पुरानी हवेली का राज़ - 6 (80) 1.1k 1.9k 10 पुरानी हवेली का राज भाग 6 पुरानी हवेली का राज़ कहानी का ये भाग पढ़ने से पहले अगर आपने इस कहानी के पिछले 5 भाग नहीं पढ़े है तो उन्हें मेरी प्रोफाइल पर जा कर पढ़ सकते हो| उसके बाद ही इस कहानी को पढ़े| कहानी का अगला भाग शीघ्र से शीघ्र प्रकाशित करने का प्रयास करूंगा। मुझे फाॅलो करना और इस कहानी को अपने मित्रों के साथ फेसबुक, व्हाट्सऐप पर अधिक से अधिक शेयर करना ना भूलें। पिछले भाग की अंतिम पंक्ति से आगे . . . तभी मैंने अपने अन्तर्मन को कहा - जाग। जाग। ये सपना है। और सच में उस समय मेरी नींद खुल गई। मैंनें जल्दी से उठ कर देखा। सब सोये हुए थे। मैं एकदम पसीना पसीना थी। और डर के मारे अभी तक कांप रही थी। मेरे हाथ पैर एकदम ठंडे हो चुके थे। मैं भूत-प्रेत पर सच में अब भी विश्वास नही करती पर ये सब क्या था ? मुझे कुछ समझ नही आया। मेरी अब तक की जिंदगी में मैंने कई डरावनी फिल्में रात में देखी है पर मुझे ऐसा सपना कभी नही आया। रानो की बात सुनकर सब चुप थे और सोच में पड़े हुए थे। अचानक राजू ने कुछ सोचकर कहा - दीदी जब हम हवेली में गए तो हममें से कोई हवेली की कोई चीज तो नही ले आया। मैंने दादी को एक बार कहते सुना था कि कभी भी किसी पुरानी खंडहर या सुनसान जगहों से कुछ भी उठाकर घर लेकर नही आना चाहिए। अगर किसी आत्मा का मोह उस चीज से होता है तो वो उस चीज के साथ साथ उस ले जाने वाले के घर तक पहुँच जाती है। बाप रे ! ये तूने मुझे पहले क्यों नही बताया। - दीनू ने डरते हुए कहा। मतलब तुम कुछ लेकर आए हो पुरानी हवेली से - सोनू ने पूछा। देखों सब सच सच बोलना। क्योंकि इस बार बात बहुत गंभीर है। सपने में मैं और तुम दोनो ही मरते मरते बचे है। - रानो ने कहा। दीनू ने डरते डरते कहा - दीदी वो अंगूठी जो आप के पास आ कर गिरी थी, वो मैंने ही फेंकी थी। दरअसल जब हम सब लकड़बग्घों को भगा कर वहां से वापस लौट रहे थे तो ये अंगूठी अंधेरे में भी बहुत तेज चमक रही थी। ना जाने मुझे किसी ने जबरदस्ती उसे उठाने को कहा हो। मैंने चुपचाप वो अंगूठी उठा ली। जब मैंने उस उठाया तो मुझे वो मेरी अंगूलियों से बहुत बड़ी लग रही थी। पर जब मैंने रात को आने के बाद उसे पहना तो एकदम ठीक आ गई। अच्छा इसके अलावा तो और कुछ नही हुआ तुम्हारे साथ - रानो ने पूछा। हां एक बात और मैंने आपको नही बताई। अब क्या रह गया ? जल्दी बताओ। - सोनू ने पूछा। रात को जब सब चुपचाप सो गए तो मुझे दुबारा वो लाल आंखो वाली परछाई दिखी। पर मैं अभी तक पता नही लगा पाया कि उस वक्त मैं नींद में था या जागा हुआ था। अचानक वो परछाई मेरे पास आई। मेरे हाथ पैर बहुत भारी हो गए। मैं चिल्ला रहा था पर केवल मेरा मुंह ही खुल रहा था। आवाज नही निकल पा रही थी। मैं माँ को अपने सामने देख पा रहा था पर उनसे कुछ कह नही पा रहा था। डर के मारे मैंने आंखे बंद की और तब अचानक माँ ने मुझे जगाया। और माँ ने हनुमान जी का ये लोकिट मुझे पहनाया और अंगूठी फेंकने के लिए कहा। और ये रानो दीदी के पास जा कर गिर गई। - दीनू ने एक सांस में सब कह दिया। तो ये सब अंगूठी की वजह से हो रहा है। हा हा हा - चन्दू ने हंसते हुए कहा। तुम्हे हंसी आ रही है। तुम्हे नही पता हम कितनी बड़ी मुसीबत में फंस चुके है। किसी भूत प्रेत को हमने अपने घर में बुला लिया है। - सोनू ने कहा। और वो भूत भी एक नही दो है। - राजू ने कहा। पर दूसरा भूत कैसे हो सकता है ? हवेली में तो सब एक ही भूत के होने की बात करते है। और श्मसान के आसपास का कोई भूत हमारे पीछे हो नही सकता। क्योंकि हम सब घर आ कर नहा लिए थे। - सोनू ने कहा। पर भैया . . . - दीनू कुछ कहते कहते रूक गया। हे भगवान, कमीने तू नहाया नही श्मसान से आकर - सोनू ने गुस्से में थोड़ी जोर से कहा। भैया ये क्या आप उल्टे सीधे शब्द बोल रहे हो ?- रानो ने कहा। अरे तो मैंने पहले ही सबको समझाया था कि सब नहा लेना। और कुछ नही तो विज्ञान के हिसाब से भी श्मसान में गंन्दे कीटाणु रहते है इसलिए नहा लेना चाहिए। इसकी वजह से आज दो दो भूत हमारे घर पर नजर लगाने के लिए बैठे है। - सोनू ने कहा। अरे यार, ऐसा भी कुछ होता है क्या ? तुम सब डरपोक हो। और रानो दीदी आप भी लड़की हो तो आप भी आखिर इनकी बातों में आ ही गई। पर मैं किसी से नही डरने वाला। - चन्दू ने कहा। राजू ने कहा - चन्दू तुम भूत प्रेत को मानो या ना मानो। पर ऐसा कुछ भी मत कहो। जिससे तुम मुसीबत में पड़ जाओ। अच्छा ऐसा है क्या ? हा हा हा । भूत तुम जहां कहीं भी हो सुन लो। मैं तुमसे नही डरने वाला है तुमने एक बच्चे और एक लड़की को तो डरा दिया पर तुम मुझे नही डरा सकते। दम हो तो मुझे डरा कर बताओ। कहां हो तुम आओ ? - चन्दू ने हंसते हुए कहा। और रानो दीदी के हाथ से वो अंगूठी निकाल कर अपनी अंगुली में पहनने की कोशिश की पर अंगूठी उसकी अंगूली में नही आई। चन्दू ने कहा - देखो तुम्हारा पहला झूठ तो यही साबित हो गया। ये अंगूठी पहनने वाले की अंगूली के नाप की हो जाती है तो मेरे नाप की क्यों नही हो रही है। तुम सब डरपोक हो। मैं जा रहा हूँ सोने के लिए। कल इतनी दूर हवेली तक चल कर गए थे तो मेरे पैर अभी तक दर्द कर रहे है। कुछ देर सो जाऊंगा तो आराम मिलेगा। कोई कुछ कहता इससे पहले ही चन्दू वहां से चला गया। सोनू ने कहा - रानो दीदी। कल आपने हमें समझाया था कि भूत प्रेत कुछ नही होता। पर आज की घटनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। और चन्दू को ऐसे नही बोलना था। हाँ, भैया। ये एक रहस्य है जिसका हमें पता लगाना होगा। अभी तक कुछ समझ नही आ रहा है। सपने में पुरानी हवेली का दिखना तो मन की कल्पना हो सकती है। पर दीनू और मेरे दोनो का सपना एक ही तरीके शुरू होना। और घोड़े पर बैठकर पुरानी हवेली के सामने ही क्यों रूके ? क्या तुमने गांव में कोई ऐसी कहानी या बात सुनी है। जो इस बारे में बता सके। - रानो ने सोनू से कहा। दादा दादी को तो इस बारे में बहुत कुछ पता होगा। पर दादा दादी से बात करना इस बारे में ठीक नही होगा ना। उन्हे पता लग जाएगा कि हम जरूर पुरानी हवेली गए थे। सोनू भैया, कोई ऐसा इंसान होना चाहिए जो हमारे घर के लोगो से ज्यादा बात नही करता हो और गांव तथा हमारे परिवार के बारे में पूरी बात भी जानता हो। हां सही कह रहे हो दीदी। तो आज से हमारा मिशन पुरानी हवेली का राज शुरू। - दीनू ने कहा। हा हा हा, इस बार सच में भूत ही हुआ तो क्या होगा ? - रानो ने हंसते हुए कहा। दीदी, इस बार तो हम सच में पता कर के रहेंगे कि आखिर पुरानी हवेली का असली राज क्या है ? - राजू ने कहा। सभी भाई बहन इसी तरह हंसी मजाक की बातें कर रहे थे। तभी छत वाले कमरे से चन्दू के चिल्लाने की आवाज आई - बचाओं, बचाओ। नही, मुझे छोड़ दो। बचाओ। सब भाग कर ऊपर गए। देखा चन्दू कमरे में चादर में लिपटा पड़ा था। और डर के मारे इधर उधर भाग रहा था। दादी ने आकर उसे रोका - अरे रूक मेरे लाल। क्या हो गया तुझे ? रानो ने भी जल्दी से चादर हटाया। चन्दू रानो के गले लग गया। - दीदी वो सच में है दीदी। वो मुझे भी नही छोडे़गा। मुझे बचाओ दीदी। अरे क्या हो रहा है ये सब ? क्या हो गया है इन बच्चों को रात को दीनू डर गया था और अब चन्दू। रानो क्या बात है सच सच बताओ ? - दादी ने गुस्से में रानो और बाकी बच्चों की तरफ देखते हुए कहा। रानो ने कहा - वो दादी रात का सोने से पहले हमने भूत की फिल्म देखी थी, और फिर उसी की बातें करने लगे तो इसलिए सबको सपने आ रहे है और कुछ नही। अरे तुम आजकल के बच्चे भी ना। क्यों देखते हो ऐसी फिल्में। दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा। आज के बाद कोई इस घर में भूत का नाम नही लेगा। वरना पहले मैं तुम्हारी पिटाई करूंगी फिर तुम्हारे मम्मी पापा से पिटवाऊंगी ? नही नही दादी , अब हम ऐसा कुछ नही करेंगे । कोई भी भूत का नाम नही लेगा। - सोनू ने कहा। ठीक है। दोपहर का समय है सब थोड़ी देर आराम करो। और मुझे भी करने दो। - कहते हुए दादी कमरे से चली गई। चन्दू अभी तक चुपचाप सहमा सा बैठा था। दीनू ने चिढ़ाते हुए कहा - हो गया विश्वास। हा हा हा। ज्यादा बहादुर बन रहे थे। हम दोनों तो रात के अंधेरे में डर गए थे। और तुम, तुम तो . . . हा हा हा हा - बाकी सब भी हंसने लगे। रानो ने कहा - बस करो। अब उसे भी विश्वास हो गया ना। वैसे आपने क्या देख लिया भैया, बताओगे क्या ? - गोलू ने कहा । पहले तो तुम सब हंस लो - चन्दू गुस्से में बोला। अरे बताओ यार अब, पहले तो तुम बातें तो बड़ी बड़ी करके गए थे। और 15 मिनट में ही सारा सब कुछ गायब हो गया। - सोनू ने कहा। दीदी देखो ना सबको - चन्दू ने कहा। मैं क्या कहूँ। तू तो मुझे भी डरपोक बता कर गया था। अब सुनना तो पड़ेगा ना। हां दीदी। सॉरी। मैं गलत था। मुझे आप सब की बातों पर विश्वास करना चाहिए था। अब बताओगे भी कि हुआ क्या था ? हां सुनो। मैंने भी वही सपना देखा। पर मेरे सपने में एक काला सायां तलवार लेकर मेरे पीछे भाग रहा था इसलिए मैं डर गया। और तुम्हारी वो अंगूठी कहां है ? जल्दी उतारो उसे। - दीनू ने कहा। चंदू ने अंगूठी उतारने की कोशिश की पर वो उसकी अंगुलियों से निकली नही। उसने बहुत कोशिश की पर जो अंगूठी उसके हाथों में आ नही रही थी। वही अब एक दम उसकी अंगुलियों में जम चुकी थी। ये क्या हो रहा है अंगूठी निकल क्यों नही रही है मेरे हाथ से ? - चन्दू ने गुस्से में कहा। ये सब आप को उस शैतानी शक्ति को कोसने की वजह से हो रहा है शायद। - राजू ने कहा। हां, राजू सही कह रहा है, एक बार मम्मी ने कहा था, मरे हुए लोगों को कभी भी नही कोसना चाहिए। इससे वो गुस्सा हो जाते है। - सोनू ने कहा। तो अब क्या होगा ? - चन्दू ने कहा। अब इस बारे में किससे पूछे ? क्या करे ? - रानो ने कहा। सोनू ने कहा - रानो तुम चिंता मत करो। तुम चन्दू के पास रहो। मैं, राजू, दीनू हम तीनों गांव में आज अलग अलग घूमते है। और सब से इस तरह की बात पूछते है। अपने दोस्तों से, उनके मम्मी पापा से, गांव के बुर्जुगों से इन सब बातों का पता लग जाएगा। तुम चन्दू के साथ ही रहो। और इस अंगूठी को उतारने की कोशिश करो। सच में ये शायद कोई श्रापित अंगूठी है या तो कोई हमें इस अंगूठी के माध्यम से कुछ बताना चाहता है। सही कहा आपने ? आप सब जाइए और पता कीजिए। मैं और गोलू यहीं रहते है। - रानो ने कहा। हम्म , ठीक है। शाम को मिलते है। - सोनू, राजू और दीनू के साथ घर से निकल जाते है। आगे जारी . . . आगे क्या हुआ ? जानने के लिए मुझे फॉलो करना न भूलें । कहानी अच्छी लगी हो तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। कमेन्ट कर के बताये आपको कहानी कैसी लगी ? *** ‹ पिछला प्रकरणपुरानी हवेली का राज़ - 5 › अगला प्रकरण पुरानी हवेली का राज - ७ Download Our App रेट व् टिपण्णी करें टिपण्णी भेजें F.k.khan 3 महीना पहले Ugam 3 महीना पहले Kandhal 4 महीना पहले Sapna Patel 4 महीना पहले Rashmi 4 महीना पहले अन्य रसप्रद विकल्प लघुकथा आध्यात्मिक कथा उपन्यास प्रकरण प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं Abhishek Hada फॉलो शेयर करें आपको पसंद आएंगी पुरानी हवेली का राज़ - 1 द्वारा Abhishek Hada पुरानी हवेली का राज़ - 2 द्वारा Abhishek Hada पुरानी हवेली का राज़ - 3 द्वारा Abhishek Hada पुरानी हवेली का राज़ - 4 द्वारा Abhishek Hada पुरानी हवेली का राज़ - 5 द्वारा Abhishek Hada पुरानी हवेली का राज - ७ द्वारा Abhishek Hada पुरानी हवेली का राज - ८ द्वारा Abhishek Hada पुरानी हवेली का राज - 9 द्वारा Abhishek Hada पुरानी हवेली का राज - 10 द्वारा Abhishek Hada पुरानी हवेली का राज - 11 द्वारा Abhishek Hada