इश्क़ आख़िरी - 6 Harshali द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ इश्क़ आख़िरी - 6 (4) 1.2k 2.1k अरे दीदी आप विश्वास नहीं करोगे की मैने अभी अभी क्या देखा है ! अब बस हुआ अपनी ओवरएक्टिंग बंद कर और बता क्या बात है सोनाली ने मानव से कहा । अरे दीदी वो मेरा फोन नीचे हॉल में ही रहे गया था , इसलिए मैं अपने कमरे से बाहर निकला तो मैने देखा की , भाई अमृता के कमरे के बाहर खड़े रहकर उसको घूरे जा रहे थे , और तो और वो उसके कमरे भी गए और........मानव बोलते बोलते चुप हो गया तभी सोनाली बोली क्या ? क्या किया आकाश ने ? कमरे में गया फिर ? तभी मानव ने हंसते हुए कहा , अरे दीदी रिलैक्स रिलैक्स आप जैसा सोच रही है वैसा कुछ नहीं है , फिर भाई ने उसके बालों की लट उसके चेहरे से हटाली , उसको कंबल ओढ़ा दिया फिर दरवाजा बंद करके अपने रूम में चले गए । मैने जैसे ही ये देखा ना सबसे पहले आपको बताने चला आया । सोनाली ने सोचते हुए कहा , " तू भी वही सोच रहा है जो में सोच रही हूं ? आकाश अमृता को लाइक करता है ? लेकिन ये कैसे पॉसिबल है , आकाश और अमृता की अभी अभी तो मुलाकात हुई है ! सोनाली सवाल पे सवाल किए जा रही थी । तभी मानव ने कहा," अरे दीदी लव एट फर्स्ट साइड भी तो होता है ना ! भाई को लव एट फर्स्ट साइड हुआ होगा ! " लेकिन वो तो प्यार पर विश्वास नहीं करता , तुझे पता है ना पास्ट मैं जो कुछ भी हुआ उसके बाद वो कितना डिस्टर्ब हुआ था , उसका तो प्यार से भरोसा ही उठ गया है तो आकाश ने ऐसे कैसे ? देख मानव हम अभी ऐसे भी कुछ अंदाजा नहीं लगा सकते , हम कुछ दिन नोटिस करते है आकाश को फिर देखेंगे क्या करना है वो ! सोनाली ने मानव से कहा । ठीक है दीदी लेकिन मेरा अंदाजा कभी चूक नहीं सकता देख लेना , पक्का भाई को प्यार हुआ है , प्यार नहीं तो कम से कम भाई अमृता को पसंद करने लगे है , ठीक है में अब सोने जा रहा हूं , गुड नाईट बोलकर मानव सोनाली के कमरे में से चला जाता है । अगले दिन सुबह : अमृता जल्दी से तयार हो कर हॉल में आ जाती है और देखती है की दादी पूजा कर रही है , तभी अमृता दादी के पास जा कर बैठ जाती है अमृता को देख कर दादी बोलते है ," अरे आओ आओ बेटा उठ गई तुम , गुड मॉर्निंग हैव अ ग्रेट डे " तभी अमृता भी दादी को ग्रीट करते हुए कहती है गुड मॉर्निंग दादी । दादी अमृता से पूछती है , बेटा कल ठीक से नींद पूरी हुई ना ? जागना तो नहीं पड़ा ? । अरे नहीं नहीं दादी कोई प्रॉब्लम नहीं हुई , मुझे कुछ काम करना है ! में आपकी हेल्प करू ? अमृता ने बाद मासूमियत से दादी से पूंछा । दादी ने कहा , " अरे हा कर दो मेरी हेल्प , एक काम करो वहा वो फूलों की टोकरी रखी है वो लाओ और उसकी माला बनालो , बड़ी माला लगेगी तुम माला बनाओ तब तक मैं मेरी दवाई ले कर आती हूं ये बोलकर दादी अपने रूम की और चली जाती है ।अमृता ने फूलों की टोकरी नीचे रखी और माला बनाने लगी , तभी वहा आकाश आ जाता है , आकाश ने अभी अभी शावर लिया था इसलिए उसके बाल गीले थे , उसने स्काय ब्लू कलर का शर्ट पहना था स्लीव्स रोल किए हुए थे और उसकी बीयर्ड.. वो तो उसके जॉ लाइन को और भी खूबसूरत लुक दे रही थी ,कोई भी उसे देखकर उसका दीवाना हो जाता , और प्रार्थना करते समय वो इतना शांत और मासूम लग रहा था की अमृता बस उसे ही देखे जा रही थी ।जैसे ही आकाश की नजर अमृता पर पड़ी उसने अपनी आंखे फिर माला बनाने में लगा दी । तभी आकाश बोला, गुड मॉर्निंग ! अमृता ने जवाब देते हुए कहा , गुड मॉर्निंग आकाश हैव अ गुड डे । अमृता के मुंह से अपना नाम सुनकर आकाश के चेहरे पर एक क्यूट सी स्माइल आ जाती है , वो अमृता से कहता है , दादी ने बड़ी माला बनाने को कहा है ना ? में मदत कर देता हूं जल्दी काम पूरा होगा । अमृता भी हस कर हां कर देती है । फिर दोनों भी फूलों की टोकरी से गेंदे के फूल ढूंढकर उसकी माला बनाने लगे , माला बनाते बनाते अमृता की नजर आकाश पर जा के रुक जाती है , अमृता के हाथ तो माला बना रहे थे लेकिन उसकी आंखे कुछ और ही काम कर रही थी , आकाश को देखने के चक्कर में अमृता के हाथ में सुई चूब जाती है और उसके मुंह में से आह!! निकलती है । अमृता की आह को सुनकर आकाश एक नजर अमृता की और देखता है और फिर जल्दी से उसका हाथ लेकर अपनी मुंह के और बढ़ाता है तभी आकाश ये रियलाइज करता है की , ये में क्या कर रहा हूं , क्या सोचेगी अमृता मेरे बारे में ! ये सोचकर आकाश होश में आता है और अमृता की उंगली पर का खून वो अपने रुमाल से पोछने लगता है । ये सब देख कर अमृता बस आकाश को देखने लगती है। तभी अमृता बोलती है थैंक यू ! लेकिन आकाश का ध्यान तो पूरी तरह अमृता की उंगली पर होता है । आकाश ने अमृता से पूंछा ध्यान कहा था तुम्हारा ? वो...वो..वो में .. मेरा ध्यान .. तभी अमृता की बात को काटकर आकाश बोल पड़ा , तुम ये रहने दो , ये माला कोई और बना देगा । नहीं मैं बना लुंगी ज्यादा नहीं लगा है ,अमृता ने कहा । अमृता प्लीज ये काम कोई और कर देगा तुम मत करो , तुम्हे मदत करनी ही है तो मां की करो किचन में ! आकाश इतने प्यार से और सॉफ्ट टोन मैं बोल रहा था की अमृता उसके बात को टाल नहीं सकी और वो किचन में चली गई । अमृता के जाने के बाद आकाश भी अपने रूम की और चलने लगा । । ‹ पिछला प्रकरणइश्क़ आख़िरी - 5 › अगला प्रकरणइश्क़ आख़िरी - 7 Download Our App रेट व् टिपण्णी करें टिपण्णी भेजें Have some happiness 3 महीना पहले Rupa Soni 3 महीना पहले Preeti G 4 महीना पहले Harshali 4 महीना पहले अन्य रसप्रद विकल्प लघुकथा आध्यात्मिक कथा उपन्यास प्रकरण प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी Harshali फॉलो उपन्यास Harshali द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ कुल प्रकरण : 22 शेयर करे आपको पसंद आएंगी इश्क़ आख़िरी - 1 द्वारा Harshali इश्क़ आख़िरी - 2 द्वारा Harshali इश्क़ आख़िरी - 3 द्वारा Harshali इश्क़ आख़िरी - 4 द्वारा Harshali इश्क़ आख़िरी - 5 द्वारा Harshali इश्क़ आख़िरी - 7 द्वारा Harshali इश्क़ आख़िरी - 8 द्वारा Harshali इश्क़ आख़िरी - 9 द्वारा Harshali इश्क़ आख़िरी - 10 द्वारा Harshali इश्क़ आख़िरी - 11 द्वारा Harshali