एक मुलाकात कि वर्षात नंदलाल मणि त्रिपाठी द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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एक मुलाकात कि वर्षात



वारणसी उतर प्रदेश का मुख्य शहर एव भारत की पौराणिक धार्मिक नगरी है सुबहे बनारस बहुत मसहूर है सुबह मंदिरों में बजते घंटे घड़ियाल और वेद मंत्रों की ऋचाओं से पूरा शहर अपनी विशेष पहचान को हर सूर्योदय के साथ परिभाषित करता है ।।वारणसी शहर के तेज सिंह एक प्रतिष्ठित और मानिंद व्यक्ति थे शहर के अनेको सामाजिक और राजनीतिक संगठनों से उनका संबंध था जन कल्याण और वारणसी के विकास के लिये उनका समर्पण लोगो की जुबान पर था तेज सिंह का अपना साड़ी का अच्छा कारोबार था उनकी वारणसी की साड़ियां विदेश में भी खूब प्रचलित थी
तेज सिंह की कुल तीन संताने थी दो बेटे और एक बेटी बेटी बेटो की परिवश पर तेज सिंह खासा ध्यान देते बेटी बैशाली भाईयों बैभव और वैष्णव की भी लाड़िली थी सबसे छोटी होने के कारण उसे सबका लाड़ प्यार मिलता बैभव और वैष्णव वारणसी के सेंट जान स्कूल की मढौली शाखा में पढ़ रहे थे तो बहन वैशाली केंद्रीय विद्यालय बाराणसी हिन्दू विश्वविद्यालय कैम्पस में तेज सिंह की पत्नी ऋचा पढ़ी लिखी कुशल गृहणी और धर्म भीरू थी पति के व्यवसाय में तो हाथ बटाती ही बच्चों की देखभाल पर भी खासा ध्यान देती वैशाली जब तक स्कूल बस से स्कूल जाने लायक थी स्कूल बस से ही स्कूल जाती जब उसने मैट्रिक की परीक्षा पास कर लिया तो तेज सिंह ने उसे स्कूटी उसके जन्म दिन को उपहार में दिया पिता से जन्म दिन पर प्राप्त उपहार उसके लिये बहुत महत्वपूर्ण और जीवन की अनमोल विरासत थी वह स्कूटी से ही स्कूल कोचिंग या कही भी जाना रहता जाती भाई बैभव और वैष्णव बस से ही स्कूल जाते कोचिंग ट्यूशन के लिये सायकिल तेज सिंह ने दे रखी थी कभी कभी तेज सिंह के दोनों बेटे कहते शिकायत लहज़े में पिता जी छुटकी को हम लांगो से ज्यादा प्यार करते है तभी तो उसको स्कूटी दिया है और हम लांगो को साइकिल तेज सिंह कहते जाने दो तुम दोनों की एक ही तो लाड़िली है तुम लांगो के यहां उसका रौब नही रहेगा तो और कहा रहेगा बैभव और वैष्णव को भी लगता कि वैशाली को जो भी मिले कम है दोनों का बस चलता तो पूरी दुनियां उंसे उपहार में दे देते हंसता ममुस्कुराता आदर्श सांस्कारिक परिवार था ।।बच्चे समय के साथ बढ़ते पढ़ते जा रहे थे बैभव इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद ही मेडिकल प्रवेश की परीक्षा में अच्छी मेरिट पाकर दिल्ली आयुर्विज्ञान संस्थान में मेडिकल की पढ़ाई के लिये चला गया तेज सिंह अपने एक बेटे को अपने पुश्तैनी व्यवसास से जोड़े रखना चाहते थे अतः उंसे कामर्स की शिक्षा दिला रहे थे वैष्णव बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से कॉमर्स से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद चार्टर्ड अकॉउंटेंट सी ए की पढ़ाई कर रहा था परिवार में सब कुछ तेज सिंह एव ऋचा की योजना के मुताबिक चल रहा था बैशाली इंटरमीडिएट में पढ़ रही थी कहते है भाग्य और समय एका एक करवट बदलते है।।एक दिन बैशाली सुबह स्कूल गयी और जब स्कूल छूटने के बाद घर को लौटने के लिये स्कूटी स्टार्ट करने लगी वह जल्दी से जल्दी घर पहुचना चाहती थी क्योकि मौसम की नजाकत भयंकर बारिश की दस्तक दे रही थी मगर किस्मत ने तो उसके लिये कुछ और निर्धारित किया था ज्यो वैशाली विद्यालय कैम्पस से निकली कुछ देर चलने के बाद अचानक उसकी स्कूटी बन्द हो गयी उंसे बारिश की आशंका सता रही थी और उसमें स्कूटी एकाएक बन्द होना उसके किशोर मन मे घबराहट और शंका को जन्म दे रहे थे जितनी उसको जानकारी थी उसने स्कूटी को स्टार्ट करने की कोशिश किया और कर ही रही थी लगभाग पंद्रह बीस मिनट हो चुके थे तब तक भयंकर बारिश शुरू हो गयी वैशाली ने किस तरह से स्कूटी को किनारे लगया और सड़क के किनारे बने दुकान के शेड के नीचे खड़ी हुई और मम्मी ऋचा को मोबाइल से फोन करके बताया कि स्कूटी खराब हो गयी है और भयंकर बारिश हो रही है भईया वैष्णव को या पापा की कार लेकर या ड्राइवर भेजने को कहा ऋचा परेशान हो गयी क्योकि पति तेज सिंह व्यवसास के कार्य से शहर से पचास साठ किलोमीटर दूर गए थे और लौटने में रात सात आठ बजने वाले थे और वाष्णेय अपने सी ए कम्पनी के आडिट कार्य से निकट जनपद मिर्जापुर पुर गया था उंसे भी लौटने में विलम्ब होने वाले थे अब ऋचा ने पति तेज सिंह को फोन करके बताया कि बिटिया बारिश में फंस गई है और स्कूटी खराब हो गयी है तेज सिंह ने ऋचा को बताया कि वह वैशाली को जहां थी वही रुकने के लिये बोले वे एक डेढ़ घण्टे में वहां पहुँचकर उंसे पिकअप कर लेंगे ऋचा ने पुनः यही संदेश वैशाली को दिया और बताया कि यदि कोई साधन हायर करके आने को मिलता हो तो जो भी पैसा ले देकर चली आओ बारिश इतनी तेज थी कि वैशाली शेड के नीचे रहने के बाद भी भीग गयी थी और अच्छा खासा भीग चुकी थी उंसे संमझ नही आ रहा था कि क्या करे कैसे पापा तेज सिंह के आने तक इस भयंकर तूफान जौसी बारिस में रुका जा सकता है वह सड़क पर गुजरने वाले कार को रोकने का प्रयास करती मगर कोई सुनता ही नही लेकिन उसने
अपना प्रयास जारी रखा तभी विश्वास की उस पर नज़र पड़ी उसने परेशान लड़की को देख कर अपनी हौंडा सिटी रोक दी और कार में बैठा बोला आ जाइए कहा जाना है मैं आपको छोड़ देता हूँ तेज बारिश के कारण थोड़ी ही दूरी पर खड़े वैशाली को कार में बैठे विश्वास की बाते सुनाई नही दे रही थी विश्वास ने बारिश में कार किनारे शेड जहाँ वैशाली खड़ी थी के पास पार्क करके उतरा और बोला आपको कहां जाना है मैं छोड़ देता हूँ भयंकर बारिश और अजनवी का ऑफर वैशाली को समय समाज और शहर की जानकारी अवश्य थी आधुनिक समाज की युवा पीढ़ी तकनीकी रूप से सबल सक्षम है एव वह अपने हित अहित को समयनुसार समझने परखने में सक्षम है वैशाली ने कहा मैं आपको जनती नही आप हमको जानते नही बारिश कैसे हम आपकी कार में बैठे विश्वास मेरा नाम ही विश्वास है तो अविश्वास का तो कोई प्रश्न ही नही है वैशाली को लगा कि वह परेशान समझकर मजाक कर रहा है उसने कहा ये मिस्टर आपका नाम जो भी हो क्या फर्क पड़ता मगर जहाँ तक विश्वास की बात है तो मेरा मन तुम पर भरोसा करने को नही कहता तब तक विश्वाश ने अपने स्कूल का आई कार्ड दिखाया जो सेंट्रल हिन्दू स्कूल बी एच यू का ही था जहाँ वह स्वयं पढ़ती थी जिस पर नाम लिखा था विश्वास चौहान बैशाली को विश्वाश पर विश्वास हुआ और बोली मेरी स्कूटी खराब है उंसे कहाँ रंखू विश्वास ने तुरंत अपने पिता शहर के सीनियर सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस धर्मबीर सिंह चौहान को फोन किया और अपने फ्रेंड की स्कूटी सुरक्षित रखवाने के लिये निवेदन किया धर्मबीर सिंह चौहान ने तुरंत मातहदो को निर्देश दिया और सीगरा थाने के इंस्पेक्टर स्वयं भयंकर बारिश में आये और वैशाली की स्कूटी को सुरक्षित स्थान पर रखवाया और बोले विश्वास बाबा कोई और जरूरत हो तो बताये विश्वास बोला नही अंकल ये हमारी दोस्त वैशाली है इसकी स्कूटी खराब हो गई है यह मेरे ही स्कूल की स्टूडेंट् है यह बेचारी बारिश में परेशान है मैं इसे घर छोड़ने जा रहा हूँ ।।अब वैशाली को विश्वास हो चुका था कि विश्वास विश्वसनीय है वह उसके ड्राइविंग सीट के बगल सीट पर बैठ गयी मुश्किल से पंद्रह बीस मिनट का रास्ता वैशाली के घर का था लेकिन बारिश के कारण कार धीरे धीरे चल रही थी बीच बीच मे बैशाली विश्वास के बारे में जानकरी के बाबत सवाल करती तो कभी विश्वास दोनों के बीच परिचयात्मक सम्बन्ध अब आपसी विश्वास के आधार पर पहुंच चुके थे कुछ देर बाद विश्वास अपनी हौंडा सिटी से वैशाली को लेकर
उसके घर पहुंचा जहां उसकी माँ बड़ी बेशब्री से बेटी वैशाली का इंतज़ार कर रही थी उसके पहुंचते ही बोली बेटा जल्दी से जा अंदर कपड़े चेंज करो नही तो सर्दी बुखार हो सकता है वैशाली अंदर चली गयी तब तक ऋचा ने बड़े प्यार सम्मान से विश्वास को बैठाया और आभार व्यक्त किया और कूक से बोली बच्चे बुरी तरह भीग गए हैं इनके लिये कुछ गर्म पकौड़े और काफी बनाये कूक पकौड़े और काफी बनाने चली गयी ऋचा ने विश्वास को भी कपड़े चेंज करने के लिए कपड़े दिए और उसके भीगे कपड़ो को फैन के नीचे सूखने के लिये डाल दिया दोनों बातें करने लगें वैशाली कपड़े चेंज करके माँ और विश्वास की कम्पनी जॉइन किया और बोली मम्मी ये विश्वास चौहान है मेरे ही स्कूल में इलेवन में पढ़ता है और इसके पापा शहर के सीनियर सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस धर्मबीर सिंह चौहान है तब तक कूक पकौड़े और काफी लेकर आई बिना किसी तकलुफ के विश्वास ने काफी पीना शुरू किया इसी दौरान ऋचा ने विश्वास से पूछा बेटे तुम लोग रहने वाले कहाँ के हो मतलब पुश्तेनी गांव या शहर कौन सा है विश्वास बोला
मथुरा जी हमारा परिवार मथुरा का रहने वाला है और गांव छाता तहसील में सिरसौल है हम लांगो की खेती बारी है दादा जी आर्मी में कर्नल थे पापा उनकी एकलौते बेटे है मेरी माँम पड़ोस के जनपद मिर्जापुर में जिलाधिकारी है मैं भी एकलौती औलाद हूँ और सेंट्रल हिन्दू स्कूल में वैशाली के साथ ही पढ़ता हूँ इसी वर्ष हम लोग पापा के वारणसी ट्रांसफर होने के कारण आये बारिश को शुरू हुये चार घण्टे हो चुके थे कुछ धीमी भी पढ़ चुकी थी विश्वास बोला मम्मी हम चलते है नही तो मेरी मम्मी मिर्ज़पुर से लौटते ही मुझे ही पूछेंगी नही दिखा तो पापा मिस्टर सीनियर सुपरिंटेंडेंट की खैरियत नही इतना कहते हुये विश्वास उठा और तब तक भीगे कपड़े सुख चुके थे कपड़े चेंज किया और ऋचा के पैर छू कर आशीर्वाद लिया और वैशाली से हाय बोला ज्यो ही अपनी होंडा सिटी की तरफ बैठने के लिये आगे ही बढ़ा था कि ऋचा ने कहा बेटे तुम्हारी उम्र तो ड्राइविंग लाइसेंस पाने की नही है क्या तुम बिना ड्राइविंग लाइसेंस के कार चला रहे हो और वह भी तुम उनकी औलाद हो जिनके कंधे पर नियम कानून और प्रशासन की जिम्मेदारी होती है विश्वास बोला मम्मी सही कहती है यह मेरे द्वारा माँम डैड का परोक्ष अपमान ही है लेकिन अगर आज बिना वैधानिक ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाने का अपराध नही करता तो क्या वैशाली जैसी दोस्त और आप जैसी प्यारी माँम से मुलाकात होती ऋचा बहुत जोर से हंसते हुये बोली वाह बेटा तुम्हारी हाजिरी जाबाब लाज़बाब है.।। विश्वास कार में बैठा और चला गया अपने घर पहुंचा तो उसकी माँ स्वाति चौहान उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थी विश्वास से गुस्से में बोली कहा इतनी देर कर दिया तुमने एक तो पुलिस अधिकारी के बेटे और बिना दृइविंग लाइसेंस के गाड़ी चला रहे हो कोई सिरफिरा वर्दीवाला मिलगया तो डैडी के लिये भी प्रॉब्लम खड़ी करोगे विश्वास ने बड़े भोले अंदाज़ में बोला दुनिया की सभी मम्मियां अपने औलाद की कमियों को ही दुरुस्त करती है ऋचा माँम भी वही बात कह रही थी जो माँम तुम कह रही हो सभी माँम का दिल एक तरह का होता है ममता का भंडार स्वाति ने विश्वास से पूछा ये और किस माँम के पास से मिलकर आ रहा हो और बहकी बहकी बाते कर रहा हो फिर विश्वास ने माँम स्वाति से सारी सच्चाई बताई ।इधर तेज सिंह घर लगभग दस बजे रात को पहुंचे उनको ऋचा ने वैशाली के घर पहुचने की बाद मोबाइल द्वारा पहले ही बता दी थी तेज सिंह ने सिर्फ इतना ही पूछा कि वैशाली को कौन घर तक छोड़ गया इस भयंकर वर्षात में उसका आभार जताना तो बनता ही है और जानने के बाद उन्होनें विश्वास के डैड को फोन मिलाया और विश्वास की तारीफ करते हुये विश्वास जैसी औलाद के लिये गर्व की अनुभूति कराई ।।दूसरे दिन जब विश्वास को स्कूल जाना हुआ उसके डैड धर्मवीर सिंह चौहान बोले तुम्हे स्कूल मेरा ड्राइवर छोड़ने और लेने जाएगा विश्वास के किशोर मन में कोई संसय नही था अतः बोला ठीक है डैड कुछ ही देर बाद ड्राइबर सखाराम विश्वास बाबा को स्कूल छोड़ने के लिये अटेंशन की मुद्रा में खड़ा था विश्वास बोला डैड कल वैशाली को बरसात में उसके घर छोड़ने गया था आपही से कह कर उसकी स्कूटी सुरक्षित जगह रखवाई थी आप सखराम से बोल दीजिये की
वह वैशाली को भी स्कूल लेता चले और बोल दो डैड उसकी स्कूटी बन जाय कम से कम वह आज स्कूल छूटने के बाद तो अपनी स्कूटी से जा सकेगी प्लीज डैड ये आपके प्यारे बेटे की इच्छा है ।।धर्मवीर सिंह चौहान बोले ठीक है अब तुम जाओ और सखाराम को बोले वैशाली को भी स्कूल पहुचने की हिदायत देते हुये वैशाली की स्कूटी ठीक कराने हेतु फोन कर दिया। कुछ ही देर में विश्वास पुलिश कार से वैशाली के घर पहुंचा और बोला तुम्हारी स्कूटी बनवाने के लिये डैड ने फोन कर दिया है स्कूल से छूटने से पहले ही बन जाएगी तब तक आज तुम मेरे साथ स्कूल चलो ऋचा तो विश्वास को एक माँ के नजरिये से उसके भोले किशोर मन की निर्मलता को जान लिया था जब तेज सिंह के पैर विश्वास ने छुये तो तेज सिंह की पारखी नज़रों ने भी विश्वास में एक निष्कपट उच्च सांस्कारो वाला किशोर दिखा और उन्होंने भी बिना कोई प्रश्न किये वैशाली को विश्वास के साथ स्कूल जाने के लिये इजाजत दे दी वैशाली और विश्वास स्कूल पहुंचे और शाम को बैशाली अपनी स्कूटी से घर चूंकि विश्वास और तेज सिंह का परिवार भी एक दूसरे को भली भांति जानने लगा था अतः बच्चो को साथ कही आने जाने से कोई रोकता नही ।।जो काम बड़े बड़े नही कर सकते वह कार्य एक छोटी साधारण सी घटना कर देती है चार पांच घंटे की भयंकर बरसात में वैशाली और विश्वास का मिलना भी इसी मिथक की सच्चाई थी अब लगभग प्रति दिन वैशाली और विश्वास घण्टो एक दूसरे के साथ रहते पढ़ते किसी छुट्टी के दिन वैशाली विश्वास के घर चली जाती तो कभी विश्वास वैशाली के घर वैशाली विश्वास के घर जाती तो विश्वास की मम्मी से आई ए एस बनने और उसकी तैयारी के टिप्स लेती और उसीके अनुसार अपने भविष्य की योजनाओं को बनाती और क्रियान्वित करती तो विश्वास जब भी वैशाली के घर जाता तो ब्यवसायिक बारीकियों की जानकारियां हासिल करता वैष्णव भी बहन वैशाली और विश्वास की दोस्ती से परिचित था वैशाली और विश्वास एक ही कोचिंग में पढ़ते स्कूल तो एक था ही सुबह दस बजे से दस बजे रात तक साथ ही रहते कही भी जाना हो साथ ही जाते स्कूल में भी दोनों की जोड़ी मशहूर हो चुकी थी पढ़ने लिखने में भी दोनों स्कूल का मान बढाते विश्वास और वैशाली की दोस्ती का किशोर मन कब प्यार की परिपक्वता के शिखर की यात्रा पर चल पड़ा दोनों को आभास तक नही हुआ।विश्वास ने इंटेमीडिएट की परीक्षा के साथ ही आई आई टी प्रवेश परीक्षा उत्तिर्ण किया और मुम्बई आई आई टी में मेकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया सौभाग्य कहे या और कुछ वैशाली भी आई आई टी की प्रवेश परीक्षा में अव्वल रहने के बाद मुंम्बई में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में दाखिला लिया वर्षात की एक मुलाकात जैसे उम्र भर साथ रहने की कसमें रस्मे लेकर आई थी अब वैशाली और विश्वास मुंम्बई में भी साथ पढ़ते और बरसात की वह मुलाकात जीवन मे नए नए सौगात लाती इधर धर्मबीर सिंह चौहान एव स्वाति का वारणसी से स्थानांतरण हो गया एक पोस्टिंग दूसरी पोस्टिंग समय बीतता गया अब सिर्फ मोबाइल से ही तेज सिंह ऋचा और स्वाति औए धर्मवीर सिंह चौहान से बात होती बच्चे कब बड़े समझदार जिम्मेदार हो गए पता ही नही चला तेज सिंह का बड़ा बेटा बैभव भारतीय आयुर्विज्ञान में असिस्टेंट प्रोफेसर हो गया वैष्णव वारणसी में पिता तेज सिंह के व्यवसाय के साथ साथ सी ए की प्रैक्टिस करता और वैशाली आई ए एस बन चुकी थी एव विश्वास आई पी एस विश्वास और वैशाली की शादी उनके परिवार की सहमति से हुई दोनों उस बरसात की मुलाकात के लिये ईश्वर का धन्यवाद आभार करते जिसके कारण दोनों कि मुलाकात हुई और प्यार की मनचाही मंज़िल के अंजाम तक पहुंची।।

कहानीकार --नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश