प्रेम की शक्ति Pintu Verma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्रेम की शक्ति

बहुत समय पहले की बात है।एक राजा था,जिसका नाम सत्यबर्धन था।वह बहुत ही न्यायप्रिय और धर्मपरायण था। उसकी प्रजा में हमेशा खुशी का माहौल बना रहता था,कारण था उसकी प्रजाभक्ती।उसकी एक सुंदर रानी थी ,जिसका नाम कुमदुनी था,वह बहुत ही सुन्दर और सुशील थी। सब कुछ होते हुए भी वह दुखी थे, क्योंकि उनकी कोई भी संतान नहीं थी।एक समय उनके द्वार पर एक सन्यासी आए उन्होंने रानी को एक यज्ञ करने को कहा ,रानी ने सातों नदियों का पवित्र जल मंगाकर यज्ञ सुरु किया,जिससे एक आकाशवाणी हुई की आज से नौ महीने के बाद उनके घर में एक पुत्र का जन्म होगा ,हुआ भी बैसा ही नौ महीने के बाद उनके घर मै एक पुत्र नै जन्म लिया। राजा ने खुश होकर प्रजा मै दान करवाया और भूखे लोगों को भोजन करवाया । राजा ने अपने पुत्र का नामकरण करवाया । ज्योतिषी नै पुत्र का नाम सत्यजीत रखा,और कहा यह बहुत ही वीर और सुशील होगा । राजा बहुत ही प्रसन्न हुआ।समय बढ़ता गया धीरे धीरे वह बालक से युवक हो गया,एक दिन वह अपने पिता से बोला पिता जी मै सिकार पर जाना चाहता हूं मुझे आज्ञा दे। राजा ने कहा ठीक है मगर सावधान रहना क्योंकि जंगल मै खतरनाक जानवर रहते है , राजकुमार सत्यजीत ने कहा ,पिताजी आप निश्चित रहे मुझे कुछ नहीं होगा राजकुमार जंगल के लिए रवाना हुए जंगल मै उन्होंने एक हिरण को देखा वह हिरण का शिकार करने के लिए उद्धत हुए,लेकिन वह हिरण वहां से भाग गया, राजकुमार भी उसके पीछे पीछे भागे ।राजकुमार के भागने पर सैनिकों ने राजकुमार का पीछा किया मगर वह रास्ता भटक गए और राजकुमार को बिना लिए ही बहा से चले आए,इधर राजकुमार अत्यधिक थक गए और घोंडे से उतरकर एक बाग मै आए ,बाग बहुत ही सुन्दर था , हरी हरी घास थी जिसपर लेटकर राजकुमार सत्यजीत सो गए और उधर उस देश की राजकुमारी जिसका नाम रुपमा था वह अपनी सखियों के साथ वहां आती है ,जब वह सात्यजीत को देखती है ,तब उसके रूप को देख कर वह अपनी सुधबुध खो बैठती है ,वह राजकुमार के पास आती है और वस देखती रहती हैं तब तक राजकुमार की आंखो से निद्रा टूट जाती है और वह रुपमा को देख कर आश्चर्य चकित रह जाते है ।तब तक राजकुमारी के सहलिया आ जाती है और वह राजकुमारी को महल चलने को कहती है और राजकुमारी वहां से चली जाती है ,किन्तु राजकुमार को रुपमा के रूप से प्रेम हो जाता है और वह महल लौटकर अपने पिताजी से रुपमा से अपने विवाह के लिए कहते है तब उसके पिताजी राजा मद्रसेन्न जो कि मद्र देश के राजा थे उन्हें पत्र लिखते है ,और विवाह के लिए कहते है ।राजा मद्रसेन जब पत्र देखते हैं ,तब वह विवाह के लिए सहमत हो जाते है किन्तु एक सर्त रखते है कि अगर राजकुमार एक ही बार मै वह पत्थर जिसे आज तक कोई हिला तक ना सका हो अगर उसे उठा दे तो वह अपनी पुत्री का विवाह कर देंगे,राजकुमार सत्यजीत को जब यह पता चला तब उन्होंने संदेश लिखा और कहा मुझे स्वीकार है । में अपने प्रेम को पाने के लिए कुछ भी करूंगा विवाह की तिथि निश्चित हुई । राजकुमार सत्यजीत ने जब उस पत्थर को देखा तब वह समझ गए कि यह कोई साधारण पत्थर नहीं तब उन्होंने उस पत्थर को प्रणाम किया और उसकी एक सौ आठ बार परिक्रमा की और अपने इष्ट देव को याद कर उन्होंने उस पत्थर को उठा लिया। राजा मदर्सेन्न की खुशी का ठिकाना ना रहा। और उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार सत्यजीत के साथ कर दिया।