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माटी की गुड़िया

सुहाना अपने ममी पापा की लाडली बेटी थी, सुहाना अपने परिवार के साथ कम पैसों और कम सुविधाओं के भी खुश थी। सुहाना के पापा मामुली कलर्क थे मुशकिल से ही गुज़ारा होता था, ममी घर पर ही रहती पर समझदार औरत थी अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दिए थे।

सुहाना बहुत भोली और प्यारी थी जो भी उसे देखता बस मोहित हो जाता। कालेज की पढ़ाई के दौरान सुहाना की मुलाकात रोहित से हुई जो देखने में बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व का था सभी उसकी ओर सहज ही आकर्षित हो जाते वो अपने पापा के साथ उनके बिजनैस में हाथ बंटाता था, उनका बिजनैस बहुत बड़ा था, देश विदेश में उनका कारोबार फैला था पर रोहित के पापा सादगी पसंद थे। उनकी पत्नि भी बहुत अच्छी थी पर ज़रुरी नहीं कि बच्चे ममी पापा पर ही जाएं, रोहित का स्वभाव अलग ही था ममी पापा के समझाने के बावजूद भी वो बहुत घमंडी किस्म का लड़का था उसे अपने पापा के रुतबे और दौलत पर बहुत गुमान था। वो समझता था कि सभी उनके पैसों से प्यार करते हैं, जब समाज में आपका अच्छा रुत्तबा हो तो सब कुछ अपने आप ही मिल जाता है, लोग आपसे बात करने के लिए खुद ही उतावले होते हैं।

रोहित की ऐसी सोच गल्त थी हर कोई एक सा नहीं होता। रोहित अकसर सुबह उसी रास्ते से गुज़रता था यहां से सुहाना का कालेज था, रोहित पापा के आफिस समय पर चला जाता था, वहीं सुहाना के कालेज का समय भी वही था ज्यादातर सुहाना और रोहित का आमना सामना हो जाता रास्ते पर, रोहित को सुहाना अच्छी लगने लगी थी पर सुहाना का कपड़े पहनने का ढंग और रहन सहन उसे पसंद नहीं था।

वहीं सुहाना को भी रोहित अच्छा लगने लगा। जब भी उनकी नज़रें मिलती, सुहाना शरमा कर आँखे नीचे कर लेती और मुस्कुरा कर आगे बड़ जाती, न चाहते हुए भी सुहाना रोहित की तरफ खींची चली जा रही थी वो जान चुकी थी कि रोहित बहुत ही अमीर घर का बेटा है पर प्यार यह सब कहां सोचता है। सुहाना ने बहुत चाहा कि वो खुद को आगे बड़ने से रोक ले पर रोहित में जाने क्या कशिश थी कि सुहाना बेमेल प्यार करने की गल्ती कर बैठी थी। एक दो बार उनकी बात भी हो चुकी थी रोहित ने सुहाना को मिलने के लिए कहा था पर सुहाना ने मना कर दिया था, रोहित, को कोई परवाह नहीं थी पर उसे बहुत बुरा लगा कि सुहाना है क्या जो ऐसे मना कर रही है उसे कोई लड़कियों की कमी नहीं है पर सुहाना सुन्दर थी इसिलिए वो सुहाना के साथ टाइम पास करना चाहता था पर सुहाना रोहित की असलियत नही जानती थी। सुहाना के पास तो ढंग के कपड़े भी नहीं थे, कमीज़ कोई तो सलवार कोई पहन लिया करती थी पर,बाहर जाने के लिए भी दो तीन पौशाकें थीं पर साधारण सी दिखने वाली थी और रोहित की तो शायद नौकरानी भी उसके मुकाबले अच्छे कपड़े पहनती होगी। सुहाना को लगा शायद रोहित उसके स्वभाव और अच्छे संस्कारों की वजह से उसे पसंद करता है शायद शादी का भी विचार होगा पर रोहित तो स्िर्फ टाइम पास कर रहा था।

एक दिन सुहाना के लिए घर पर रिशता आया था, बहुत अच्छा रिशता था, सुहाना के परिवार का मौहल्ले में बहुत नाम था कि बहुत शरीफ लोग हैं और सुहाना भी बहुत सुन्दर, पढ़ी लिखी और संस्कारी लड़की थी, बात सुहाना पर आई थी कि जो सुहाना का फैसला होगा वो मंजूर होगा क्योंकि जिस जान पहचान वाले ने रिशता लाया था उसने कहा था कि लड़के वाले अमीर हैं सब कुछ है उन्हें सुंदर और संस्कारी लड़की चाहिए, दहेज कुछ नहीं चाहिए। सुहाना के ममी पापा बहुत खुश थे लड़के की तस्वीर भी दिखाई गई थी लड़का भी सुन्दर था पर सुहाना का दिल तो कोई और चुरा चुका था। सुहाना ने ममी पापा को सब सच सुना दिया कि वो रोहित नाम के लड़के से प्यार करती है वो बहुत ही अमीर है इसलिए नहीं पर जाने क्यों वो उसकी ओर खींची चली गई, वो उससे प्यार करता है या क्या सोचता है वो नहीं जानती पर सुहाना के मन में वो बस गया है। घर वालों को सुहाना पर विशवास था वो अपना फैसला सुहाना पर थोपना नहीं चाहते थे पर जिस लड़के से वो प्यार करती है उसके बारे में वो कुछ नहीं जानते थे। वहीं रोहित सुहाना को सिर्फ देखता था वो आकर्षित था सुहाना की तरफ,पर शादी के बारे में उसने सोचा नहीं था, एक दिन रोहित ने सुहाना से बात की और सुहाना ने भी प्यार का इज़हार किया पर रोहित ने सिर्फ प्यार तक ही सीमित रिशता रखने की बात कही, वो शादी के बारे में नहीं सोचता था,। पर सुहाना रोहित से जवाब चाहती थी क्योंकि वो रिशते को तभी आगे बड़ाना चाहती थी अगर रोहित उससे शादी करना चाहता है तो, पर रोहित बहुत ही घमंडी किस्म का था उसने सुहाना को साफ कह दिया था कि तुम जैसी फटेहाल लड़की से मैं शादी करुंगा, जो ढंग के कपड़े तक नहीं पहनती है बस तुम्हारी शक्ल ही अच्छी है इसलिअ तुम्हें देखता था और हाँ टाइम पास के लिए ठीक हो पर सारी ज़िन्दही तुम जैसी डफर और गरीब लड़की के साथ शादी करके मैं इस गंदी जगह पर आया करुंगा यहां तुम्हारा घर है।

मेरी कोई शान है समाज में पापा और ममी का नाम है,मुझे अपना स्टेटस खराब नहीं करना कोई स्टाइल नहीं कुछ नहीं और सपने शादी के देख रही हो ठीक है तुम सुन्दर हो पर तुम जैसी भौंदू लड़की के साथ शादी तो मैं कभी सोच भी नहीं सकता कहां तुम कहां मैं। यह सब कहकर रोहित चला गया, सुहाना वहीं खड़ी प्यार शब्द के मायने खोज रही थी कि क्या प्यार सिर्फ यही है, क्या पैसे से प्यार छोटा है। एक माटी की गुड़िया महलो की रानी नहीं बन सकती। सुहाना का दिल बुरी तरह से टूट चुका था, आँखों में आंसुओं का सैलाब सा बह रहा था। घर आकर ममी पापा को सब सुना दिया उन्होने उसे समझाया और कहा कि सबकी सोच एक सी नहीं होती बेटा कुछ लोग पैसे से इन्सान को तौलते हैं कुछ काबलियत और गुणों से सबका अलग अलग नज़रिया है जीने का वो रोहित के ममी पापा से बात करने को तैयार थे पर सुहाना ने मना कर दिया। सुहाना को बहुत वक्त लगा रोहित को भूलने में और उसकी कही कड़वी बातों को। पर वक्त सब घाव भर देता हौ और वो माटी की गुड़िया को कोई और ब्याह कर ले गया वो रोहित जैसा बहुत ही अमीर तो नहीं था पर बहुत ही अच्छा, इंसान की कद्र करने वाला लड़का था। जिसने जल्दी ही सुहाना के ज़ख्म भर दिए थे। वो सुहाना को उसके संस्कारो और अच्छाई की वजह से पसंद करता था।

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