जब किसान ने जहर खाया Ved Prakash Tyagi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

जब किसान ने जहर खाया

जब किसान ने जहर खा लिया

सात साल का रिशु दौड़ते हुए दादी के पास जाकर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा, "दादी, दादी जल्दी चलो, बैठक में दादाजी फर्श पर गिरे पड़े हैं, जल्दी चलो, वो बोल भी नहीं रहे हैं।"

इतना सुनते ही रिशु को लेकर शोभा दौड़ते हुए बैठक में गयी तो वहाँ का दृश्य देख कर अपने होशो हवास खो बैठी। महेंद्र फर्श पर गिरा पड़ा था, उसके पास गैमक्सीन का एक खुला हुआ पैकेट पड़ा था, हाथ और मुंह गैमक्सीन पाउडर से सने हुए थे, पास ही एक पानी का गिलास खाली उल्टा पड़ा था.......

शोभा को यह समझते देर ना लगी कि उसके पति महेंद्र ने गैमक्सीन जहर खा लिया और वह बड़े ज़ोर से चिल्लाई, "सुरेश, रमेश जल्दी दौड़ कर आओ, देखो तुम्हारे पापा ने गैमक्सीन खा ली है, अरे दौड़कर आओ।"

माँ का इस तरह ज़ोर से चिल्लाना सुनकर दोनों बेटे सब काम छोडकर दौड़े दौड़े बैठक में आए और देखा माँ ज़ोर जोर से रो रही है और पापा फर्श पर गिरे पड़े हैं........

सुरेश ने जल्दी से ट्रैक्टर स्टार्ट किया, ट्रौली में एक मोटा गद्दा बिछा कर उस पर पापा को लिटाया, माँ को साथ लेकर सीधे दिल्ली के यमुना बैंक अस्पताल में भर्ती करवा दिया........

सुरेश ने डॉ एन पी सिंह को घटना की पूरी जानकारी दी, डॉ एन पी सिंह के देखरेख में महेंद्र का पहले से ही इलाज़ चल रहा था, जिसके बारे में घर वाले जानते थे लेकिन क्या बीमारी है यह बात महेंद्र ने गुप्त रखी हुई थी और डॉ एन पी सिंह को भी कसम दिलवा रखी थी कि वह बीमारी के बारे में उसके घर वालों से कभी भी विस्तार से नहीं बताएँगे........

डॉ एन पी सिंह यमुना बैंक अस्पताल के वरिष्ठ सुलझे हुए एवं होशियार डॉक्टर हैं, उन्होने महेंद्र का इलाज़ तुरंत शुरू कर दिया........

महेंद्र ढाका गाँव का रहने वाला एक मध्यम वर्गीय किसान है जो अपने दोनों बेटों के साथ अपनी 40 बीघा जमीन में आधुनिक तरीके से खेती करता है.......

एक किसान के जहर खा लेने की बात पूरे क्षेत्र में आग की तरह फैल गयी और आस्पताल के आपातकालीन वार्ड के बाहर समाचार पत्रों व टी वी चैनल के पत्रकारों का भारी जमावड़ा लग गया........

बिना सोचे समझे सभी चैनलों ने समाचार चला दिया, "एक और किसान ने कर्ज ना चुका पाने और फसल बर्बाद होने के कारण जहर खा लिया, किसानों के प्रति सरकार की निष्क्रियता फिर सामने आई।"

समाचार सुनते ही विपक्षी दलों के नेता भी अस्पताल पहुँच गए और महेंद्र के नजदीक जाने की कोशिश करने लगे लेकिन डॉ एन पी सिंह ने अपना सख्त रुख दिखाते हुए किसी को भी अपने मरीज महेंद्र के निकट नहीं आने दिया........

डॉ एन पी सिंह ने महेंद्र के पूरे पेट की धुलाई की और जरूरी दवाइयां देकर महेंद्र के होश में आने की प्रतीक्षा करने लगे। जल्दी इलाज होने के कारण महेंद्र के शरीर का पूरा जहर बाहर निकल चुका था, उसका श्वास और दिल की धड़कन सब ठीक चलने लगे लेकिन अभी होश नहीं आया था........

सुरेश अपनी माँ और भाई रमेश को अपने पापा के पास छोडकर गाँव से कुछ जरूरी समान लेने के लिए जैसे ही बाहर निकल कर ट्रैक्टर लेकर जाने लगा तो सभी मीडिया कर्मियों ने उसको घेर लिया........

एस डी टी वी के वरिष्ठ पत्रकार सुविष कुमार ने माइक लगभग सुरेश के मुंह में घुसाते हुए पूछा, “आपके पिताजी को बैंक का कितना कर्जा देना था और दे क्यों नहीं पाये? क्या आपकी फसल बर्बाद हो गयी थी?”

सुरेश ने लगभग डांटते हुए सुविष कुमार से कहा, “मेरे पापा ने बैंक का कोई कर्जा नहीं लिया था और हमारी गन्ने की फसल पूरे गाँव में सबसे अच्छी हुई थी जिसका पूरा चार लाख पाँच हजार छः सौ सत्तासी रुपया मेरे पापा के बैंक खाते में आ चुका है।”

लेकिन सुविष कुमार एस डी टी वी का वरिष्ठ पत्रकार तो हमेशा सरकार को घेरने और बदनाम करने के मौके ढूँढता रहता था और यह इतना सुनहरा मौका मिला था तो इसको हाथ से जाने नहीं देना चाहता था, उसने सुरेश से फिर सवाल किया, “फिर तुम्हारे पिताजी ने जहर क्यों खाया, ऐसा कौन सा कारण है?”

सुरेश बोला, “मैं भी तो यही सोच रहा हूँ, अब तो इसका पता पिताजी के होश में आने के बाद ही लगेगा।” इतना कहकर सुरेश तेजी से अपना ट्रैक्टर चला कर वहाँ से निकल गया।

डॉ एन पी सिंह को थोड़ा अंदेशा तो था कि महेंद्र ने अपनी बीमारी के कारण जहर खाया होगा लेकिन वह किसी को भी बता नहीं सकते थे क्योंकि डॉक्टर साहब तो महेंद्र की कसम से बंधे थे अतः डॉक्टर एन पी सिंह ने रुक कर प्रतीक्षा करना और परिणाम देखना ही उचित समझा, वह महेंद्र को अच्छे से अच्छा इलाज दे रहे थे, साथ ही यह सावधानी भी रख रहे थे कि किसी दवाई से महेंद्र को कहीं ज्यादा नुकसान न हो जाए और यही कारण था कि महेंद्र को होश में लाने में थोड़ा समय लग रहा था........

कुछ मीडियकर्मी रुक कर महेन्द्र के होश में आने की प्रतीक्षा करने लगे और बाकी वहाँ से चले गए। एस डी टी वी का वरिष्ठ पत्रकार सुविष कुमार तो वहीं डेरा जमाए बैठा था, उसको पूरी उम्मीद थी कि महेंद्र किसान की जहर खाने वाली कहानी अपने चैनल पर चलाकर वह चैनल को शीर्ष पर ले जाएगा और सरकार को घेरकर बैक फुट पर ले आएगा।

रमेश किसी काम से वार्ड से बाहर आया तो सुविष कुमार ने उसको घेरकर वही सारे प्रश्न पूछे जो उसके बड़े भाई सुरेश से पूछे थे और रमेश ने भी वही जवाब दिये जो सुरेश ने दिये थे........

तब सुविष कुमार बोले, “हो सकता है जो कर्ज बैंक से तुम्हारे पिताजी ने लिया है, तुम्हें उसके बारे में पता ही न हो और कर्ज न चुका पाने की स्थिति में अत्महत्या करने जैसा जघन्य कदम उठाया हो।”

रमेश ने कहा, “हमने बैंक से कोई कर्ज नहीं लिया और हम कर्ज लेंगे क्यो, हमारी फसल अच्छी हुई है अच्छे दाम पर बिकी है, भुगतान भी तुरंत हो गया है, फिर हम कर्ज क्यों लेंगे?”

“नहीं तुम्हें कुछ नहीं पता जबकि सच्चाई यह है कि तुम्हारे पिताजी ने कर्ज लिया है और तुम्हारी फसल बर्बाद हो गयी है इसीलिए तुम्हारे पिताजी ने यह कदम उठाया है।” सुविष कुमार ने ऐसा कहा........

रमेश छोटा बेटा अपने माँ बाप का ज्यादा लाड़ला बड़े भाई का दुलारा, थोड़ा अख्खड़ तो था ही ऊपर से सुविष कुमार की बातों पर उसको क्रोध भी आ रहा था, फिर भी वह स्वयं को शांत रखने की कोशिश करता रहा लेकिन जैसे ही सुविष कुमार ने यह आरोप लगाया कि तुम लोगों को लगता है सरकार की तरफ से कोई सहायता मिल गयी है इसलिए तुम लोग सरकार को बचाने की कोशिश कर रहे हो........सुविष कुमार की इतनी बात रमेश की बर्दाश्त से बाहर हो गयी और उसने झपट कर सुविष कुमार का गला पकड़ लिया, उसका माइक छीन कर फेंक दिया, तभी दूसरे लोगों ने बीच बचाव करके सुविष कुमार को पिटने से बचाया........

डॉ एन पी सिंह ने महेंद्र के सभी परीक्षण करवाए और यह देखकर हैरान रह गए कि महेंद्र के सभी अंग बिलकुल ठीक काम कर रहे हैं यहाँ तक कि उसके गुर्दे भी बिलकुल ठीक हैं .......

डॉ एन पी सिंह को बिलकुल भी विश्वास नहीं हुआ कि महेंद्र के गुर्दे बिलकुल ठीक हैं और उन्होने महेंद्र के सभी परीक्षण दोबारा करवाए एवं इस बार भी जांच में पाया कि महेंद्र के सभी अंग यहाँ तक कि उसके गुर्दे भी बिलकुल ठीक हैं........

यह तो बड़े ही आश्चर्य की बात थी और खोज का विषय भी था कि एक मरीज जिसके दोनों गुर्दों ने बिलकुल काम करना बंद कर दिया था अब बिलकुल ठीक हैं, महेंद्र को होश आ गया था और वह अब ठीक था।

डॉ एन पी सिंह ने सभी को महेंद्र के पास से चले जाने को कहा और महेंद्र से अकेले में बात की, “महेंद्र, मैंने तुम्हारी सभी तरह की जांच दो बार करवाई है और मैंने पाया कि अब तुम्हारे दोनों गुर्दे बिलकुल ठीक हैं, यह बात मैं ही नहीं अल्ट्रा साउंड व सी टी स्कैन वाले डॉक्टर भी कह रहे हैं, मेरे पास तुम्हारी पुरानी रिपोर्ट्स भी हैं जो यह दर्शाती हैं कि तुम्हारे दोनों गुर्दे खराब हो चुके हैं, यह तो एक चमत्कार ही है।”

तब तक मीडिया की भीड़ महेंद्र के पास पहुँच गयी थी जिनमे एस डी टी वी वाला वरिष्ठ पत्रकार सुविष कुमार सबसे आगे था और महेंद्र से तरह तरह के सवाल पूछे जा रहा था, लेकिन ऐसी स्थिति में महेंद्र घबराया नहीं और उसने हाथ जोड़ कर बस इतना ही कहा कि आज आप लोग अपने टी वी चैनल पर एक डिबेट रखें जिसमे मैं और डॉ एन पी सिंह जी दोनों आएंगे, आप बस सरकार व विपक्ष की तरफ से उनके भी एक एक प्रवक्ता को अवश्य बुला लेना, मैं सारी बातें उनके सामने लाइव टी वी पर बताऊँगा और पूरी दुनिया को संदेश दूंगा।

सुविष कुमार जी इस डिबेट के लिए तुरंत तैयार हो गए और शाम को सभी लोगों को बुला कर चर्चा शुरू की…….. चर्चा का विषय था, ‘जब किसान ने जहर खा लिया’।

सुविष कुमार ने कहना शुरू किया, “सरकार की निष्क्रियता के कारण ना जाने कितने किसान जहर खाकर अपने प्राण त्याग रहे हैं और इसका कारण है फसल का बर्बाद हो जाना, बैंक का कर्जा ना चुका पाना, इस सबका जीता जागता उदाहरण है किसान महेंद्र, जिसने खेतों में कीटनाशक के रूप में प्रयोग की जाने वाली गैमक्सीन खाकर अपने प्राण त्यागने चाहे लेकिन समय रहते इनको डॉ एन पी सिंह जी जैसे सुलझे हुए व होशियार डॉक्टर ने सही इलाज़ देकर बचा लिया। अब हम महेंद्र जी से सुनेंगे इनकी कहानी इन्ही की जुबानी........

महेंद्र ने सभी को हाथ जोड़ कर नमस्कार किया और फिर अपनी कहानी कुछ ऐसे बताई, “मैं हमेशा डॉ एन पी सिंह जी से ही इलाज करवाता रहा हूँ यह बात मेरे घर वाले भी जानते हैं डॉ एन पी सिंह एक बहुत होशियार सुलझे हुए एवं व्यवहार कुशल डॉक्टर हैं। शुरू में मेरा कोई सा बेटा साथ में आता था लेकिन बाद में मैं अकेले ही इलाज के लिए आने लगा। इतना इलाज़ होने के बाद भी जब मैं ठीक नहीं हो रहा था तो डॉ साहब ने मेरी सभी तरह की चिकित्सा जांच करवाई और पाया कि मेरे दोनों गुर्दे खराब हो चुके हैं एवं सलाह दी कि मुझे सप्ताह में दो बार डाइलिसिस करवाना पड़ेगा जिसका एक बार का खर्च दस हजार रुपए आएगा। तब मैंने हिसाब लगाया कि इस तरह तो मेरे बच्चे पूरी तरह लुट जाएंगे जमीन जायदाद सब बिक जाएगी, ऐसी हालत में मेरे जिंदा रहने का क्या लाभ और मैंने गाँव में जाकर किसी को बिना बताए खेतों में डालने वाला कीट नाशक गैमक्सीन खा लिया, लेकिन ना जाने कैसे मेरे पोते रिशु ने यह सब देख लिया और ये लोग मुझे यहाँ अस्पताल में ले आए.......

मैंने तो जहर अपनी जान देने के लिए खाया था क्योंकि मैं अपने शरीर में ऐसी बीमारी पाल कर नहीं रखना चाहता था जो मेरे बच्चों को कंगाल कर दे। अब में बिलकुल स्वस्थ हूँ, मेरे दोनों गुर्दे भी बिलकुल ठीक हो गए है, शायद यह कोई चमत्कार ही होगा लेकिन मेरी और लोगों से हाथ जोड़ कर विनती है कि आप में से कोई भी ऐसा प्रयोग ना करे क्योंकि यह चमत्कार गैमक्सीन का नहीं भगवान की कृपा का है ........

जैसा कि कई दिनों से आप लोग टी वी पर सुन रहे हैं कि मैंने बैंक का कर्जा ना चुका पाने के कारण जहर खाया है तो मैं आपको बता दूँ मैंने बैंक से एक भी रुपया कर्ज नहीं लिया है और मेरी फसल भी बहुत अच्छी हुई हैं मेरे दोनों बेटे यह बात इन पत्रकारों को पहले भी बता चुके हैं लेकिन इनहोने यह सब आपसे छुपाया है .......

कोई भी किसान अगर जहर खाता है तो उसके और भी कई कारण हो सकते हैं सिर्फ बैंक का कर्जा या फसल का बर्बाद होना ही नहीं होता इस बात की सही ढंग से खोज बीन करके ही पत्रकारों को ऐसी खबरें अपने चैनल पर चलानी चाहिए, पत्रकारिता एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी होती है जो शायद सुविष कुमार जी नहीं निभा पाये, मेरी बीमारी के पहले की जांच रिपोर्ट और अब की जांच रिपोर्ट आपको डॉ एन पी सिंह जी दिखाएंगे भी और सब कुछ बताएँगे भी।”

तब डॉ एन पी सिंह जी ने बताया कि वास्तव में महेंद्र की बीमारी का इस तरह से ठीक हो जाना मेरे लिए एक खोज का विषय है। वास्तव में इनके दोनों गुर्दे खराब हो चुके थे और डायलिसिस के अलावा और कोई रास्ता इनको बचाने का नही था जो एक महंगा इलाज है और उसी से घबरा कर महेंद्र ने जहर खा लिया........

एस डी टी वी चैनल पर इस तरह के लाइव डिबेट में वरिष्ठ पत्रकार सुविष कुमार की इज्जत तार तार हो गयी साथ ही उस चैनल पर भी असर पड़ना तय था।

अतः प्रबन्धक मण्डल ने एक आपातकाल बैठक करके निर्णय लिया, “सुविष कुमार ने पत्रकारिता को बदनाम किया है, अपना पत्रकार धर्म भूल कर झूठी खबर चला कर एस डी टी वी की छवि को धूमिल किया है अतः ऐसे पत्रकार के इस चैनल में बने रहने से हो सकता है चैनल को किसी बड़ी समस्या का सामना करना पड़े, इसलिए हम सबने एकमत होकर एक निर्णय लिया है कि सुविष कुमार को तुरंत प्रभाव से एस डी टी वी चैनल से पूर्ण रूप से हटाया जाता है।”