देस बिराना - 14 Suraj Prakash द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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देस बिराना - 14

देस बिराना

किस्त चौदह

हम नये घर में सारी चीजें व्यवस्थित कर रहे हैं। गौरी यह देख कर दंग है कि मैं न केवल रसोई की हर तरह की व्यवस्था संभाल सकता हूं बल्कि घर भर के सभी काम कर सकता हूं। कर भी रहा हूं।

पूछ रही है - आपने ये सब जनानियों वाले काम कब सीखे होंगे। आपकी पढ़ाई को देख कर लगता तो नहीं कि इन सबके लिए समय मिल पाता होगा।

- सिर्फ जनानियों वाले काम ही नहीं, मैं तो हर तरह के काम जानता हूं। देख तो रही ही हो, कर ही रहा हूं। कोई भी काम सीखने की इच्छा हो तो एक ही बार में सीखा जा सकता है। उसे बार-बार सीखने की ज़रूरत नहीं होती। बस, शौक रहा, और सारी चीजें अपने आप आ गयीं।

- थैंक्स दीप, अच्छा लगा ये जान कर कि आप चीजों के बारे में इतने खुलेपन से सोचते हैं। मेरे लिए तो और भी अच्छा है। मैं तो मैंडिंग और रिपेयरिंग के चक्कर में पड़ने के बजाये चीजें फेंक देना आसान समझती हूं। अब आप घर-भर की बिगड़ी चीजें ठीक करते रहना।

कुल मिला कर अच्छा लग रहा है घर सजाना। अपना घर सजाना। बेशक यहां का सारा सामान अलग-अलग हांडा कम्पनीज़ या स्टोर्स से ही आया है, लेकिन अब से है तो हमारा ही और इन सारी चीजों को एक तरतीब देने में भी हम दोनों को सुख मिल रहा है। वैसे काफी चीजें इस बीच हमने खरीदी भी हैं।

हम दोनों में बीच-बीच में बहस हो जाती है कि कौन सी चीज़ कहां रखी जाये। आखिर एक दूसरे की सलाह मानते हुए और सलाहें देते हुए घर सैट हो ही गया है।

इतने दिनों से आराम की ज़िंदगी गुज़ारते हुए, तफरीह करते हुए मुझे भी लग रहा है कि मेरे सारे दुख दलिद्दर अब खत्म हो गये हैं। अब मुझे मेरा घर मिल गया है।

ससुर साहब की तरफ से बुलावा आया है। वैसे तो हर दूसरे तीसरे दिन वहां जाना हो ही जाता है या फोन पर ही बात हो जाती है लेकिन हर बार गौरी साथ होती है। इस बार मुझे अकेले ही बुलाया गया है। पता नहीं क्या बात हो गयी हो। शायद मेरे भविष्य के बारे में ही कोई बात कहना चाहते हों। वैसे भी अब मज़ा और आराम काफी हो लिये। कुछ काम धाम का सिलसिला भी शुरू होना चाहिये। आखिर कब तक घर जंवाई बन कर ससुराल की रोटियां तोड़ता रहूंगा।

वहां पहुंचा हूं तो मेरे ससुर और उनके बड़े भाई हांडा ग्रुप के मुखिया, दोनों भाई ही बैठे हुए हैं। मैं बारी बारी से दोनों को आदर पूर्वक झुक कर प्रणाम करता हूं। यहां लंदन में भी इस परिवार ने कई भारतीय परम्पराएं बनाये रखी हैं। यहां छोटे-बड़े सभी बुजुर्गों के पैर छू कर ही अभिवादन करते हैं। कोई भी ऊंची आवाज में बात नहीं करता। एक बात और भी देखी है मैंने यहां पर कि हांड़ा ग्रुप के मुखिया हों या और कोई बुजुर्ग, किसी की भी बात काटी नहीं जाती। वे जो कुछ भी कहते हैं, वही आदेश होता है। ना नुकुर की गुंजाइश नहीं होती। एक दिन गौरी ने बताया था कि बेशक पापा या ताऊजी किसी के भी काम में दखल नहीं देते और न ही रोज़ रोज़ सबसे मिलते ही हैं लेकिन फिर भी इतने बड़े एम्पायर में कहां क्या हो रहा है उन्हें सबकी खबरें मिलती रहती हैं।

- घूमना फिरना कैसा रह़ा!

- बहुत अच्छा लगा। काफी घूमे।

- कैसा लग रहा है हमारे परिवार के साथ जुड़ना?

- दरअसल मैं यहां पहुंचने तक कुछ भी विजुअलाइज़ नहीं कर पा रहा था कि यहां आ कर ज़िंदगी कैसी होगी। एकदम नया देश, नये लोग और बिलकुल अपरिचित परिवार में रिश्ता जुड़ना, लेकिन यहां आ कर मेरे सारे डर बिलकुल दूर हो गये हैं। बहुत अच्छा लग रहा है।

- और आपकी शोफर के क्या हाल हैं, ससुर साहब ने छेड़ा है - उससे कोई टर्म्स तय की हैं या बेचारी मुफ्त में ही तुम्हारी गाड़ी चला रही है।

- गौरी बहुत अच्छी है लेकिन अब काम धंधे का कुछ सिलसिला बैठे तो टर्म्स भी तय कर ही लेंगे।

- हमने इसी लिए बुलाया है आपको। वैसे आपने खुद काम काज के बारे में क्या सोचा है? वे खुद ही मुद्दे की बात पर आ गये हैं।

- जैसा आप कहें। मैं खुद भी सोच रहा था कि आपसे कहूं कि घूमना फिरना बहुत हो गया है और पार्टियां भी बहुत खा लीं। आपकी इजाज़त हो तो मैं किसी अपनी पसंद के किसी काम. .. .. मैंने जानबूझ कर बात अधूरी छोड़ दी है।

- देखो बेटे, हम भी यही चाहते हैं कि तुम अपनी लियाकत, एक्सपीरियंस और पसंद के हिसाब से काम करो। हम तुम्हारी पूरी मदद करेंगे। लेकिन दो एक बातें हैं जो हम क्लीयर कर लें।

- जी.. ..

- पहली बात तो यह कि अभी तुम टूरिस्ट वीसा पर आये हो। यहां काम करने के लिए तुम्हें वर्क परमिट की ज़रूरत पड़ेगी जो कि तुम्हें टूरिस्ट वीसा पर मिलेगा नहीं।

- आप ठीक कह रहे हैं। मैंने इस बारे में तो सोचा ही नहीं था।

मैंने सचमुच इस बारे में नहीं सोचा था कि मुझे अपनी पसंद का काम चुनने में इस तरह की तकलीफ भी आ सकती है।

- लेकिन पुत्तर जी हमें तो सारी बातों का ख्याल रखना पड़ता है ना जी..।

- आप सही कह रहे हैं। लेकिन फिर मेरा ....

- उसकी फिकर आप मत करो। इसी लिए आपको बुलाया था कि पहले आपकी राय ले लें, तभी फैसला करें।

- जी हुक्म कीजिये...मेरी सांस तेज़ हो गयी है।

- ऐसा है कि इस समय लंदन में हांडा ग्रुप की कोई तीस-चालीस फर्में हैं। पैट्रोल पम्प हैं। डिपार्टमेंटल स्टोर्स हैं और भी तरह तरह के काम काज हैं।

- जी.. गौरी ने बताया था और कुछ जगह तो वो मुझे ले कर भी गयी थी।

- हां, ये तो बहुत अच्छा किया गौरी ने कि तुम्हें सब जगह घुमा फिरा दिया है। तुम्हें अपनी फलोरिस्ट शाप में भी ले गयी थी या नहीं?

- इस बारे में तो उसने कोई बात ही नहीं की है।

- यही तो उसकी खासियत है। वैसे तुम्हें बता दें कि हैरो ऑन द हिल पर उसकी फ्लोरिस्ट शॉप लंदन की गिनी चुनी शॉप्स में से एक है। पैलेस और ड्राउनिंग स्ट्रीट के लिए जाने वाले बुके वगैरह उसी के स्टाल से जाते हैं।

- लेकिन इतने दिनों में तो उसने एक बार भी नहीं बताया कि वह कोई काम भी करती है।

- कमाल है, उसने तुम्हें हवा भी नहीं लगने दी। आजकल उसका काम उसकी ही एक कज़िन नेहा देख रही है। दो एक दिन में गौरी भी काम पर जाना शुरू कर देगी। हां तो, हमने सोचा है कि अपना सबसे बड़ा और सबसे रेपुटेड डिपार्टमेंटल स्टोर्स - द बिज़ी कॉर्नर नाम की शाप तुम्हारे नाम कर दें। ये स्टोर्स वेम्ब्ले हाइ स्ट्रीट पर है। गौरी ले जायेगी तुम्हें वहां। तुम्हें पसंद आयेगा। काफी नाम और काम है उसका। वैसे हम उसे नयी इमेज देना चाह रहे हैं। काम बहुत है उसका और नाम भी है लेकिन जरा पुराने स्टाइल का है। हम चाहते हैं कि तुम उसे अपने मैनेजमेंट में ले लो और जैसे चाहे संभालो। क्या ख्याल है?

- जैसा आपका आदेश. . ..। मैंने कह तो दिया है लेकिन मैं तय नहीं कर पा रहा हूं कि अपनी इन डिग्रियों और काम काज के अनुभव के साथ मैं डिपार्टमेंटल स्टोर्स में भला क्या कर पाऊंगा। लेकिन इन लोगों के सामने मना करने की गुजांइश नहीं है। गौरी ने पहले ही इशारा कर दिया था - किसी भी तरह की बहस में मत उलझना। जो कुछ कहना सुनना है, वो खुद बाद में देख लेगी।

- वैसे हमारे और भी कई प्लांस हैं। हम कुछ नये एरियाज़ में डाइवर्सीफाई करने के बारे में सोच रहे हैं, वैसे तुम्हें कभी भी किसी किस्म की तकलीफ नहीं होगी।

- जानता हूं जी, आप लोगों के होते हुए....।

- वैसे सारी चीजें आपको धीरे धीरे पता चल ही जायेंगी। आप हमारे परिवार के नये मैम्बर हैं। खूब पढ़े लिखे और ब्राइट आदमी हैं। हमें यकीन है आप खूब तरक्की करेंगे और आपका हमारे खानदान से जुड़ना हमें और आपको, दोनों को रास आयेगा। यू आर एन एसेट टू हांडा एम्पायर। गॉड ब्लैस यू। हमारे इस प्रोपोजल के बारे में क्या ख्याल है ?

- जी दुरुस्त है। मैं कल से ही वहां जाना शुरू कर दूंगा। मैं चाहूं तो भी अब विरोध नहीं कर सकता। टूरिस्ट वीसा पर आने पर और घर जवांई बनने की कुछ तो कीमत अदा करनी ही पड़ेगी।

- कोई जल्दी नहीं है। वहां और लोग तो हैं ही सही। जब जी चाहे जाओ, आओ, और आराम से सारी चीजों को समझो, जो मरजी आये चेंज करो वहां और उसे अपनी पर्सनैलिटी की मुहर लगा दो। ओके !!

- जी थैंक्स। गुड नाइट। और मैं दोनों को एक बार फिर पैरी पौना करके बाहर आ गया हूं।

घर आते ही गौरी ने घेर लिया है - क्या क्या बात हुई और क्या दिया गया है आपको।

मैं निढाल पड़ गया हूं। समझ में नहीं आ रहा, कैसे बताऊं कि अब आगे से मेरी ज़िंदगी क्या होने जा रही है। इंडिया में फंडामेंटल रिसर्च के सबसे बड़े सेंटर टीआइएफआर का सीनियर सांइटिस्ट डॉ. गगनदीप अब लंदन में अपनी ससुराल के डिपार्टमेंटल स्टोर्स में अंडरवियर और ब्रा बेचने का काम करेगा। कहां तो सोच रहा था, यहां रिसर्च के बेहतर मौके मिलेंगे और कहां .. .। मुझे वर्क परमिट का ज़रा सा भी ख्याल होता तो शायद ये प्रोपोजल मानता ही नहीं।

मेरा खराब मूड देख कर, गौरी डर गयी है। बार बार मेरा चेहरा अपने हाथों में लेकर मेरे हाथ पकड़ कर पूछ रही है - आखिर इतने टेंस क्यों हो। तुम्हें मेरी कसम। सच बताओ, क्या बात हुई।

मैं उसकी आंखों में झांकता हूं - वहां मुझे स्नेह का एक हरहराता समंदर ठांठें मारता दिखायी दे रहा है - वह मेरे माथे पर एक गहरा चुंबन अंकित करती है और एक बार फिर कहती है - खुद को अकेला मत समझो, डीयर। बताओ, किस बात से इतने डिस्टर्ब हो!!

मैं उसे बताता हूं। अपने सपनों की बात और अपने कैरियर की बात और इन सारी चीजों के सामने उसके पापा के प्रोपोजल।

पूछता हूं उसी से - क्या मुझे यही सब करना होगा, मैं तो सोच कर आया था कि ..।

वह हँसने लगी है। यहां मेरी जान पर बनी हुई है और ये पागलों की तरह रही है - रिलैक्स डीयर, जब घर में ही इतने सारे शानदार काम हैं तो बाहर किसी और की गुलामी करने की क्या जरूरत। वैसे भी वर्क परमिट के बिना तो आप घरों के बाहर अखबार डालने का काम भी पता नहीं कर पायेंगे या नहीं। आप हांडा ग्रुप के फैमिली मैम्बर हैं। हजारों में से चुन कर लाये गये हैं और आपको लंदन के सबसे बड़े स्टोर्स का काम काज संभालने के लिए दिया जा रहा है। हमारे खानदान के कितने ही लड़कों की निगाह उस पर थी। बल्कि मैं मन ही मन मना रही थी कि तुम्हें द बिजी कार्नर ही मिले। कहीं गैस स्टेशन वगैरह दे देते तो मुसीबत होती। यू आर लकी डियर। चलो, इसे सेलेब्रेट करते हैं। कैंडिल लाइट डिनर मेरी तरफ से।

इतना सुन कर भी मेरा हौसला वापिस नहीं आया है। वह चीयर अप करती है - आप जाकर अपना काम देखें तो सही। वहां बहुत स्कोप है। आप खुद ही तो बता रहे थे कि आपकी निगाह में कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। आप छोटे से छोटे काम को भी पूरी लगन और मेहनत से शानदार तरीके से कर सकते हैं। उसमें पूरा सैटिस्फैक्शन पा सकते हैं। फिर भी वहां अगर आपका मन न लगे तो डाइवर्सीफिकेशन करके आप अपनी पसंद का कोई भी काम शुरू कर सकते हैं। बस, मेरी पोजीशन का भी ख्याल रखना।

इसका मतलब अब मेरे पास इस प्रोपोजल को मानने के अलावा और कोई उपाय नहीं है। चलो यही सही, जब चमगादड़ की मेहमाननवाजी स्वीकार की है तो उलटा तो लटकना ही पड़ेगा।

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