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दूसरी लड़की।

रीमा और शाम की ज़िन्दगी बहुत अच्छे से चल रही थी कहीं कोई कमी नहीं थी, शाम का बड़ा सा कपड़ों का शौरूम था। रीमा घर पर ही दोनो बच्चौं  का ध्यान रखती और घर संभालती थी, रमा अपने जेठ जेठानी के साथ रहती थी। संयुक्त परिवार में किसी किस्म की कोई समस्या नहीं थी। घर पर नौकर चाकर और हर सुविधा जो आधुनिक जीवन शैली के लिए जरूरी थी, वो हर सुविधा थी। रीमा और शाम एक दूसरे से बहुत प्यार करते  थे। रीमा की जेठानी की भतीजी अकसर उनके घर आया करती थी पढ़ाई के बाद वो नौकरी के लिए प्रयास कर रही थी, एक दिन बातों बातों में ही रीमा ने अपनी जेठानी सीमी से उनकी  भतीजी शैली के लिए शौरूम में काम करने की बात कही शैली को भी  कोई ऐतराज नहीं था क्योंकि वो काम ढूंढ रही थी, और सीमी ने भी  हाँ कर दी कि चलो घर की बात है। शाम ने भी  कुछ नहीं कहा और शैली को काम पर रख दिया। शैली ने जल्दी ही काम सीख लिया था ,वो तो सभी  के जाने के बाद शाम के साथ साथ घर चली जाती, शैली को छोड़कर शाम भी  घर आ जाता था। रीमा की माँ की तबीयत खराब थी तो शाम के कहने पर वो कुछ दिन के लिए मायके चली गई थी बच्चौं को भी  स्कूल में छुट्टियाँ थी। शाम घर देरी से जाने लगा था रीमा और बच्चौं के बिना घर पर रौनक नहीं लगती थी। इसी दरमियां शैली और शाम में नजदीकियां बड़ने लगी थीं, शाम और शैली खाली समय में बातें करते और इतने करीब बैठ जाते कि अब शैली और शाम एक दूसरे का हाथ पकड़ लेते एक दूसरे को देखते रहते और अब एक दूसरे की आदत सी हो गई थी। एक दिन शैली नहीं आती तो शाम बेचैनी में कितने फोन करके पूछता कहाँ हो आई क्यों नहीं ?शैली का भी  यही हाल हो गया था अपने से पंद्रह सोलह साल बड़े शाम से शैली को न चाहते हुए भी  प्यार हो गया था यही हाल शाम का भी  था वो खुद को समझाता कि ये गल्त है मैं रीमा स प्यार करता हूँ मेरा परिवार खराब हो जाएगा पर कभी  कभी  दिल के आगे दिमाग काम करना बंद कर देता है। शैली ने तो शाम को मुँह पर कह दिया था कि उसे अपनी पत्नी बना लो रीमा को छोड़ दो शाम को तो शैली को खोने से भी  डर लगता था उसने शैली से झूठ कह दिया था कि रीमा को किसी पंडित ने कहा कि वो जल्दी ही मर जाएगी । हर हाल में एक दूजे को पाने की जिद आ गई थी। सीमी को जब इस बात की भनक लगी उसने भाई से कह कर शैली का काम पर आना बंद करा दिया था। रीमा घर आ चुकी थी वो भी  सब समझने लगी थी उसने तो अपने पैर पर खुद ही कुल्हाड़ी मारी थी शैली को काम दिलवा कर। शाम धीरे धीरे पीछे हटने लगा था पर शैली ने शादी नहीं की , उसकी जिद शाम को पाने की थी, वो रीमा के मरने का इंतज़ार कर रही थी, घरवालों ने उसे हालात पर छोड़ दिया था अब हफ्ते महीने और साल होने लगे थे शाम से मिले हुए, शाम भी  अपनी ज़िम्मेदारी समझ चुका था और अपनी हरकत पर शर्मिंदा था पर शैली की ज़िन्दगी उसकी वजह से खराब न हो ये फिक्र भी  थी, रीमा ने शाम को माफ कर दिया था पर शैली को लेकर एक डर अभी  भी  मन में था । समय के साथ हालात बदल  रहे थे अब शैली की जिन्दगी में कोई लड़का आ गया था और जल्दी ही दोनो प्रेम विवाह के बंधन में बंध चुके थे। रीमा और शाम वापिस नए सिरे से जीना चाहते थे ऐसी जिन्दगी जिसमें विश्वास हो और कुछ नहीं । शाम बहुत शर्मिंदा था वो अपने अतीत की कड़वी यादों से बाहर आना चाहता था और रीमा के अलावा किसी को महत्व नहीं देना चाहता था। रीमा की जिन्दगी का तूफान जा चुका था  वो दूसरी लड़की जो शाम की ज़िन्दगी में आ गई थी वो जा चुकी  थी अब  बिखरे तिनकों को सहेजना बाकि था।
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !

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