मैं भारत बोल रहा हूं-काव्य संकलन - 11 बेदराम प्रजापति "मनमस्त" द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें कविता किताबें मैं भारत बोल रहा हूं-काव्य संकलन - 11 मैं भारत बोल रहा हूं-काव्य संकलन - 11 बेदराम प्रजापति "मनमस्त" द्वारा हिंदी कविता 1.2k 4.9k मैं भारत बोल रहा हूं 11 (काव्य संकलन) वेदराम प्रजापति‘ मनमस्त’ ...और पढ़े 43. सविधान की दहरी आज तुम्हारे इस चिंतन से, सविंधान की दहरी कॅंपती। श्रम पूंजी के खॉंडव वन में, जयचंदो की ढपली बजती। कितना दव्वू सुबह हो गया, नहीं सोचा था कभी किसी ने- किरणो का आक्रोश मिट गया, शर्मी-शर्मी सुबह नाचती।। कलमों की नोंके क्या वन्दी? इन बम्बो की आवाजों में। त्याग-तपस्या का वो मंजर, लगा खो गया इन साजों में। पगडण्डी बण्डी-बण्डी है, गॉंव-गली की चौपालें-भी- लोकतंत्र में दूरी हो गई, प्रजातंत्र नकली-वाजों में।। तरूणाई झण्डों में भूली, डण्डों की बौछार हो रही। धर्मवाद के कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें मैं भारत बोल रहा हूं-काव्य संकलन - 11 मैं भारत बोल रहा हूं-काव्य संकलन - उपन्यास बेदराम प्रजापति "मनमस्त" द्वारा हिंदी - कविता (53) 22.3k 89k Free Novels by बेदराम प्रजापति "मनमस्त" अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी बेदराम प्रजापति "मनमस्त" फॉलो