स्वप्न हो गये बचपन के दिन भी... (15) Anandvardhan Ojha द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें बाल कथाएँ किताबें स्वप्न हो गये बचपन के दिन भी... (15) स्वप्न हो गये बचपन के दिन भी... (15) Anandvardhan Ojha द्वारा हिंदी बाल कथाएँ 1.2k 2k स्वप्न हो गये बचपन के दिन भी (15)'मैंने छुट्टी उसे नहीं दी थी...'उत्साह-उमंग और जीवन से भरा था वह बांका जवान ! मेरी ही कंपनी में ट्रक का खलासी था--वह गढ़वाली रामसिंह! गेहुआं रंग, लम्बी-छरहरी काया, लम्बी बाहें--घुटने तक ...और पढ़ेहुई; आँखें छोटी और नासिक थोड़ी चिपटी। चलता तो लगता, दौड़ रहा है। कुछ बोलता, तो उसकी बात समझने में वक़्त लगता। वैसे वह बोलता ही कम था। उसे हमेशा छुट्टी की पड़ी रहती। न जाने वह कौन-सा पहाड़ी प्रदेश था, जहाँ उसके वृद्ध माता-पिता रहते थे। और, वह उन्हीं के पास जाने के लिए मचलता रहता था। वह तभी कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें स्वप्न हो गये बचपन के दिन भी... - उपन्यास Anandvardhan Ojha द्वारा हिंदी - बाल कथाएँ (90) 10.3k 22k Free Novels by Anandvardhan Ojha अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Anandvardhan Ojha फॉलो