राफी सिखाऊंगा फिर तुम अपने गांव जाकर जमीदार और उसके बेटे के सामने पूरे गांव के लोगों के फोटो खींचना।"

और उसी दिन से दिवाकर फोटोग्राफर सरस्वती को फोटोग्राफी सिखाना शुरू कर देता है।

सरस्वती को फोटोग्राफी सिखाते सिखाते दिवाकर को सरस्वती से प्रेम हो जाता है, लेकिन वह सरस्वती को अपने दिल की बात नहीं कहता है। खुद दिवाकर भी नहीं समझ पा रहा था कि सरस्वती मुझसे भी अच्छी फोटोग्राफर कैसे बन गई है।

सरस्वती फोटोग्राफर बनने के बाद अपने पिता के साथ अपने गांव जाकर गांव की सुंदर जगहों के गांव के एक ही स्त्री पुरुष बुजुर्ग बच्चों के और अपने पिता के फोटो खींचती है।

सरस्वती को फोटोग्राफी करते देख जमीदार उसके बेटा हिमांशु को बहुत गुस्सा आता है, लेकिन वह पुलिस कानून के डर की वजह से उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाते हैं ।

अपने गांव में खींचे फोटो जब सरस्वती दिवाकर फोटोग्राफर को दिखाती है और प्रभु अपने सेठ को दिखाता है, तो दोनों मिलकर सरस्वती के खींचे फोटो की प्रदर्शनी लगा देते हैं।

और सरस्वती के खींचे फोटो की प्रदर्शनी लगने के बाद सरस्वती देखते ही देखते देश दुनिया की बहुत मशहूर फोटोग्राफर बन जाती है।

मशहूर फोटोग्राफर बनने के बाद सरस्वती अपने पिता और दिवाकर के साथ अपने गांव पहुंचती है, तो पूरे गांव के सामने जमीदार उसका बेटा शर्म से सर झुका लेते हैं।

दिवाकर फोटोग्राफर सबके सामने कहता है, "अगर दुनिया की सबसे बड़ी फोटोग्राफर मुझे अगर अपने साथ शादी के काबिल समझती है, तो मैं सरस्वती फोटोग्राफर के साथ शादी करने के लिए तैयार हूं

सरस्वती नजरें झुका कर दिवाकर फोटोग्राफर को हां कह देती है। अ

अपनी बेटी की शादी की खुशी में प्रभु कैमरा लेकर उल्टी-सीधी फोटोग्राफी करने लगता है।