२१मी सदी की औरत की मन की बात Shaimee oza Lafj द्वारा पत्रिका में हिंदी पीडीएफ

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२१मी सदी की औरत की मन की बात

21मी सदी स्त्री से जुडी समस्याएं

     स्त्रीओका स्थान हंमेशा पूजनीय रहा है. स्त्रीओ की गिनती काली, सरस्वती, दुर्गा  साथ की जाती है. हमारे भारत के सिवा कहीै और  देश में नहीं है. 
       
       जब लडकी का जन्म होता हे तो उसे गर्भ मे ही मार दिया जाता है मुझे ए बात शर्म से कहनी पड रही हे. ए वही देश मै होता है जहां औरतो को काली सरस्वती देवी दुर्गा मा के साथ गीनती होती हो. जब महिला गर्भवती होतो गर्भ का परीक्षण करवाते है और बाद मे पता चले की लडकी है को कीरेटन करवाते है. और हेरानी वाली दुसरी बात की ए लोग अनपढ़ गवार लोग तो न बलकी उच्च शिक्षीतवर्ग लोग ही करते है यही वास्तविकता है.और दाकतरो पैसे की अाड मै ए काम करते हैं बैटी को मार भा देते हैं ए लोग. तब कहा जाता है हमारे देश के  कानून ? 

     समाज बहुत मोर्डनता कू बदलाव की बातें करता है स्त्रीओ की आजादी के भाषण बहुत देते है जब आचरण की बात आती है तो पुरानी सोच खयालात रुढी रिवाजरुपी बेडीयां जकड कर रख देती है. अपनी पुरानी विचारसरणी लडकी ओ पर ही क्यों थोपते है लडको पर क्यों नहीं? ?
जब लडकी का जन्म होता हे तब से उसके दिमाग मै एक ही बात ठसाते है ए की तुम पराये घर की हो तुम ससुराल जाना है वही तुम्हारा असली घर हे तब तो उस बिचारी को तो उसका मतलब भी न जानती .उसको अपने बचपन भी ठीक से न लुटने देते. उसकी उम्र हवा में उडने की है. 
      कभी कभी तो लडकीओ के कपड़े पर सै करेकटर तय  करते है लोग मोर्डन कपड़े पहनती है तो उस बिचारी करेकटरलेस पर करेकटरलेस का लेबल मारता हे ए सुधरा हुआ समाज. हमारे समाज के लोगों को मोर्डनकपड़े पहन कर संस्कृत श्लोक बोलने वाली न बलकी साडी बाघके दारू या खराब काम करनै वाली है स्त्रीओ की जरूरत है.  और लोग सान से उसे भारतीय संस्कृति का नाम देकै भारतीय संस्कृति को भी शर्मसार करते है ए लोग. 

       जब लडकी कोलेज मै आती है तब तो जात जात के 
टोकाटोक  नियंत्रण लादनै शुरू कर दिया जाता है लडका करे तो माफ लडकी गलती करे तो उसे मान मर्यादा के पाठ पढातै हे  तब स्त्रीओ की आजादी की बातें कहा जाती है. पर लडके को एसा कयुं न सिखाते की तुम लडकीयां की इज्जत करो.?

          जब लडकी पीरियड मै आती है तब बिचारी के दिमाग मे जातजात के वहेम  घुसाते है तब मां को उसे अच्छी दिशा में गाइड करना चाहिए कयां सही कयां गलत? उसे सही या गलत का भेद समजाना चाहिए. 

            और जब लडकी 18की हो तब तो बिचारी की वाट लग जाती है. उसे  तरह तरह की तालीम देते तुझे कयां करना है तो जेसी की तु वो लडके के सामने ए मत करना वो मत करना तु अच्छे से तैयार होना चाहिए तुम ए बोलना ए न उसका पेज तो पहले से बना दिया होता है. जब वो लडकी काली ,मोटी ,पतली सुंदर न होतो उस बिचारी को तो सामने वाले के सामने ने झुकने का समाधान का  यातो तरह तरह की मानसिक यातना दि जाती है. और सामने वाले को पसंद हो वो कर और शादी से पहले हम लोग को सही लगे .क्यों की हम तुझे इस दुनिया में लाए हे ओर वो तुमहे लेजा कर अहसान कर रहा है. ए कया है ओरत अपनी जिंदगी के निर्णय खुद क्यों नहीं ले सकती ?हक से आत्मसमान से उसे क्यों हक न अपनी जिंदगी और बचपन को बिताने मै. शादी ही सबकुछ है?मा बाप को अपनी बेटीयां से दोस्त की तरह बरताव करना चाहिए ताकी अपनी पसंद ना पसंद कह सके. नाकी तु उनकी बेटी  सुंदर न हे.जैसी न हे. तु उस के होंशीयार जेसी न है . तु गवार है. तु पागल है. इस लिए तुमे बहुत ख़राब लडका मिलेगा. ए कहने की जगह उसको तुम्हारे साथ सहकार की जरूरत है. उस जगह खुद को रखो तुमे एसा नियंत्रण रखने का खयाल सपनो मै भी नहीं आएगा. 
       
     "  दुनिया  नी पहेचान है औरत, 
दुनिया पर अहेसान है औरत. 
         हर घर की जान है औरत. 
हर धर की शान है ओरत. 
          तुम न समजो उनहे कमजोर 
वही सारे रिश्तों को एक तार मे जुड़े रखती है. 
           मर्यादा और सन्मान है औरत "

      ए मतलबी मर्द एकबार औरत की जिंदगी जीके तो देख केसे जी जाती हैं. कुदरत ने समान ही रचना की है दोनो की औरत और मर्द की रचना करने मे कोइ भेद रखा है दोना का समान ही महत्व है. दोनो के बीना संसार का अस्तित्व न है. और तो फिर उनको ही जन्म से पहले यातो एक बच्ची हो और दूसरा गर्भ रहजायै तो पता चला की लडकी है को बिचारी को मार दिया जाता है. 

        आजकल लडकीयां लडको सै ज्यादा होशियार ओर इनटेलीजंट हे. ओर आगे भी है तब भी लडके की आड मे क्यों मारी जाती है. न जाने क्याें लोगों को लडको की चाहत क्यों होती है. न जाने ए समाज न जाने कितनी बच्ची ओ को खा गया. अंधविश्वास मे यातो लडको की चाहत में. 

       हमारे शास्र मे लीखा है की बेटा पु नामके नकँ से निकालता है तो  हर शहर मै वृध्धा श्रम समाज कयों है?इस लिए.  पु नाम के नर्क से निकालता है पुत्र का होना आवश्यक है पर लोगो की श्रधा ने तो भयानक स्वरुप ले लिया.और वो निकालता है उसकी कयां गैरंटी?

         कोइ लडकी को दहेज की लालच मै आके मार दिया जाता है. कोई लोग को हद ही कर देते है अमीरी का जश्न का दिखावा करते जैसे कार मकान और का सामान तो दैती है. जैसी की सामनै वाले भिखारी न हो. बिचारै गरीब लोग कहा से लाएगे? वो लोग की तो बेटी तो मर ही जायेगी न दहेज का लालची लोग के हाथ.समाज मै समस्या का हल न आयेगा बडी बडी बाते करके हम कुरीति ओ पर बदलाव न ला सकते. पहल हम को ही करनी होगी. 

         आजादी के बाद कै भारत की घटना सुनाती हु 1987 की ही बात करने जा रही हु आप लोगों की पांव तले जमीन खीसक जायेगी 1987 सती प्रथा के विरोध में कायदा बननै के बावजूद भी राजस्थान के रुपकुंवर के दैवराला जिल्ले मे 19फरवरी 2013मै एक शिक्षित लडकी को अपने मृतक पति के साथ उसे भी जला दिया. वो पहले  न मानी  तो नहीं उसे नशेवाली दवाई पिलाके आधुनिकता और मोर्डनता का की बात कहा जाती है बिचारी की मदद के लिए कोई न आया. विधवाऔ को  समाज मनहूस की नजर सै दैखता हे. उनको कोई  छुटछाट न है कोई कार्यक्रम में  भाग लेने की. तब कहा जाता है हमारा आधुनिकता और मोर्डनता बडी बडी बाते. 

       कोई स्त्री कै साथ रेप होता है तो उसकी मदद करने के या तो सहकार देने बजा  उस पर ही आरोप लगाते हैं ये लोग हैं जेसे की यही लडकी को ड्रैसिंग का मेनर नहीं है ए लडकी ही अेसी है. इस लडकी ने वो लडके को उपसाया होगा . और अे बोलनार भी एक औरत होती है. अेसी बाते करने के अलावा अपने आप को रखो. और  एक औरत को दुसरी औरत की  हिम्मत बटा नी चाहिए. और महिला को उसकी ईषा करने के बदले इसकी मदद करनी चाहिए ताकि अेसा बनाव न बने. इनको कराटे कुनफु, सेफ्टी डीफेनस की स्त्रीओकी ट्रेनींग देनी चाहिए ताकि सव बचाव कार्य कर सके. महिला सब मिल जाये तो कीसी सी ताकत है,सी उसे पीछे ला शके.पर औरत ही एक दुसरे को साथ हातापाइ मे उतर आई है.

         कोइ  शिक्षीत लडकीयां ए सब धटनाओको सुनके के अकेले रहना ही पसंद करती   है. शादीशुदा के जिंदगी से दूर. मे एक बात बोलु मेरी फेवरेट गुजराती लेखिका  काजल ओझा मेंम ने कही है .
           " अकेला रहने की मजा ही कुछ अलग है. 
दोस्तों न किसी के वापस आने की उम्मीद न कीसी के छोड़के जाने का डर, कीसी केो खो देने का डर. "

अेसी हालत मे कोई मदद कर ने वाला न हो की औरत को तब उच्च शिक्षितवर्ग भी  मुखँ जेसे ताने  यातो पुराने खयालात की बातें  करेगे .और ए बात  शिक्षीत वर्ग करता है तो हसीं न आयेगी तो कया आयेगा. विज्ञान ने  बहुत प्रगति के की है ,पर इसका सही प्रयोग करनै के बदले बिचारी बेटी ओको जन्म से पहले मारने के लिए करते हो.साले मुर्खो, यातो इन्टरनेट का उपयोग करके उसको अपनी बात मनवाने की ओफर ओर न माने तो ब्लेकमेलिंग (मे सब आ गया) करने के लिए करते हो इससे ज्यादा है टेकनोलोजी का सही उपयोग करके करेंगे तो देश  ज्यादा हमारा आगे आयेगा. देश की आधुनिकता के भाषण दे ने से स्त्रीओ की आजादी के प्रवचन के देने से हमारा देश आगे नहीं आयेगा. स्त्रीओ ओकी समस्याओं को हल करने के लिए हम सब को सहभागी बनना पड़ेगा. तब ही हमारा देश आगे बढ़ेगा. देश की प्रगति मै योगदान दे. शिक्षित लोगो ज अेसी विचारसरणी रखेगे कैसै चलेगा? अनपढ और शिक्षित लोगो मै कया फर्क रह जायेगा.   समाज पुरानै विचारसरणीओ की होली की आग मै जला दो. देश के विकास में हर एक इन्सांन का योगदान चाहिए तब ही हमारा देश सफलताओ कै सोपानो क उंचाई को सर करेगा. स्त्रीओकी समस्याओं का दुर होगी तब ही हमारा देश आगे बढ़ेगा. और दुनिया का सफल ओर विकसित देश बनेगा. 

हम इस  Independence Day पर अे वचन ले हर नागरिक स्त्रीओ को की समस्या को दुर करने मे सरकार को योगदान दे इस मोके पर. और हर औरत रात मै भी आसानी से घुम फिर सके. रैप विरुद्ध सख्त कानून हो. हर बेटी को जीनेका हक है बेटी बचावो बेटी पढावो. हर बेटी इज्जत से जाए कोई अपनी बच्ची को न मारे जन्म से पहले. उसे भी जीनेका हक हे. शादी में दहेज प्रथा बंद हो. भृण हत्या के खिलाफ भी सख्त कानून हो पर हमारे देश में कानुन तो हे पर उसका उपयोग नहीं होता. लोग इस आजादी के मोके पर हम वचन ले पुराने विचार रुपी बेडीयां को तोडकर इस के खिलाफ हम आवाज उठायेगे इसकी सुरुअात हम ही कयुं   न करे .तो देश विश्व के मे सबसे आगे होगा. 

           ??✊  जय हिंद जय भारत वंदे मातरम्??

                           शैमी प्र