मेरा जीवन - रोहिडा Mahipal द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

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मेरा जीवन - रोहिडा

आज गया था वहां जहाँ कभी मैंने अपने नन्हे पाव रखें थे जमी पर ,जहां कभी लहरातें खेत-खलीयान मे छोटी सी चार पाई पर सोया था कभी ,अपने आँखों उस आसु को रोक नहीं पाया जब मैने उन खेतो को देखा अपनी वीरानीया व अपनी वियोग -गाथा बया करते,मैं ने अपने मित्र जो बडी ही सादगी औंर विनम्रता से एक स्थान पर खडा अपनी बैचेनी बया कर रहा था कि कब मैं आऊँगा और उसे गले लगाऊंगा, मुझसे वो कुछ बोल नहीं सकता पर हम दोनो एक दूसरे की भावनाओं को जरूर समक्ष  पाते है, जब मे अपनी जमीन पर पहुंचा और एक लबी् रहात की सांस ली, वो सोंधी-सोंधी मिट्टी कि महक एक शरीर मे मानो कोई ऊर्जा ऊ्त्पन कर रही हैं, उस किनारे नजर पडी और देखा की उस जमीन का सबसे पुराने बुजुर्ग अपनी टहनियां रूपी लाठी लिए खडा हो ,मानो ऐसा प्रतीत हो रहा जैसे कि वो किसी का इँतजार कर रहा हो मेरी आंखें नम हो गई, अपने पैरो को रोक नहीं पाया और दौड़ पडा उस पेड़ कि और जो ,कभी बचपन में हमारा झुला हमारा सुख-चेन बना था मैंने उसे गले लगा लिया ,और रोने लगा ,उसकी संघर्षता मुझे बहुत ज्यादा ही एक प्रेरणा देती रही हैं। लेकिन जब मैं उसके पास पहुंचा तो मैंने देखा उसकी तरह ही कई मुखबाधीर प्राणीयो को वो अपनी ठंडी,निर्मल छाया दे रहा हैं, पता नहीं उसे इसका क्या परिणाम मिलता होगा ,मे जानना भी नहीं चाहता पर वह इन मनुष्यों से तो अच्छा है कि वह अपनी दया को हम सब मे बाँटता आया है, पता नहीं उसके होने का आज क्यु अहसास हुआ है, शायद वो अकेला ही नहीं जो अपना कार्य पुरी निष्ठा से करता आ रहा है, बस मनुष्य का नजरिया ही नहीं उसकी तरह होने का मनुष्य के पास हदृय तो है लेकिन उनका उपयोग नहीं कर पाता है उसके पास तो ऐसा प्रतीत होता है कि हदृय व करुणा से भरा पड़ा है मनुष्य अपने आंतरिक प्रेम को बाहर निकालने मे असमर्थ हैं ,हो मेरे पास एक पानी से भरी बोतल थीं मेने उसे वो पानी पिला दिया, यह मेरी छोटी सी भेंट थीं, मैंने अपना हाथ आगे बढाते हुएँ कहा अलविदा फिर मिलगेंं ,मेने अपने पैरों को पिछै लिया मैरी जेब मे कुछ गिरा मे डर गया मेने अपनी जेब टटोलने पर देखा कि केसरिया व पीले रंग का एक फुल था , जो उसे वह इस भेंट का एक यादगार लमहे को मेरे पास रखने को कह रह हो,मैं ने उस फुल को अपनी जेब मे वापस रख दिया, बडी ही प्रसन्नाता से अपने साथ रख लिया अब तो उससे दूर जाने का मन ही नहीं कर रहा था,लेकिन एक बार फिर से उसे अपने गले लगाया उसके औंर मेरे इस मुलाकात को मैं कभी नही भूलगा मेरी इस जीवन यात्रा मे उससे बढकर मित्र स्नेहं कभी नहीं होंगे, उसके बोलने या न बोलने से कोई फर्क नहीं पडता, पर वह एक मेरे जीवन में सघर्षता का एक उदाहरण मात्र ही रह गया, अच्छा दोस्त फिर मिलेंगे मेरी आँखो मे एक आँधियों सा बंवडर सा बन गया