कहानी "रिस्क" एक माँ-बेटी की बातचीत पर आधारित है, जहाँ सपना अपनी माँ से शादी के लहंगे के बारे में चर्चा कर रही है। सपना अपनी ताई-ताऊ जी को साथ लेने की इच्छा व्यक्त करती है, जबकि उसकी माँ बजट की चिंता करती है। सपना का कहना है कि कभी-कभी बजट से बाहर जाकर जीना भी चाहिए, लेकिन उसकी माँ रिस्क लेने से मना करती है। उनकी बातचीत के दौरान, जेठानी जी आती हैं और सब दुकान पर जाते हैं। वहाँ सपना का पसंदीदा महंगा लहंगा दिखाया जाता है, जिसे उसकी ताई सराहती है, लेकिन सपना इसकी उच्च कीमत को लेकर चिंतित है। ताई फिर भी कहती हैं कि शादी के लिए इतनी खर्च करने में कोई बुराई नहीं है। कहानी इस संघर्ष को दर्शाती है कि सीमित बजट में खुश रहने और सपना देखने के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। स्वाभिमान - लघुकथा - 41 सीमा जैन 'भारत' द्वारा हिंदी लघुकथा 5 1.7k Downloads 7.7k Views Writen by सीमा जैन 'भारत' Category लघुकथा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण -“शादी का लहंगा लेने के लिए ताई-ताऊ जी को साथ लेने की क्या ज़रूरत है बेटा?” -“माँ, हमारा बजट तो तुम जानती हो ना!” - “सपना, तुमनें हमेशा मेरी बात को समझा है फ़िर आज किसी से उम्मीद क्यों?” -“माँ कभी तो बजट के बाहर जी लेने दो ना!” -“पर यदि उन्होंने उस महँगे लहँगे के पैसे नहीं दिए तो?” More Likes This सगाई की अंगूठी द्वारा S Sinha क्या यही है पहला प्यार? भाग -2 द्वारा anmol sushil काली किताब - भाग 1 द्वारा Shailesh verma Silent Desires - 1 द्वारा Vishal Saini IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 2 द्वारा Akshay Tiwari Chai ki Pyali - 1 द्वारा Mansi गौतम बुद्ध की प्रेरक कहानियां - भाग 1 द्वारा Anarchy Short Story अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी