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फूल वाली लड़की से इश्क

“ फूल वाली लड़की से इश्क”

आर 0 के0 लाल

यूनिवर्सिटी का आखरी साल था। मैं अपने दोस्तों के साथ मनाली गया था। कुल्लू पहुंचते ही हम लोग वहां की मनोहारी दृश्य देखकर अपने को रोक नहीं सके और बस से उतर गए। यह जगह देवदार के घने जंगलों से घिरा है। पीछे विशाल बर्फ से आच्छादित पहाड़ और कल-कल करती व्यास नदी के कारण यहां प्रकृति की सुंदरता बहुत मनमोहक है। घूमते घूमते हम लोग एक सेब के बाग के सामने पहुंचे। बाग में नाशपाती, सेब और अनार से लदे पेड़ हमें अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। उन्हें छू कर देखने की इच्छा हुई। हम लोग बाग का गेट खोल ही रहे थे कि एक बेहद खूबसूरत लड़की आ गई। कहा कि अंदर आना मना है। बहुत अनुरोध करने पर उसने कहा कि इस समय मैं स्कूल जा रही हूं। आप लोग शाम को आइए तो मैं आपको हर तरीके के फूलों और फलों के बारे में विस्तार से बताऊंगी।

सत्रह, अट्ठारह साल की उस लड़की में गजब की अदाएं थी। उसका चेहरा एकदम सेब जैसा लाल चमक रहा था। मैं उसे देखता ही रह गया था। शाम को हम सभी को मणिकरण साहिब जाना था मगर मैंने दोस्तों से बहाना कर दिया कि मेरे सर में दर्द है। मैं चाहता था कि जल्दी बाग में जाऊं और उस लड़की से मिलूं। दिन भर उसका सुंदर चेहरा मेरे दिमाग में घूम रहा था।

शाम को मैं बाग पहुंचा तो उसी गया जहां वह लड़की ने मुझे पूरा बाग घुमाया। वह बहुत ही शालीन लेकिन खुली हुई लड़की थी। उसने कहा कि इस बाग की रखवाली करनी पड़ती है वरना जानवर सब खराब कर देते हैं। जानवरों से ज्यादा परेशानी इंसानों से है। वे भी इन्हें काफी नुकसान पहुंचाते हैं, कच्चे ही फल तोड़ लेते हैं। उन्हें अधखिली कलियों को तोड़ने में मजा आता है। मुझे ऐसे लोगों से नफरत है।

उसने अपना नाम खुशबू बताया। उसने कहा कि मैं यही सामने घर में रहती हूं। मेरे बाबा मुझे पढ़ने भेजते हैं और मैंने इस बार इंटर पास कर लिया है। मैंने देखा कि उसके घर के सामने बहुत ढेर सारे फूल खिले थे। मैंने एक फूल की काली तोड़ लिया तो वह चिल्ला पड़ी। अभी तक जो लड़की मुस्कुरा कर बात कर रही थी अचानक रोआंसी हो गई। बोली इन्हें हाथ मत लगाना, चले जाओ यहां से।

आवाज सुन कर के उसके घर से एक आदमी बाहर आया उसने पूछा क्या हुआ। मैंने उन्हें बताया कि मैंने इन ढेर फूलों में से एक छोटी सी कली तोड़ ली तो यह चिल्लाने लगी और मुझसे नाराज है।

वे मुस्कुराने लगे और बोले, - “ मेरी खुशबू को फूलों से बहुत लगाव है, किसी को तोड़ने नहीं देती। कहती है ये भी तो मेरी तरह बच्चियां हैं जो पूरे वादियों में खूबसूरती और खुशबू बिखेरती हैं। ईश्वर ने इन्हें बनाया है इसलिए हमें कोई अधिकार नहीं है कि हम इन्हें नष्ट करें। वैसे भी इनका जीवन बहुत थोड़ा ही होता है उसमे भी लोग इन्हें तहस नहस करने से नहीं चूकते। एक एक फूल की देखभाल यह करती है। सूख जाने पर सूखे फूलों को जमीन में दबा देती है और और वहां से दोबारा फूल के पेड़ उग जाते हैं तो कहती है ही फिर उनका पुनर्जन्म हो गया। अब यह कई गुना फूल देंगे।“

मैंने उसकी भावनाओं की कद्र करते हुए उसे माफी मांगी और वापस आ गया । अक्सर सोचता था कि जिस लड़की के मन में प्रकृति के प्रति अगाध प्रेम है उसका व्यक्तित्व कितना उच्च आदर्श वाला होगा।

फूलों के प्रति उसका लगाव देख कर मैं उसका कायल हो गया था। मुझे उससे इश्क हो गया था। उससे बार - बार मिलने का मन हो रहा था। इत्तेफाक से मुझे फिर मनाली जाने का मौका मिला। पहुंचा तो उसके बाबा ने बताया कि वह परीक्षा देने मंडी गई है परसों आयेगी।

मैंने उनसे पूछा क्या खुशबू आपकी बेटी है? उन्होंने बताया कि मैं खुशबू के साथ अकेले इस कुटिया में रहता हूं और बहुत दिनों से इस बाग की रखवाली करता हूं। खुशबू मुझे यही ब्यास नदी के किनारे पड़ी मिली थी, जब मैं सुबह किसी काम से वहां गया था। पता नहीं कौन फूल सी बच्ची को छोड़ गया था। उसकी उम्र कोई दो-तीन हफ्ते की रही होगी। शायद बदनामी के डर से उसे नाजायज समझ कर फेंक दिया होगा। मैं उसे वहां छोड़ नहीं सकता था इसलिए उठाकर अपने साथ लाया। समझ में नहीं आ रहा था कि मैं इसका क्या करूं। कई लोगों से कहा लेकिन उसे अपने घर में रखने को कोई तैयार नहीं हुआ । पुलिस वालों ने भी कोई व्यवस्था नहीं की। मेरे साथ कोई महिला होती तो इस बच्ची को सहारा देती, दूध पिलाती। मेरे पास एक बकरी थी। मैंने उस बकरी के दूध से इस बच्ची को जिलाया। मेरे मन में आया कि मैं इस कुटिया में अकेला रहता हूं इसलिए एक से भले दो। चलो इसको यहीं पर रख लूंगा जब भी कोई आएगा तो उसे दे दूंगा। खुशबू मेरे साथ बड़ी होने लगी। बहुत खूबसूरत बच्ची थी यह एकदम फूल की तरह। मैं उसका नाम किसी फूल के नाम पर रखना चाहता था मगर मुझे पता नहीं था कि वह हिंदू है मुसलमान है या किस जात की है। मेरे मन में आया कि महक तो सभी फूलों में होती है इसलिए उसका नाम खुशबू ही रख दिया।

मैंने उनसे पूछा, " बाबा ! क्या खुशबू को इन सब बातों का पता है?" उन्होंने कहा बेटा सभी को अपने बारे में एहसास हो जाता है और जब उसने मुझसे पूछा तो मुझसे गलत नहीं बोला गया। मैंने सब कुछ साफ-साफ उसको बता दिया कि मुझे वह कहां मिली है और किस अवस्था में मिली है।

फिर वे बोले,- "बेटा बहुत शालीन लड़की है। मेरी बहुत सेवा करती है और फूलों से प्यार करती है । पढ़ने में बहुत तेज है, हमेशा वह क्लास में फर्स्ट आती है। जब उससे पूछा जाता है कि तुम क्या बनना चाहती हो, तो कहती “ फूल वाली लड़की” जबकि दूसरे बच्चे डॉक्टर, नर्स, पायलट या इंजीनियर या किसी बैंक में बहुत बड़ी अधिकारी बनना चाहते हैं। खुशबू न जाने कहां से प्रेरित हुई थी। उसके थोड़ा बड़ा होने पर एक दिन मैं रजनीगंधा के फूल ले आया और कहा खुशबू बेटा यहां आओ देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूं। इसे तुम ले जा करके अपने कमरे में सजा दो। खुशबू फूलों को हाथों में रख कर बहुत देर तक न जाने क्या सोचती रही। फिर उसने मुझसे रजनीगंधा फूल का पेड़ ले आने को कहा। उसने पेड़ को बड़ा किया। उसमें दो फूल निकले थे। एक फूल बकरी ने तोड़ दिया तो वह बहुत उदास हो गई थी। मैंने समझाया बेटा कोई बात नहीं तुम्हारे पास तो एक और है।

वह बोली- " बाबा!आप तो कहते हैं कि मैं भी फूल हूं। इसीलिए मेरा नाम आपने खुशबू रखा है। क्या आप हमें भी इसी तरह किसी को तोड़ने देंगे?" इस अजीब प्रश्न से मै स्तब्ध था। मुझे कोई जवाब नहीं सूझ रहा था।

बिना उससे मिले ही मैं वापस फिर दिल्ली आ गया। उसके बाबा से जो पता लाया था उस पर मैंने दीपावली वाले दिन एक ग्रीटिंग कार्ड भेजा। कुछ दिनों बाद उसका जवाब आया। उसने बहुत-बहुत धन्यवाद कहा था। उसके बाद तो हम लगातार एक दूसरे को पत्र भेजने लगे।

एक साल बाद मै फिर में कुल्लू पहुंचा तो केवल एक कार्यक्रम था - खुशबू से मिलना और उसे बहुत ढेर सारी बातें करना । बातों बातों में उसने बताया कि वह एक फ्लोरिस्ट बनना चाहती है। मैंने उससे वादा किया कि उसकी हर तरह की मदद करूंगा और दिल्ली में उसे बाकायदा प्रशिक्षित कराऊंगा। वहीं पर उसकी दुकान भी खुलवा दूंगा। सुनकर वह बहुत खुश हो गई थी।

वह बड़ी बड़ी बातें करती थी । कहती समाज को सुधारने कि जरूरत है। लड़कियों की हालत तो बहुत खराब है। माता पिता और समाज लड़की को एक बोझ मानते हैं जबकि आज की दुनिया में लड़कियां लड़कों से किसी भी मायने में कम नहीं है। लड़कियां का लाभ सभी उठाना चाहते हैं लेकिन अपने घर में पैदा ही नहीं होने देते। आज कन्या भूण हत्या जैसे अपराध भी देखने को मिल रहा है। उसके प्रति हमें आवाज उठानी चाहिए। यदि हमारे जीवन की बगिया में लड़कियों के रूप में फूल नहीं होंगे तो जीवन में महक कहां से आयेगी। पैदा होते ही मेरी मां ने ही शायद मुझे फेंक दिया था मर जाने के लिए।

इतना ही नहीं, खिलने से पहले ही लोग फूलों की तरह ही उन्हें मसलने से भी नहीं चूकते। अक्सर बलात्कार के किस्से सुनायी पड़ते हैं । दोष भी ज्यादातर लड़कियों को ही दिया जाता है । क्या लड़कियों को सिखाया जाता है कि बलात्कार से खुद को कैसे बचाना है। हंसकर बातें करने का मतलब लोग यही समझते हैं कि लड़की अच्छी नहीं है जबकि फूलों जैसी लड़कियां होती हैं भोली भाली, कोमल, सुंदर, और नाज़ुक।

मन से बहुत मजबूत थी वह। कहती कि फूल जैसी हूं पर इतनी नाजुक भी नहीं कि मैं किसी के हाथों टूट जाऊं और इतनी असहाय भी नहीं कि लोग मुझे पैरों से कुचल दें। फूलों को कोई तोड़ता है तो मुझे बलात्कार का एहसास होता है। इसलिए मैं चाहती हूं कि हर एक फूल की रक्षा हो। किसी फूल में कोई भेदभाव न हो। भगवान ने इन्हे जितना जीवन दिया है उतना इन्हे लहलहाने देना चाहिए।"

हालात बदले, उसका दाखिला एक बड़े मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में हो गया, वह दिल्ली आ गई। हमारे बीच प्यार गहराया तो हम शादी की बात भी करने लगे।

वह एक फ्लोरिस्ट बन गई थी। मगर सबसे अलग तरीके वाली। फूल की जगह फूल के पेड़ सहित बुके बनाने वाली ।

मेरी खुशबू से शादी भी हो गई । उस दिन हमारी सुहागरात थी । कमरे में बहुत हल्की म्यूजिक बज रही थी " रजनीगंधा फूल तुम्हारे महके जीवन में" खुशबू ने सुहाग रात के लिए कमरा खुद ही सजाया था । पूरा कमरा आशियाना और इश्क से भरा हुआ प्रतीत हो रहा था। फूल और पत्तियों से सजे कमरे की एक दीवाल पर तमाम तरह की लताएं और झाड़ियां लटक रही थीं तो फर्श पर फूलों के बेशुमार रंग बिरंगी कतारे दिख रही थी। डेकोरेटिव गार्डन सा बना हुआ था कमरा। बिल्कुल नए तरीके से सजावट की गई थी जिससे एक एवरग्रीन डेकोरेटिव लुक मिल रहा था। कहीं लेस को गमलों के उपर लगा कर, कहीं गमलों को शाइनिंग पेंट करके या रस्सी लपेट कर खूबसूरत आकार दिया गया था जहां भीनी भीनी महक वाली खुशबू भी थी।

मुझे याद आता है कि वह कहती थी कि भगवान ने प्रकृति को सजाने और खुशनुमा पर्यावरण निर्मित करने के लिए सभी पौधों को फूल दिए हैं मगर हम उन्हें खराब कर देते हैं। फूल आपका भाग्य बदलकर आपके जीवन में खुशियां भरने की क्षमता रखते हैं। फूल जिसके भी घर-आंगन में खिलते हैं, वहां हमेशा शांति और समृद्धि का निवास होता है, आपकी सोच सकारात्मक होती है। फूल के कई औषधीय गुण भी होते हैं। इतना कुछ होने के बावजूद भी हम उन्हें पूरा महत्व नहीं देते।

वह एक दिन एक पार्टी में गई थी वहां फूलों से बहुत अच्छी सजावट की गई थी। खुशबू उनको देखकर खुश न हो कर दुखी थी। पुंछने पर कहा इतने फूलों की बर्बादी हो रही है। पेड़ों में लगे होते तो इनकी खुशबू पूरे वातावरण को महका रही होती। मगर इन को तोड़ दिया गया और उन पेड़ों को वीरान कर दिया गया। आखिर फूल भी पेड़ों के लिए बच्चों की तरह हैं फिर उनके साथ इस तरह सलूक क्यों? कुछ देर बाद ही यह फूल सूख जाएंगे और इन्हें फेंक दिया जाएगा कूड़ेदान में। इस बात से काफी व्यथित रहती थी।

बचपन में जब खुशबू हदिंबा देवी के मंदिर गई थी तो वहां चढ़े हुए फूल का अंबार लगा था। उसी पर लोग चढ़कर जा रहे थे। खुशबू कह रही थी अंकल फूल हैं, इनके ऊपर पैर मत पर रखिए। कुछ फूल मुरझाए और कुछ सूखे थे। कुछ सड़ गए थे। खुशबू उन्हें धो रही थी और प्यार से सहला रही थी। वह कहा करती थी कि भगवान की मूर्ति पर हजारों किलो फूल रोजाना चढ़ाए जाते हैं और उन्हें तुरंत हटा भी दिया जाता है एक भी फूल भगवान ले नहीं जाते और उनको कूड़े में फेंक दिया जाता है। इस प्रकार हम फूलों का अनादर ही तो कर रहे हैं। आज पर्यावरण को बचाना है तो इन फूलों की बर्बादी रोकना ही पड़ेगा।" उसकी ख्वाहिश है कि इन फूलों से खाद या ऊर्जा बनाने की व्यवस्था करनी चाहिए।

फ्लोरिस्ट के रूप में उसने कई जगह सजावट किया जिसमें गमले में हरे भरे पेड़ पौधे और रंग-बिरंगे फूल, हैंगिंग गमले में फूलों वाले पौधों और फूलों की लटकने वाली बेलो का प्रयोग करती थी।

खुशबू का मानना है कि फूल को तोड़ कर गुलदस्ता बनाकर देने से अच्छा है कि आप एक छोटे गमले में फूल का पेड़ दे दें। इससे फूल कई दिनों तक तरोताजा बने रहेंगे। उसमें आगे भी फूल निकलते रहेंगे। जब चाहें इनको आप कमरे से हटा करके अपने गार्डन में भी लगा सकते हैं। इस प्रकार फूलों के जीवन को काफी हद तक बढ़ाया जा सकता है। तमाम ऐसे फूल हैं जिन्हें छोटे गमले में ही लगाया जा सकता है और उन्हें डेकोरेट करके गिफ्ट आइटम या बुके के रूप में भी बनाया का सकता है।

आज खुशबू एक बहुत बड़ी फ्लोरिस्ट बन गई है। उसके काम की बहुत मांग है। बड़े-बड़े घरों में जब भी कोई समारोह अथवा पार्टी होती तो सजावट का काम उस खुशबू को ही मिलता है जो मुझे जीवन भर के लिए मिल गई है।

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