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साली पर नजर

“साली पर नजर”

आर0 के0 लाल


घर में शादी का माहौल था सौम्या की दीदी की शादी थी इसलिए उसकी कई सहेलियां आई थी। रात में गाना बजाना चल रहा था और सौम्या का डांस भी। सभी सहेलियों ने कहा – “देखो दूल्हे की साली साहिबा कैसा नाच रही है, अब तो उसकी बल्ले बल्ले है । वह तो जीजा को उंगलियों पर मचाएगी उन से भरपूर फायदा लेगी।“ उसकी सहेली दिव्या ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि क्या बताऊं यार! मेरी तो कोई बड़ी बहन ही नहीं है मुझे तो साली का मजा मिलेगा ही नहीं। सब ने हंसते हुए कहा अरे भई इसमें क्या है सौम्या से बात कर ले, वह तुम्हें भी जीजा से मिलवा देगी आखिर वह उनकी आधी घरवाली होगी न।

सुमन को यह शायद अच्छा नहीं लगा। उसने कहा - " साली होती है आधी घरवाली" कहावत ने हमारी मानसिकता को बेज़ार कर दिया है। आज सभी इसका गलत मतलब ही निकालते हैं। अब तो रिश्ता तय करते समय लड़्के लोग अपनी पत्नी बनने वाली लड़की की बहन को पहले देखना पसंद करते हैं। उसने बताया कि पुष्पा अपार्टमेंट में रहने वाले गुप्ता जी अपनी बड़ी लड़की छवि की बात आगरा के एक बिजनेसमैन से चला रहे थे। सब कुछ तय हो गया था इसलिए वे सपरिवार लड़की दिखाने आगरा गए, साथ में उनकी छोटी बेटी तम्मना भी गई। छवि तो चुपचाप बैठी थी परंतु तमन्ना वहां पर काफी एक्टिव थी। लड़के को बताया गया कि ये तुम्हारी साली है। तम्मना ज्यादा खूबसूरत तो नहीं थी परंतु ज्यादा चुलबुली और फैशनेबल थी। वह लड़के को भा गई, उसने जिद कर ली कि शादी तमन्ना से ही करेगा। हालांकि यह बात किसी को अच्छी नहीं लग रही थी मगर गुप्तजी ने सोचा कि कम से कम एक तो निपटेगी, उन्होंने हां कर दी। बेचारी छवि देखती रह गई। अंदर से रो रही थी मगर ऊपर से मुस्कुरा रही थी। उसे लगा की तमन्ना मना कर देगी मगर वह तो खुश थी। कुछ नहीं कहा उसने और सगाई की अंगूठी भी सहर्ष पहन ली। इन बातों से छवि के अरमान इस तरह टूटे कि उसने अपनी सगी बहन से रिश्ता ही खत्म कर लिया। बहुत दिनों तक उसकी शादी कहीं तय नहीं हुई तो वह मानसिक तनाव का शिकार हो गई। अभी तक उसने शादी नहीं की। मुहल्ले वालो ने भी कहा था गुप्ता जी को ऐसा नहीं करना चाहिए था।“

सौम्या की दीदी ने कहा कि शादी के बाद भी अनेकों ऐसे किस्से सुनाई पड़ते हैं जब परिवार वालों को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। हवस कई बार जीजा और साली के रिश्तो पर हावी हो जाती है फिर रिश्ते को शर्मसार करने वाली घटनाएं घटित हो जाती हैं। कहीं जीजा जी साली का अपहरण कर लेते हैं तो कहीं साली जी ही जीजा के साथ भाग जाती है ।

पूनम ने अपने विचार रखे कि हमारे समाज में जीजा साली का रिश्ता अत्यंत नाजुक माना जाता है। इस रिश्ते में छेड़छाड़ को सामाजिक मान्यता भी मिली है। भई! जब हमारी दीदी की शादी हुयी थी तो हम अपने जीजू से खूब मजाक करते थे। उन्हें खूब छेड़ते थे, खूब परेशान करते थे। वे बहुत सीधे थे, हम लोग से इतना डरते थे कि चारपाई के नीचे छुप जाते थे। फिर भी हम उन्हें खींचकर परेशान करते थे। क्या जमाना था वह भी। आज भी याद आती है तो मजा आ जाता है, लेकिन हम लोग अपनी मर्यादाओं को नहीं भूलते थे। हमारी दीदी, मम्मी और पापा सभी को हम पर विश्वास था। हमने उसे कभी टूटने नहीं दिया। पता है, जीजा और साली के रिश्ते में छोटी सी अनैतिकता आ जाने के फलस्वरूप पत्नी को एक तरफ अपने पति और दूसरी तरफ अपनी बहन की गलतियों से भारी ठेस पहुंचती है। उनके बीच पड़ गई दरारें कभी नहीं भरती। रश्मि के साथ भी ऐसा कुछ हुआ।

रश्मि की शादी विनोद से हुई और वह अपनी ससुराल पहुंच गई। उसकी दो बहनें कुसुम और राधिका भी थी। दोनों काफी सुंदर थी। अक्सर विनोद ससुराल जाता और उन दोनों से हंसी ठिठोली करता। कभी वह कुसुम को लेकर मोटरसाइकिल पर बैठा कर घर लौटता, फिर उसे छोड़ने भी जाता। अपने जीजा के साथ ही जा रही है यह सोचकर घर वाले कुछ नहीं कहते। इस तरह दो-तीन साल बीत गए। फिर रश्मि को दोनों में कुछ ज्यादा ही लगाव दिखाई पड़ने लगा। वे दोनों रश्मि से तमाम बातें छुपाने लगे और बिना बताए मॉल जाते, फिल्म देखते। रश्मि ने सोचा कि थोड़ा बहुत छेड़छाड़, साथ घूमना जीजा साली में चलता ही है लेकिन उससे पता ही नहीं चला कि कुसुम और विनोद के पांव कब बहक गए और एक दूसरे में कब उनका विलय हो गया। पता तब चला जब एक बार रश्मि के पापा का फोन उसको आया कि कुसुम घर वापस क्यों नहीं आ रही है जबकि कह गई थी कि दो दिनों में वापस आ जाऊंगी। रश्मि ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा वह तो यहां अाई ही नहीं। उसके पापा ने आगे बताया कि वह इस महीने तीन बार तुम्हारे यहां जा चुकी है। कहा था कि तुम्हें उसकी जरूरत है इसलिए रात में वहीं रुकी थी । रश्मि ने कहा मगर कुसुम तो दो तीन महीने से यहां आई ही नहीं। उसे याद आया कि विनोद भी तीन बार कम्पनी के काम से बाहर दौरे पर था। अभी भी वह कलकत्ता गया है। फोन रखते ही रश्मि धड़ाम से बैठ गई, उसे लगा कि उसका पूरा शरीर निष्प्राण हो गया है। उसके सामने अंधेरा छाने लगा। उसका शक सही निकला जब उसने विनोद के एक सहकर्मी की सहायता से पता करवाया। अब तक वह जिन बातों को नजरअंदाज कर रही थी उसी का नतीजा आज उसके सामने आ गया था। पता चला कि दोनों मुंबई चले गए हैं और वहां एक मंदिर में शादी भी कर ली है। तलाक भी नहीं लिए। रश्मि के पापा के पास इतना सामर्थ नहीं था कि वह मुकदमा करते। अपनी किस्मत को कोसते हुए उन्होंने चुप बैठना ही उचित समझा। पता चला है कि साल भर बाद विनोद ने कुसुम को भी घर से निकाल दिया। अब दोनों न घर के हुए न घाट के।“

सुनयना ने भी बताया कि उसकी शादी के बाद उसकी छोटी बहन हमेशा मेरे पति से हंसी मजाक करती थी। वह भी उसे उसी तरह का रिस्पांस देते थे, आपस में पकड़ा पकड़ी करते। धीरे धीरे उन दोनों के बीच कुछ अधिक उत्साह बढ़ गया। पहले तो मै टालती रही और दोनों को समझाने का प्रयास करती रही। मगर एक दिन मैंने देखा कि दोनों बाजार गए, पिक्चर देखी और काफी रात बीतने पर घर वापस आए। यह सब बातें मुझे बर्दाश्त नहीं हो रही थी। मैंने खुलकर मम्मी को सभी बातें बताईं। मम्मी ने भी साधना से बात की मगर साधना साफ मुकर गई ऐसा कुछ नहीं है जियाजी से मुझे घुमाते फिरहते हैं, बाजार में कुछ खिलाते हैं, कभी-कभी कुछ गिफ्ट दिलाते हैं। मैं भी उनकी बड़ी इज्जत करती हूं और उनके भी कुछ काम करती रहती हूं। दीदी जबरदस्ती मेरे ऊपर इल्जाम लगा रही हैं। कुछ दिनों तक तो उस उसका प्रभाव था मगर एक दिन मैंने देखा कि उनके बीच पकड़ धड़क कुछ ज्यादा हद तक पार कर रही थी। अब मैंने अपने पिताजी की मदद लेनी चाही। मैंने उनसे बताया कि आप इसका कोई हल जरूर निकालें। वे उसे पढ़ने के लिए दूसरे शहर में भेज दिये और फिर जल्दी ही उसकी शादी वहीं तय करा दी। इस प्रकार मेरा घर बर्बाद होने से बच गया मगर हम दोनों के बीच पनप गई कटुता कई वर्षों तक बनी रहे।

कंचन की शादी अभी एक महीने पहले ही हुयी थी। सबने पूंछा कि तू चुप ही रहेगी क्या? तूने अपने जीजा के बारे मैं अपने हब्बी को बताया कि नहीं? कंचन ने बताया कि शादी के कुछ दिनों के बाद ही एक रात मेरे पति ने कहा कि तुम अपनी पिछली लाइफ के बारे में मुझे बताओ। तुमने क्या क्या किया? कितनी मस्ती करती थी? किसके साथ घूमती फिरती थी? तुम्हारे कितने बॉयफ्रेंड रहे हैं? मैं तो इस प्रश्न के लिए तैयार थी। मैंने बड़ी नम्रता से कहा माय डियर आजकल का माहौल ऐसा है कि सभी लड़कियां मौज मस्ती करती हैं और बॉयफ्रेंड के साथ घूमती हैं इसलिए आपका यह प्रश्न करना सामान्य सी बात है। मगर मेरे घर का संस्कार इस तरह के नहीं थे। हम लोग को इतनी आजादी नहीं मिली थी इसलिए हमें कोई बॉयफ्रेंड बनाने का मौका ही नहीं मिला।

मेरे पति ने हंसते हुए कहा ऐसा हो ही नहीं सकता। कम से कम अपने जीजा के साथ तो तुमने मौज मस्ती की ही होगी। उन पर तो तुम्हारा आधा हक रहा ही होगा। वैसे भी वह बहुत ही पहुंचे हुए इंसान लगते हैं। ऊपर से देख कर उन्हें कोई नहीं समझ सकता। तुम सही सही बताना।

मैंने कहा - आप से पहली बात तो यह कहना है कि शादियां सदैव आपसी विश्वास की नींव पर टिकती है जिससे आपस में प्यार बना रहता है इसलिए मेरे पर विश्वास कीजिएगा। मैं आपसे कभी कोई बात नहीं छिपाऊंगी। आप अन्यथा न सोचे। मेरे साथ इस तरह की कोई बात नहीं हुई जो अमर्यादित हो। हां ! यह बात सच है कि जीजा साली के रिश्ते में कभी – कभी कुछ लोग गलत चीजें कर जाते हैं, ऐसी चीजें जिनके परिणाम बुरे होते हैं पर इसका ये मतलब नहीं है कि सभी लोग बुरे हैं । मेरी जीजा जी की नजर मेरे पर रहती अवश्य थी जो बुरी नजर कदापि नहीं थी। वे तो एक शख्त गार्जियन की तरह मेरे से व्यवहार करते थे।“

फिर मैंने उन्हे बताया कि जब दीदी की शादी हुई तो मैं मात्र सत्रह साल की थी। आप समझ सकते हैं कि एक लड़की के लिए सत्रह साल की वय क्या होती है। जीजा एवं दीदी की प्रणय की बातों को सोच कर एवं उनकी हरकतों को देखकर मेरे भी सीने में एक आग सी लग जाती थी। जीजू को देखकर मेरा दिल बल्लियों पर उछलने लगता था। मेरी इच्छा होती थी कि मैं भी जीजू से छेड़छाड़ करूं। एक दो बार जब मैंने कुछ उनके साथ शरारत की तो वे उस समय कुछ नहीं बोले मगर बाद में उन्होंने मुझे बुलाया और डाटते हुये कहा तुम मेरी सिस्टर इन ला हो अर्थात कानूनन तुम मेरी बहन हो। हम लोगों को ठीक उसी तरह रहना होगा जैसे एक भाई बहन रहते हैं।

घर में छोटी होने के नाते सब मेरी मर्जी का फैशनेबल गिफ्ट जैसे टॉप एवं जींस आदि देते थे । मै भी एक मॉडल कि तरह सज संवर कर निकलती थी। जीजा जी इसे अच्छा नहीं मानते थे । उन्होंने दीदी से कहा देखो तुम्हारी बहन का इस छोटे से शहर में ऐसा रहन सहन अच्छा नहीं है कभी भी कोई मुसीबत खड़ी हो सकती है इसलिए उसे रोको। अब वह बच्ची नहीं है। दीदी ने मुझे सब बताया था। जीजा जी की वजह से ही मैंने वह सब छोड़ा और एक सभ्य शालीनता वाला तरीका अपनाया। उन्होंने अश्लीलता का मतलब और उससे होने वाले खतरों के प्रति आगाह किया। उनका मानना है कि अश्लीलता का दफन महिलाएं ही कर सकती हैं। कहते हैं कि आज जिधर नजर उठाइए उनके अनेक ऐसे अश्लील दृश्य मिल जाएंगे जो मन को आनंदित तो कर सकते हैं मगर उनका प्रभाव सामाजिक व्यवस्था के लिए घातक है। कुछ लड़कियां अपनी छवि खुद ही बिगाड़ रही है शायद उनका दिल उनके बस में नहीं है उन्हें अच्छा लगता है अपनी अश्लीलता प्रदर्शन करने में। आजकल लड़कियां फूहड़ मॉडलिंग क्यों करती हैं , बेहूूूूदा कपड़े क्यों पहनती हैं उनके टॉप पर लिखे बहुअर्थी स्लोगन का क्या आशय होता है? फिर लड़के छेड़ते हैं तो उन्हें ही क्यों दोष दिया जाता है? उन्हे भी सोचना चाहिए कि वह क्या कर रही हैं? यदि जीजा मनचला है तो साली को चाहिए कि उसके मनचलेपन पर रोक लगाएं। स्वयं भी न बहक जाए ताकि उनके बीच प्रेम प्रसंग शुरू ही न हो। अपनी बहन से भी मदद ली जा सकती है।

यह सुन कर मेरे पति ने तारीफ की और ऐसे प्रश्न के लिये माफी मांगी उन्होने कहा ‌ साली से रिश्ता बनाने रखने के लिए उसके साथ कुछ समय गुजारना अच्छा है। बड़े होने के नाते जीजा का फर्ज होता है कि उसके साथ एक मर्यादित व्यवहार करें और उस पर कठोर नजर रखे। साली को गिफ्ट दें लेकिन उसे ऐसा न लगे कि वह प्यार का इजहार करने के लिए है। हर मौके पर उसका सच्चा दोस्त बन कर उसके समीप तो रहे लेकिन एक बाउंड्री बना करके रखें ।

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