एक लाइक तो बनता ही है न! सुनीता शानू द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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एक लाइक तो बनता ही है न!

एक लाइक तो बनता ही है न!

ज्यादा मत सोचिये कोई लड़की या लड़के की फोटो को शादी के लिये लाइक करने की बात नही हो रही है। यहाँ सवाल बस एक लाइक का है। लाइक बोले तो- अंगेजी का ये लाइक चेहरे की किताब पर पसंद का एक चटका लगाना है। कि फलां की तस्वीर खूबसूरत है, तो फलां ने एक शेर लिख डाला है, और चाहता है कि आप जरा लाइक का चटका लगा दें। ज्यादा नही बस एक छोटी सी तो ख्वाहिश करता है हर फ़ेसबुकिया कि आप आयें और एक लाइक का चटका लगायें। सुबह शर्मा जी प्रोफाइल पर एक तस्वीर लगा आये थे। तब से बीस बार कम्प्यूटर खोल कर देख चुके हैं किसी ने लाइक किया कि नहीं। अब सारे घर वाले तो लाइक कर ही चुके हैं दूसरा न करे तो क्या किया जाये? वैसे एक लाइक में जाता क्या है कर ही दो आप भी। कौन आप शादी के लिये पसंद कर रहे हो। जरा सा माऊस घुमाया क्लिक किया हो गया लाइक। सारे दोस्तों को फोन करने पूछ चुके है लाइक किया की नहीं, अम्मा यार एक लाइक का सवाल है बस।

सोशल मीडिया की माने तो 4.5 अरब लोग फ़ेसबुक पर लाइक का चटका दबाते हैं। औसतन एक व्यक्ति २० मिनिट तक फ़ेसबुक पर रहता है। तो क्या पाँचहज़ार फ़ेसबुकिया फ़्रेंड्स में से पच्चास से भी लाइक की उम्मीद न की जाये। अरे लोग तो किसी के बाप के मरने की खबर पर भी ऎसे लाइक का चटका लगाते हैं कि तेरा बाप मरा तो मरा। सामने वाला भी सोचता रह जाता है कि इसे मेरे बाप के मरने की खबर भी पसंद आ गई कमाल है!

कितनी अज़ीब सी बात है दोस्तों ये लाइक का चटका एक पल में बता देता है कि आप किसी को कितना पसंद करते हैं जब आप किसी की हर बात पर चटका लगाते हैं।

देखा जाये तो आपका कुछ खर्च भी नही हो रहा। किसी के मन को शान्ति मिलती है, कोई ये सोच-सोच कर खुश है कि इतने लोग उसे पसंद कर रहे हैं। और ये आप के लिये भी सही है। वो कहते हैं न हींग लगी न फ़िटकरी रंग भी चोखो आवै तो भैया कितने सारे लोगों के बीच में साख रहती है कि मेरी तस्वीर पर इतने लाइक आये,उतने लाइक आये। वैसे भी जब वेले बैठे हों तो करना ही क्या होगा एक तो लॉगिन करो। दूसरे की प्रोफ़ाइल देखो, इतना टाइम खोटी करो तो कम से कम सामने वाले को चटका लगा के बता भी तो कि देख आज मै आया हूँ कल यही चटका लगाने तुझे भी आना है। इस धन्धे में बेइमानी बर्दाश्त नही होती दोस्तों। उसूलन तू मेरी पीठ खुजला मै तेरी खुजलाऊँ।

बाइ चान्स कोई गद्दारी कर भी जाता है, तो पहले उसे लताड़ा जाता है कि कितने खुदगर्ज़ दोस्तों से पाला पड़ा है, एक लाइक तक नही करते। कुछ लोगों को तो इस लाइक का ऎसा बुखार होता है कि महिला हो या पुरुष अपनी जवानी के टाइम की ऎसी तस्वीर चस्पा लेते हैं कि खुद घर वाले गच्चा खा जाये। एक महिला काफ़ी समय से अपनी बचपन की तस्वीर लगाये थी। उसकी लिस्ट में दुनिया भर के स्कूल के बच्चे एड हो गये एक बच्चा तो उसके चक्कर में ही पड़ गया। और कैमेंट करने लगा-“साड़ी के फ़ॉल सा मैच किया रे... बस एक लाइक के चक्कर में बालक पागल हुआ जा रहा था और दादी मन ही मन बोल रही थी-“मुए मै तेरी दादी हूँ, नासपिटे फ़ेसबुक पर ये काम करता है।“ अब बताओ बच्चे को इस चेहरे में दादी दिखाई कैसे दे! वसीम वरेलवी लिखते हैं न कि

“अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आयें कैसे।

दोस्तों बार-बार लाइक करने पर भी जब कोई लाइक न करे तो आदमी विक्षिप्त सा हो जाता है। इसी पागलपन के दौरे में वो नई पोस्ट लिखता है-“ मै ऎसे लोगों को अपनी प्रोफ़ाइल से डिलीट कर रहा हूँ जो संवेदनशील नहीं है। अब ये भी कोई बात हुई बार-बार एक ही बात सुनते आये है कि पुलिस ऎसे इलाको पर कर्फ़्यू लगा देती है जो संवेदनशील होते हैं। बस दोस्तों फ़ेसबुक पर कब कर्फ़्यू लग जाये मालूम नही।

ओ मुनिया जरा देख तो फ़ुसबुकवा खोलके लाइकवा लगै की नही? नही न लगा न तो तोहार पिरोफ़ाइलबा का खोलिके एक ठौ लाइकवा लगाइदो हमार फुटवा पर बिटिया” रामू पनवाड़ी पान की पीक बगल में थूकता हुआ अपने घर फोन पर बोल रहा था।