भाग 11
अनमोल को अपने पहले रिजल्ट से मिली तारीफ से इतनी प्रेरणा मिली की वो नन्हा सा बच्चा अपने मन में निश्चय करता है कि मैं अगर मन लगा कर पढूंगा तो स्कूल के साथ साथ घर में भी सब तारीफ करेंगे । ये बात उसके दिल दिमाग में घर कर गई।
अनमोल साल दर साल आगे की कक्षा में बढता गया । नए क्लास में आते ही वो जी - जान से जुट जाता । जब तक पूरी किताबें खत्म नहीं हो जाती उसे चैन नहीं पड़ता । खास कर गणित उसका मन पसन्द विषय था चाहे जितना भी कठिन सवाल हो जब तक वो साल्व न कर लेता उसे खाना, पीना,सोना कुछ नहीं भाता था ।
हर साल वो प्रथम आता । उसे पढ़ाई-लिखाई के आगे कुछ नहीं सूझता था । उसकी पढ़ाई के प्रति झुकाव देख कर , घर में सभी बहुत खुश थे । परी और अनमोल दो क्लास आगे पीछे थे । परी भी मन लगा कर पढ़ती थी पर वो अनमोल जैसी कुशाग्र बुद्धि नहीं थी । दोनो भाई बहन साथ साथ स्कूल जाते और वापस आकर थोड़ी देर खेलते फिर पढ़ने बैठ जाते।
समय बीतता गया अब अनमोल दसवीं कक्षा में आ गया । इस वर्ष उसको बोर्ड इग्जाम में बैठना था । उसने तैयारी में दिन रात एक कर दिया । वो पूरी पूरी रात पढ़ाई करता। उसको इस तरह लगन से पढ़ते देख अरविंद जी खुश हो जाते ।
परी भी बारहवीं में थी । उसका और अनमोल का एग्जाम साथ साथ ही होना था, एक दो दिन आगे पीछे।
परी भी मन लगा कर पढ़ती थी। अरविंद जी को पूरा यकीन था कि परी और अनमोल अपनी - अपनी कक्षा में जरूर उच्च स्थान प्राप्त करेंगे
निश्चित तिथि पर परीक्षा हुई।
सारे पेपर बहुत अच्छे हुए। जब आखिरी पेपर देकर अनमोल घर लौटा बहुत खुश था। अनमोल के सारे पेपर बहुत अच्छे हुए थे। उसे यकीन था कि वो अपने विद्यालय में सबसे अधिक अंक प्राप्त करेगा।
परी के भी सारे पेपर अच्छे हुए थे उसे भी यकीन था
वो प्रथम श्रेणी में पास हो जाएगी।
अनमोल परीक्षा समाप्त होने पर दादी के साथ गांव चला गया। उसनेे सोचा, जब तक परिणाम घोषित होगा वो दादी के साथ गांव में रह लेगा। दादी उसे और परी
को लेकर गांव चली आई।
मजे से छुट्टियां बीतने लगी। समय कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। वो और परी दोनो भाई बहन साथ में सारा दिन खूब मस्ती
करते। साथ ही दादी के हाथ के स्वादिष्ट खाने का आंनद लेते,जो चीजें अनमोल खाने में पसन्द करता दादी वहीं सारी चीजें बनाती थी।
उन्हें अपने अन्नू को अपने हाथों से पका कर खिलाने में असीम आनन्द की अनुभूति होती थी।
छुट्टी के दो महीने पंख लगा कर बीत गए। अनमोल
को बस अब रिज़ल्ट का इंतजार था।
परी और अनमोल दोनों भाई बहन बस अब रिज़ल्ट की प्रतीक्षा कर रहे थे।
आज रिजल्ट घोषित होना था। सुबह से ही सभी लोग इंतजार कर रहे थे। पर गांव में नेटवर्क न होने से परिणाम नहीं देख पा रहे थे। जैसे ही नेटवर्क आया वो उत्सुकता से कोशिश करने लगा पर तभी मोबाइल पर बेल बजने लगी। जैसे ही अनमोल ने "हैलो" कहा दूसरी ओर से प्रिन्सिपल मैमकी खुशी से भरी आवाज सुनाई दी "वेल डन बेटा..! वेल डन तुम सिर्फ अपने स्कूल में ही नहीं बल्कि पूरे जिले में सर्वाधिक अंक लाए हो। शाबाश बेटा ..! ऐसे ही सबका नाम रौशन करते रहो।" उन्होंने परी को भी प्रथम श्रेणी में पास होने की बधाई दी। बधाई देकर मैम ने फोन काट दिया।
अनमोल ने अपने घर फोन कर रिजल्ट बताया। मां पापा और बहनें खुशी से फूली नहीं समा रही थी अरविन्द जी तुरंत ही सबको गांव से लाने रवाना हो गए।
अरविंद जी बेहद खुश थे। एक तरफ बेटा टाॅप किया
था तो दूसरी तरफ बेटी भी प्रथम श्रेणी में पास हुई थी।
वहां पहुंचने पर देखा सभी गांव वाले आकर बधाईयां दे रहे हैं और दादी सबको ख़ुशी से लड्डू खिला रही हैं।
अरविंद जी ने बेटे को गले से लगा लिय। बोले,
"चलो..! सभी को मैं लेने आया हूं। सभी को लेकर
अरविंद जी वहां से रवाना हो गए।
घर पहुंचते ही बधाई का सिलसिला शुरू हो गया । अरविंद जी गर्व से सभी का स्वागत कर रहे थे ।
अगले दिन समाचार पत्र में अनमोल का इंटरव्यू छपा। सावित्री और दादी बार - बार उसकी छपी फोटो देख रही थीं। तभी अरविंद जी आए और हंसते हुए कहा,
"ये क्या मां..! कितनी बार देखोगी ये फोटो..! अभी तो ये शुरुआत है। हमारे अनमोल की तो आगे अभी बहुत सारी तस्वीरें छपेगी।"
अनमोल आगे आईआईटी करना चाहता करना चाहता था। कोटा की एक नामी कोचिंग सेंटर से काॅल आ रही थी। वो अनमोल को स्काॅलर-शिप दे कर अपने यहां पढ़ने बुला रही थी। सावित्री और दादी अपने कलेजे के टुकड़े को इतनी दूर करने को राजी नहीं थी। परन्तु अरविंद जी अनमोल के भविष्य को लेकर कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहते थे । उन्होंने घर में सबके मन ना होने के वावजूद अनमोल को कोटा भेजने का फैसला कर लिया।
अनमोल का एक सप्ताह बाद जाने का प्रोग्राम तय हुआ। सावित्री भी उसे छोड़ ने जाना चाहती। पहले तो अरविंद जी ने मना किया पर मां की ममता देख कर हां कर दिया ।
तैयारी होने लगी अनमोल के कोटा जाने की। हनी और मनी तो भाई के जाने की बात से उदास थी हीं पर परी का रो रो कर बुरा हाल था। वो और अनमोल दिन रात एक साथ रहते थे। अनमोल भी दूर जाने की सोच कर परेशान था। इसलिए अरविंद जी ने फैसला किया कि सावित्री और परी को भी साथ लेकर जाएंगे ।
दादी ने अश्रुपूर्ण र्आंखों से आशीष दे कर माथा चूम कर विदा किया। अरविंद जी पत्नी और बेटी के साथ अनमोल को लेकर कोटा रवाना हो गए ।
लंबे सफर के दौरान उन्होंने माहौल हल्का फुल्का रखने का प्रयास किया। अनमोल को उत्साहित करते रहे। वहां ये मिलेगा, वहां वो मिलेगा। वहां बहुत ही अच्छा माहौल है पढ़ने का। जब तुम्हें जी चाहेगा मैं तुम्हारी मां को लेकर कोटा आ जाऊंगा कोटा पहुंचते पहुंचते अनमोल की मन:स्थिति पूर्णतः संयमित हो चुकी थी ।
वहां पहुंचने पर कोचिंग सेंटर वालों ने अनमोल को हाथों-हाथ लिया। उसका नामांकन करवा दिया अरविंद जी ने। उसके पश्चात् उसके हाॅस्टल में पहुंचा दिया। उस दिन अरविंद जी रूके वहां और शाम को अनमोल को लेकर घुमाने ले गए । फिर रात में बाहर खाना खाने के बाद अनमोल को हाॅस्टल छोड़ कर वापस अपने घर रवाना हो गए।
सावित्री और परी ने भरे मन से अनमोल को ड्राॅप किया। खुद के देखभाल की हिदायत और अच्छे से खाने की सीख देकर घर के लिए रवाना हो गए।
अगले अंक में पढ़िए अनमोल के कोटा में संघर्ष की यात्रा।