मन्दिर के चबूतरे पर मजलिस लगाने वाली महिलाओं को नयी जगह मिल गयी थी वो भी सालों से वर्जित स्थान. वर्जित फल खाने का मज़ा ही कुछ और होता है. महिलाएं अब हवेली के ढहे हुए हिस्सों का निरीक्षण भी करने लगीं थीं. महाराज कभी-कभार बोल के आशीर्वाद देने लगे थे अब. कभी न बोलने वाले महाराज जब किसी को ’सौभाग्यवती भव’ कहते तो उस औरत के चारों ओर सौभाग्य नाचने लगता . दूसरी औरतें ईर्ष्या से उसे देखतीं.
किसी की ओर नज़र भी न उठा के देखने वाले महाराज को पूरे मोहल्ले के लोगों ने अघोषित चरित्र प्रमाण पत्र दे दिया था, वो भी “ वेरी गुड” टीप के साथ. ख्याति दूसरे मोहल्लों तक भी पहुंचने लगी थी. इसलिये भी, क्योंकि ये पूरा सरंजाम उस हवेली में हो रहा था जो अपने भुतहापने के कारण पहले ही ख्यात थी. लोग दर्शन करने आते थे उस बाल ब्रह्मचारी के, जो फिलहाल मौन धारण किये है. जो केवल फलाहार पर रहता है इन दिनों. अद्भुत तपस्वी है. जो मुख से बोल दे, पूरा हुआ समझो. बीमार पर हाथ रख दे, तो ठीक हुआ समझो. सावित्री वाली घटना पूरे में फैल गयी थी. कई दिनों से सावित्री , अरे वही प्रेमप्रकाश की बीवी , बुखार आ रहा था उसे, अभी चार दिन पहले महाराज जी ने उसके सिर पर हाथ रखा, और थोड़ी देर में ही सावित्री को लगने लगा कि उसकी तबियत ठीक हो रही है. दो दिन बाद तो सचमुच ही उसका बुखार गायब हो गया था. तब से लोग बीमारों को लेकर आ रहे हैं महाराज के पास. लेकिन महाराज सबके सिर पर हाथ नहीं रखते. सिद्ध महाराज हैं न. भगवान का आदेश मानते हैं. जिस के लिये उन्हें ऊपर से आदेश मिलता है उसी के सिर पर हाथ रखते हैं.
हवेली गुलज़ार हो रही थी…..
आज महाराज को फलाहार छोड़ भोजन करना था. ललितेश्वर महाराज पहले ही सबको बता चुके थे कि महाराज जिसके सिर पर हाथ रख देंगे, वही उनकी रसोई बनायेगा. औरतों में ग़ज़ब खलबली थी. सब चाहती थीं, कि महाराज उनके सिर पर हाथ रखें. शाम पांच बजे से ही हवेली का बरामदा भरने लगा था. रात को महाराज भोजन करेंगे. छह बजे महाराज ने दर्शन दिये.
बोलो बाल ब्रह्मचारी सत्यानन्द जी महाराज की…
जय जय जय
“शिव बोल मेरी रसना
घड़ी घड़ी….. घड़ी घड़ी……घड़ी घड़ी….
कीर्तन चरम पर है. महिलाएं झूम रही हैं. पुरुष भजन में स्वर को ऊंचा और ऊंचा उठाने की होड़ में हैं.
ललितेश्वर महाराज ने हाथ उठाया और कीर्तन बन्द हो गया. अब प्रणाम और प्रसाद वितरण. प्रणाम के दौरान चरण स्पर्श करती महिलाओं में से महाराज ने एक बुज़ुर्ग महिला के सिर पर हाथ रखा है. पूरा भक्त समुदाय प्रसन्न है. महाराज की युवावस्था को लेकर उन पर शक़ करने वालों की सोच पर ताला पड़ गया जैसे. महाराज कितने पवित्र हैं! चाहते तो किसी युवा स्त्री के सिर पर हाथ रख सकते थे. अब है शक़ करने जैसा कोई कारण? जैसा कि आजकल के तमाम बाबाओं के बारे में सुनने को मिल रहा है, ये महाराज उन सबसे एकदम अलग हैं. कृत-कृत्य हुए लोग घर की तरफ़ जा रहे हैं. बुज़ुर्ग महिला को हवेली में ही रुकना है भोजन बनाने तक. दूसरी औरतें उस बुज़ुर्ग महिला को हसरत से देखते हुए वापस लौट रही हैं.
(जारी)