ठान लो अगर मन में,पर्वत की क्या ऊंचाई है
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा कक्षा कक्षा दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षा के परिणामों की घोषणा कर दी गई।सीबीएसई 12वीं बोर्ड में इस वर्ष 87.33% तो 10वीं बोर्ड में 93.12% बच्चे पास हुए।दोनों कक्षाओं का परीक्षा परिणाम पिछले वर्ष की तुलना में कम रहा।इस बार सीबीएसई ने प्रावीण्य सूची के लिए विद्यार्थियों के नाम जारी नहीं किए हैं,क्योंकि बोर्ड का मानना है कि इससे अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा और स्थान की होड़ को बढ़ावा मिलता है।कोरोना महामारी के दौर के बाद होने वाली इस प्रथम पूर्णकालिक अप्रतिबंधित परीक्षा में पास होने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत गिरा है।इसका सीधा सा अर्थ यह है कि कोरोनाकाल में विद्यार्थियों की पढ़ाई -लिखाई और उनके मनोविज्ञान पर गहरा असर हुआ था। इस वर्ष के परिणामों में भी कहीं न कहीं इसकी छाप है।सही मायने में इस वर्ष 12वीं उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों ने तो पहली बार बोर्ड परीक्षा दी, क्योंकि दो वर्ष पूर्व जब वे दसवीं में थे तो मानक वर्ष के आधार पर बिना परीक्षा के ही तब की परिस्थितियों में उनके परिणाम घोषित कर दिए गए थे।सीबीएसई का वर्ष 2020 का परीक्षा परिणाम जहां आखिरी के प्रश्न पत्रों में (कोरोना के कारण जिनकी परीक्षा स्थगित हो गई थी)एवरेज मार्किंग से निर्धारित हुआ था तो 2021 का परीक्षा परिणाम पूरी तरह मानक प्रदर्शन वर्ष के अंकों पर आधारित था।पिछले वर्ष 2022 की परीक्षाएं कोरोना की आवृत्ति की आहट के बीच दो सत्रों में हुई थी।इसमें पहला सत्र पूरी तरह से वस्तुनिष्ठ प्रश्नों पर आधारित था।इस वर्ष 2023 की परीक्षा पूरी तरह पुराने पैटर्न पर अर्थात साल भर की पढ़ाई के आधार पर आयोजित हुई। कक्षाएं भी पूरी तरह से ऑफलाइन मोड में संचालित हुईं। इस सत्र को छोड़ दिया जाए तो पिछले वर्ष के शुरुआती महीने की पढ़ाई भी ब्लेंडेड मोड अर्थात ऑफलाइन- ऑनलाइन दोनों विकल्प के साथ होती रही थी।बोर्ड परीक्षाओं में विद्यार्थियों का प्रदर्शन पूरी तरह से कक्षा दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई पर ही निर्भर नहीं होता है,बल्कि इसके लिए क्रमशः कक्षा नवमी और ग्यारहवीं का पूर्व ज्ञान भी बहुत महत्वपूर्ण है।
ऐसे में प्रत्येक वर्ष बदलते परीक्षा पैटर्न के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होना स्वभाविक ही था तथापि इस वर्ष सीबीएसई ने परीक्षा के स्तर में कोई ढील न देते हुए पूरी तरह से मानक प्रक्रिया के तहत ही परीक्षा का संचालन किया।
बोर्ड परीक्षाओं में बहुत बढ़िया प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थी इस बात के प्रतीक हैं कि लगातार परिश्रम करने और लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने से कोई भी बाधा सफलता का मार्ग नहीं रोक सकती है।ऐसे विद्यार्थियों के लिए वर्तमान प्रसन्नता के क्षण के तत्काल बाद आगे इस प्रदर्शन को जारी रखने की आवश्यकता है:-
रहा अनुकूल परिणाम अगर तो भी न ठहरो,
करके निर्धारित लक्ष्य नया,एक नई राह गढ़ो।
रुको न पा के मंजिल,अभी आगे और बढ़ो,
आसमां की नई ऊंचाई को उठके तुम छू लो।
विद्यार्थियों का इस वर्ष का परीक्षा परिणाम अगर उनकी आशा के अनुकूल नहीं आया है तो इसमें निराशा स्वाभाविक है लेकिन यह सब कुछ खत्म कर देने वाला परिणाम नहीं है। सफलता स्वयं में महत्वपूर्ण है और आगे की प्रतियोगी परीक्षाओं में बोर्ड परीक्षा के प्राप्त अंकों की अधिक निर्णायक भूमिका नहीं रहती है।जो विद्यार्थी आशा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए, उनके लिए अनेक रास्ते हैं।नीट, सीयूईटी,जेईई और इसी तरह विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में प्रवेश की अनेक परीक्षाएं या अन्य प्रवेश माध्यम उन्हें उच्च शिक्षा के लिए समान अवसर उपलब्ध कराती ही हैं।
नहीं मिला फल अनुकूल,तो भी क्या डर है?
तेरे आगे इससे बड़ी सफलता की डगर है।
हो न निराश बढ़ता रह,चलना ही जीवन है,
फिर से उठ खड़ा हो,कर्तव्य यही पावन है।
आज के इस प्रतिस्पर्धी युग में माता-पिता की बच्चों से अपेक्षाएं अत्यधिक होती हैं और विद्यार्थी भी स्वयं अपने सपनों को पूरा करने के लिए अत्यंत परिश्रम करते हैं।ऐसे में सफलता नहीं मिल पाने की स्थिति में भी बच्चों का मनोबल बनाए रखने की जरूरत है। उन पर विश्वास रखने की जरूरत है। इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जब औपचारिक शिक्षा में प्रारंभिक रूप से अधिक सफल नहीं हो पाने वाले व्यक्तियों ने भी आगे चलकर अपनी प्रतिभा,अपने परिश्रम और अपनी लगन से नया इतिहास बनाया है।परीक्षा परिणामों के बाद का समय अभिभावकों के लिए डांटने फटकारने का नहीं होता, तो विद्यार्थियों के लिए भी जल्दी आत्ममंथन करते हुए निराशा से तुरंत बाहर आना होता है।बस आवश्यकता इस बात की है कि यथार्थ का सामना करते हुए अपनी कार्य योजना में आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन किया जाए और ईमानदारी से उस पर अमल किया जाए।यह समय अपनी क्षमता के अनुरूप एवं कैरियर उपयोगी उचित विषय और मार्ग का चयन कर भविष्य की तैयारी के लिए एक बार फिर नए उत्साह से जुट जाने का है।तो विद्यार्थियों हो जाइए तैयार।आपकी मंजिल आपकी प्रतीक्षा कर रही है:-
एक पड़ाव हुआ पार पर,आगे अभी लड़ाई है,
ठान लो अगर मन में,पर्वत की क्या ऊंचाई है।
राह कठिन,रपटीली हो,पर इसमें नहीं बुराई है,
ज़ोर लगा,लक्ष्य निकट,बाकी अभी चढ़ाई है।।
(मेरी मौलिक कविताओं से युक्त आलेख)
डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय