बन गए उल्लू !
सुमन शर्मा
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बन गए उल्लू !
आज का युग विज्ञापन युग है। बिना विज्ञापन उत्पाद को बेचना लगभग असंभव है। अपने उत्पाद बेचने के लिए उधोग पति , तरह-तरह के विज्ञापन बनाते हैं, वस्तु को इतना बढ़ा चढ़ा कर प्रस्तुत करते हैं कि , ग्राहक इनके झांसे में फस कर उत्पाद ख़रीदा तो लेता है , लेकिन उन्हें प्रयोग करने के बाद स्वयं को ठगा सा महसूस करता है। यथार्थ में विज्ञापन, हमारी ज़िन्दगी में कैसे, विपरीत साबित होते हैं, चलिए, इस की एक झलक देखतें हैं---
पहला किस्सा
श्रीमती मेहरा अपनी सखी दीपा से बात कर रहीं हैं
श्रीमती मेहरा- अभी कुछ दिनों पहले की बात है, जब मोहल्ले के लड़के मेरे बेटे को यह कहकर चिढ़ाते थे, ‘ए छोटू! हाफ़ टिकिट।
दीपा- ओह! तो क्या आपके बेटे की लम्बाई कम है।
श्रीमती मेहरा(दुखी होकर) - हाँ,
दीपा- तो फिर, आपने क्या किया?
श्रीमती मेहरा- फिर , मैं डॉ शर्मा से मिली।
दीपा - तो क्या उन्होने कोई दूध में मिलाकर पीने वाला , हैल्थ टॉनिक लेने की सलाह दी?
श्रीमती मेहरा - अरे नहीं, वो तो मैं पिछले चार साल से पिला रही हूँ ।
दीपा - (उत्सुकता से ) तो अब क्या सलाह दी, डॉक्टर शर्मा ने
श्रीमती मेहरा ----उन्होने ‘मोहल्ला’ बदलने की सलाह दी।
यह सुनकर दीपा की आँखों के आगे तारे नाचने लगे।
दूसरा किस्सा
एक बहू अपने ससुर के सामने ,खाने की थाली सजाकर रख जाती है। ससुरजी भोजन प्रारम्भ करते हैं।
ससुरजी (बहू को आवाज़ लगाते हुए)- बहू, ओ बहू! पहले अपना काम छोड़कर इधर आओ।
बहू (पल्लू से हाथ पोंछती हुई)- क्या हुआ पिताजी?
ससुरजी- बहू! यह कैसा खाना बनाया है? न तो नमक है, न ही मिर्चे और दाल तो एकदम कच्ची है।
बहू (आश्चर्य से भोजन को देखती हुई)- लेकिन बाबूजी! मैंने जिस प्रेशर कुकर में खाना बनाया है। उस के विज्ञापन में तो एक महिला नाच-नाच कर कहती है, ‘हर व्यंजन स्वादिष्ट बनाए। मिनटों में झटपट पकाए। हमारा प्रेशर कुकर।’ फिर यह इतना बेस्वाद और बेपका कैसे बन सकता है?
यह सुनकर ससुरजी की आँखें फटी की फटी रह जाती हैं।
तीसरा किस्सा
एक देहात में चार साल का बच्चा, अपने एक हाथ में अमरुद को लिए हुए था, वह दूसरे हाथ से टूथपेस्ट के डिब्बे में लगातार कुछ ढूंढ रहा था। जब उससे पूछा गया कि , वह क्या ढूँढ रहा है, तो उसने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया , "टी वी में वा छोरा न कहवे ? अब पेश है, ऐसा टूथपेस्ट जिसमें है, नमक। बस वो नमक अमरुद संग खाबा कू ढूँढ रहा। सारा डिब्बा देख लिया, नमक की थैली कहीं न मिली ।"
आप भी, टूथपेस्ट लेते समय अवश्य जाँच लें ,उसमें नमक,काली मिर्च ,गर्म मसाला चाट मसाला ,साँभर मसाला आदि आदि है, कि नहीं। आप पूरा पैसा खर्चते हैं, तो सामन भी पूरा मिलना चाहिए।
चौथा किस्सा
एक महिला की एडियों में, लम्बे समय से दरारें पड़ी हुई थी , एक दिन उसने टेलीविज़न पर एक क्रीम का विज्ञापन देखकर'अपने पति से बाजार जाकर वही क्रीम खरीद कर लाने के लिए कहा।
पत्नी ने दोनों एडियों में क्रीम लगाई। वह बिस्तर पर लेटकर एक पाँव अपने कान के पास ले गई। पति ने आश्चर्य से पूछा , "ये तुम क्या कर रही हो ? तुमने अपनी एडी को, कान से क्यों सटा कर रखा है ?"
पत्नी ने पति को मुँह पर ऊँगली रखकर चुप रहने की लिए कहा।
थोड़ी देर के बाद वह बिस्तर से उठी और बोली,"आप बीच में ही बोलने लग गए ,आप ने मुझे, एडियों की आवाज़ ही नहीं सुनने दी। "
पति ने आँखें फाड़ कर पत्नी को देखा और पूछा ,"क्या कहा तुमने ?"
पत्नी बोली ,"ऐसे हैरान क्यों हो रहे हो। आप ने इसका विज्ञापन नहीं देखा क्या ? उसमें क्या नहीं बताते , इसे लगाने के बाद आपकी एड़िया कहेंगी , शुक्रिया !"
क्या आप के भी हाथ ,पैर ,नाक ,कान ,सर ,गर्दन कुछ बोलते हैं।
पाँचवा किस्सा
एक सीमेंट कम्पनी का विज्ञापन दिखाया जा रहा था।
विज्ञापन - "हम बनाते हैं, विश्वस्तरीय इमारतें। आप के सहयोग से एक दिन छू लेगे,आसमान। "
इसे देखकर बूढ़े दादाजी कह उठतें हैं, ‘ सारे विश्व का ही इमारतें बनाने का स्तर गिर गया है। मैं बेवजह ही भारत में बनी इमारतों को कोसता रहता हूँ।’
उन्होंने अपने बेटे को आवाज़ दी ,"बेटा राजू ! इस कंपनी का नाम नोट कर लो ,पूरे विश्व में जो इमारतें गिरी है. वो इन्होंने ही बनाई हैं। " धरती पर इमारतें बना के जी न भरा इनका ,अब जाके आसमान में तबाही मचाएंगे ,ये लोग।
छठा किस्सा
एक रिफाइंड तेल के विज्ञापन में बार -बार तेल के डिब्बे पर "कॉलेस्ट्रोल फ्री " लिखा हुआ, दिखाया जा रहा था। एक महिला एक दूकान पर उस तेल को ख़रीदने जाती है।
जब दुकानदार उसका पूरा हिसाब चुकता करके ,उसको डिब्बा पकड़ता है, तो वह महिला कहती है ,"भाईसाहब आप तो बहुत चालाक हो ?"
दुकानदार पूछता है, "क्या हुआ बहिनजी, मैंने क्या चालाकी कर ली ?"
महिला आँखे मटका कर कहती है ,"इसके साथ जो 'फ्री' है ,वो तो आपने ही रख लिया। "
दुकानदार अपना सर खुजलाने लगा ,कि महिला को कैसे समझाए "कॉलेस्ट्रोल फ्री" का अर्थ।
विज्ञापन ज़रूर देखेँ ,लेकिन साथ में अपने उत्पाद को बेचने के लिए ग्राहकों की भावनाओं से खिलवाड़ करती , कम्पनियों की मन्शा को भी परखें और उल्लू न बने।
सुमन शर्मा
jahnavi.suman7@gmail.com