छुपी सच्चाई Smit Makvana द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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छुपी सच्चाई

छुपी सच्चाई

मेने अपने दोस्त(राहुल) को फोन करके अपने साथ बुला लिया ताकि कोई समस्या आये तो हम दोनों एक दूसरे को संभाल शके। राहुल की फिटनेस बहुत ही अच्छी थी, थोड़ी देर बाद वो लोग पापा को गाड़ी में लेकर चले गए। राहुल उन लोगों का पीछा करने लगा और में वही बिल्डिंग में हर एक रूम तलाश ने लगा जिससे मुझे कुछ पता चले की ये लोग क्या करने वाले है। हम दोनों ने अपने फोन GPS से कनेक्ट कर लिए।

मेरे दिमाग में उस वक्त कई सवाल घूम रहे थे, कौन थे वो लोग?, उसने पापा को क्यों पकड़ के रखा है?, आखिर इतने सारे लोग इतनी सारी सिक्योरिटी किस लिए? क्या होने वाला है? वो जो आदमी पापा का रूप लेकर आया था वो कौन था? और वह किस लिये आया था?........ इतने सारे सवालों सवाल घूम रहे थे!

तभी में आखरी कमरे की और गया वहां ताला लगा हुआ था। मेने अपनी चालाकी से उसे कई दफा खोलने का प्रयाश किया पर ताला खुला ही नहीं, अंत में मैने उसे तोड़ दिया। मेने वहां जाकर देखा तो एक लड़की बेहोश पड़ी हुई थी।

उसके शर पर किसी ने बोहोटी भरी चीज़ से मारा हुआ लगता था, उसके होठो से खून निकल रहा था। वो बेहोश थी और उसके हाथ पैर पर किसी चाकू या खंजर से वार किया हुआ लगता था। ऐसा लगता था जैसे उसके साथ कोई जबरदस्ती हुई हो। पर क्यों वो लोग इस लड़की के पीछे पड़े है? आखिर है कौन वो लड़की? उसका पापा से क्या लेना देना? ना तो उस लड़की के पास कोई फोन, id card और कुछ भी नहीं मिला। वो अभी होश में भी नहीं थी और यहाँ पानी भी नहीं था।

तभी मुझे राहुल का कॉल आता है, वो मुझे बताता है कि,"उन लोगो ने पापा को लेकर शहर के दूसरे तरफ लेकर गए है। और यहाँ भी ऐसे ही 50-60 गार्ड्स है, और वो लोग बात कर रहे थे की उस जगह काम खत्म करके शहर से निकल जाओ! मेरे भाई तू वहां से निकल जा वो लोग वही पर आ रहे है।" यही बोलकर उसने कॉल कट कर दिया।

मुझे लगा की वो लोग इस लड़की को मारने आ रहे है। मे उस लड़की को यहाँ मरने नहीं छोड़ना चाहता था। मेने यही रूक कर उन लोगो का इंतज़ार किया, जैसे तैसे मेने उस लड़की को दूसरे कमरे में ले गया। और उसके दरवाज़े पे मैंने स्टील की तारे लगादी और उसके थोड़े ही आगे एक बड़ा सा पत्थर रख दिया, ताकी कोई उसे ढूंढने अंदर कमरे में आये तो स्टील की तार उसके पैर में आये और वो गिर तो उसका शर पत्थर पर आये जिससे वो उस लड़की को कुछ ना कर सके।

तक़रीबन आधे घंटे तक मेने उनका इंतज़ार किया, पर वो लोग आये ही नहीं। मेने राहुल को कॉल किया तो उसने बोला की, "काम हो गया यार उसने तेरे पापा को छोड़ दिया। अब तुम भी घर आ जाओ।"

अरे काम हो गया और वो लोग यहाँ आये ही नहीं इसका मतलब क्या होता है?..... शायद उन लोगो ने काम किया ही ना हो.... नहीं ये लोग कुछ बोहोत ही बड़ा क्राइम कर रहे है... मेरा मन ये कह रहा था। में वापिस उस कमरे में गया... शायद कुछ मिल जाये।

वहां पर मेने देखा तो बोहोत सारी धूल-मिट्टी थी और खून के निशान ...... पर वहां एक रंगोली जैसा था एक दम रूम के बिच में। वह कुछ दरवाज़े जैसा था, मेने उसे खोल कर देखा तो वहां पर उसके अंदर एक और कमरा था। वहां पर बोहोत सारा पैसा था, 3 लाश पड़ी हुई थी। 2 लड़के और 1 लड़की की और उसके अंदर भी कई गैरक़ानूनी चीजे थी।

यह सोच कर मुझे यह तो पता चल गया कि ये काम किसी बड़े लोग कर रहे है और बोहोत कुछ बदलने वाला है। मेने उन चीजों की फोटो लेली और घर चला गया।

पापा घर पर बैठे हुए थे, थोड़े से उदास थे। जब मैंने पापा को पूछा की क्या हुआ तब उन्होंने कहा कि," कुछ नहीं बस काम की टेंशन है।" और यही कहकर बात तो टाल दिया। मेने ये बात राहुल से की... में बोहोत टेंशन में आ गया था, क्या करूँ कुछ पता नहीं चल रहा था। मुझे जानना था कि वो लोग कौन है? क्यों ये सब कर रहे है? और किस लिए?.....!

और अब आगे......