ये कैसी राह - 13 Neerja Pandey द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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ये कैसी राह - 13

भाग 13

अनमोल की क्लास रेग्युलरली चलने लगी थी। वो रोज ही तनय के साथ कोचिंग आता जाता था। कुछ और बच्चों से परिचय होने के बावजूद वो किसी से भी बात नहीं करता था। उसे अपना एक एक मिनट कीमती लगता था। बाकी बच्चे आपस में बात चीत करते और जिस भी दिन छुट्टी होती सब साथ ग्रुप बनाकर घूमने भी जाया करते। पर अनमोल खुद को इन सब चीजों से दूर हीं रखता था। उसका देख कर तनय जो पहले सब के कहने पर कभी कभी चला जाता था। अब वो भी खुद को इन सब चीजों से अलग कर लिया था। तनय और अनमोल दोनों ही मन लगाकर पढ़ाई कर रहे थे ।

कोचिंग शुरू होने के बाद आज सर ने बताया कि आने वाले रविवार को टेस्ट है। पहला टेस्ट होना था इसलिए अनमोल चाहता था कि वो इतना अच्छा नंबर ले कर आए जिससे मां और पापा को यकीन हो जाए कि वो यहां अच्छे से मन लगा कर पढ़ रहा है। सुबह नौ बजे से टेस्ट शुरू होना था। अनमोल और तनय दोनों समय से

तैयार हो गए। नाश्ता कर के सेंटर पर पहुंच गए।

अनमोल की तो ग्राउंड फ्लोर के रूम में सीट थी। तनय

का फिफ्थ फ्लोर के कमरे में था। औल द बेस्ट बोल कर दोनों अपने अपने रूम में टेस्ट देने चले गए।

तीन घंटे तक टेस्ट हुआ। अनमोल बाहर गेट पर खड़े होकर तनय की प्रतीक्षा कर रहा था। कुछ समय पश्चात तनय भी आ गया। अनमोल खुद को बहुत हल्का महसूस कर रहा था। टेस्ट बहुत ही अच्छा हुआ था । तनय का भी टेस्ट अच्छा हुआ था। दोनों साथ-साथ खुशी से बात करते हुए हाॅस्टल आ गए। अगले ही दिन रिजल्ट भी आ गया पूरे सेन्टर में सबसे ज्यादा नंबर अनमोल को ही मिले थे । वो जब दूसरे दिन कोचिंग पहुंचा तो पहले ही क्लास में सर आए और आते ही पूछा,

"आप सब में अनमोल कौन है? "

ये सुन कर अनमोल "यस सर "कहते हुए हाथ उठा कर खड़ा हो गया। सर ने उसे अपने पास बुला कर कहा,

"वेल डन बेटा ..! ऐसे ही मेहनत करते रहो। "

कोचिंग के बाद हॉस्टल के रूम में आकर अनमोल ने पापा को फोन किया और बताया कि पापा सेंटर पर हुए एग्जाम में सबसे ज्यादा नंबर मेरे ही आए हैं। सर ने मुझे बुला कर मेरी तारीफ की। ये सुन कर अरविंद जी खुश हो गए और सावित्री को आवाज देकर बुलाया और

अनमोल से बात करवाई। वो भी ये जान कर प्रसन्न

हुईं कि बेटा मन लगा कर पढ़ रहा है। जिस काम के

लिए कलेजे पर पत्थर रख कर अपने बेटे को दूर

भेजा है। वो अनमोल पूरी इमानदारी से कर रहा है ।

इसी तरह करीब पांच टेस्ट हुए। पांचों में हीं अनमोल ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। अब वो सब की निगाह में आ चुका था। उस कोचिंग सेंटर का नियम था जो बच्चे अच्छा प्रर्दशन करते थे हर बैच से टाॅपर बच्चों को छांट कर एक नया बैच बनाया जाता था। उस बैच पर बहुत ही ज्यादा मेहनत की जाती थी। सर्वाधिक सेलेक्शन देने वाला यही बैच होता था। हर बच्चा इसी बैच में पढ़ना चाहता था। इस बैच के लगभग सारे ही बच्चे सेलेक्ट होते थे। पर सबका सपना नहीं पूरा होता था। इसमें हर

बैच के सिर्फ तीन टाॅपर बच्चों को ही लिया जाता था। अनमोल तो पहले ही आ गया था।

दो महीने बाद तनय ने भी जी लगा कर मेहनत की

और वो भी उसी बैच में आ गया।

अब तनय और अनमोल दोनों एक ही बैच में थे। अनमोल के दूसरे बैच में जाने से जो साथ छूट गया था। अब फिर दोनों एक हो गए। साथ - साथ क्लास लेने जाते। मेस तो पहले भी साथ ही जाते थे ,अब दोनों जहां कहीं भी होते हमेशा हमेशा एक दूसरे से सवाल पूछते रहते। इससे ये फायदा होता कि कुछ भी थोड़ा बहुत छूट जाता उसको भी वो समझ लेते ।

इसी तरह पूरा दो साल बीत गया। सिर्फ दीपावली और होली की छुट्टियों में दादी की ज़िद पर अनमोल दो दिनों

के लिए आया था । फिर वापस उसे अरविंद जी कोटा

छोड़ आए । वापस आकर अनमोल फिर से जी-जान

से पढ़ाई में व्यस्त हो गया।

अब बारहवीं और आईआईटी इग्जाम दोनों ही पास आ गए थे। अनमोल पर प्रेशर बढ़ता ही जा रहा था। वो किसी भी कीमत पर सेलेक्शन चाहता था। अब तो अनमोल अपने एक एक मिनट का इस्तेमाल कर लेना चाहता था। घर से फोन आने पर भी वो बस एक मिनट ही बात करता। उसके तुरंत ही फोन रख देने पर मां दुखी हो जाती। वो अनमोल के खाने पीने और बाकी कि चीजों के बारे में जानना चाहती थी। पर अनमोल

को बात करने का समय नहीं था।

परीक्षाएं शुरू हुई और एक दिन समाप्त भी हो गई। सारे पेपर बहुत हीं अच्छे हुए। अब अनमोल बिल्कुल संतुष्ट था। उसकी मेहनत सफल हुई थी। उसे यकीन था कि उसका सेलेक्शन हो जाएगा । तनय के पापा उसको

लेने आए थे और अनमोल को लेने उसके पापा।

दोनों ने बहुत अच्छा समय एक दूसरे के साथ बिताया

था। बिछड़ते वक्त दोनों ही उदास हो गए। अनमोल

और तनय अपने अपने घर आ गए।

अनमोल के घर आने पर मां और बहनें सब बहुत खुश थे। दादी भी गांव से आ गई थी। हर वक्त खुशी का माहौल रहता था । मां कभी कुछ तो कभी कुछ अपने हाथ से बना कर खिलाती । इस तरह आराम से छुट्टियां बीत रहीं थीं ।

आखिर वो दिन भी आ गया। आज रिजल्ट घोषित होना था। सुबह से ही इंतजार हो रहा था। समय जैसे जैसे बीत रहा था अनमोल की बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी । जैसे ही बारह बजे रिजल्ट घोषित कर दिया गया। परी ने कहा

"भाई..! मै चेक रही हूं तुम बैठो ।" और करीब पांच मिनट के प्रयास के बाद रिजल्ट स्क्रीन पर दिखाई देने लगा। परी खुशी से उछल पड़ी और बोली

"भाई तू पास हो गया है।"

अनमोल ने भी देखा उसकी अच्छी रैंक आईं थी ।

अनमोल ने पापा को आफिस में फोन करके बताया।

फिर तनय के पास फोन करने ही वाला था कि

उसका फ़ोन आ गया । उसकी आवाज से ही पता चल रहा था कि उसका भी सेलेक्शन हो गया है।

शाम को अरविंद जी के आने पर घर में जश्न का माहौल था । दोस्त परिचित रिश्तेदार पडोसी जिसे भी पता चल रहा था सभी बधाई दे रहे थे।

"भई बेटा हो तो अनमोल जैसा पहले प्रयास में ही

पास हो गया । मां बाप का नाम रौशन कर दिया।"

 

अगले अंक में पढ़िए अनमोल के आगे की कहानी

क्या हुआ जब वो इंजीनियरिंग कॉलेज में पहुंचा ।