Hindi Poem status by Arpan Kumar on 02-May-2019 01:00pm होम बाइट्स हिंदी कविता बाइट्स Arpan Kumar Arpan Kumar हिंदी कविता 7 महीना पहले कविता अँधेरे में पुरुष अर्पण कुमार दिन भर के तामझाम के बाद गहराती शाम में निकल बाहर नीचे की भीड़ से चला आता हूँ खुली छत पर थोड़ी हवा थोड़ा आकाश और थोड़ा एकांत पाने के लिए निढाल मन एक भारी-भरकम वज़ूद को भारहीन कर खो जाता है जाने किस शून्य में अंतरिक्ष के कि वायु के उस स्पंदित गोले में साफ़ साफ़ महसूस की जाने वाली कोई ठोस रासायनिक प्रतिक्रिया होती है और अलस आँखों की कोरों से बहने लगती है एक नदी ख़ामोशी से डूबती-उतराती करुणा में देर तलक भला हो अँधेरे का कि बचा लेता है एक पुरुष के स्याह रुदन को प्रकट उपहास से समाज के दुःखी पुरुष को अँधेरे की ओट मिल जाती है नदी सरकती हुई उसके पास आती है और उसे अपने पार्श्व में ले लेती है देर तक एक दूजे के मन को टटोलते हुए दोनों दूसरे के दुःखों को कब सहलाने लगे, इसका पता उन्हें भी नहीं चला उस रात्रि करुणा का उजाला था और मेरे पुरुष के भीतर कोई स्त्री अँखुआयी थी। ..... #KAVYOTSAV -2 और पढ़े 40 Views लाइक् 9 कोमेन्ट शेयर करें फेसबुक ट्विटर गूगल वॉट्स ऐप 21 अन्य व्यक्तियों ने पसंद किया Neelima sharma Nivia 7 महीना पहले बेहतरीन Arpan Kumar 7 महीना पहले जी, शुक्रिया। Umashankar 7 महीना पहले अतिसुन्दर Karan Yadav 7 महीना पहले बेहतरीन Arpan Kumar 7 महीना पहले शुक्रिया करण और उमाशंकर। Sudhir kumar 7 महीना पहले Nice line Sudhir kumar 7 महीना पहले Atisunder....."Andhere me purus" Vivek Kumar 7 महीना पहले लाजवाब... ?????... mukesh bharti 7 महीना पहले well crafted आगे देखें हिंदी कविता स्टेटस मोबाईल पर डाऊनलोड करें अन्य रसप्रद विकल्प ब्लॉग फिल्म समीक्षा हाइकू माइक्रो फिक्शन शायरी कहानी सुविचार प्रश्न चुटकुले वोट्सेप स्टेटस पुस्तक समीक्षा गीत लोक संगीत नृत्य मजेदार प्रेरक शुभ प्रभात शुभ रात्रि रोमांस धार्मिक विचार शुभ संध्या समाचार कविता गांधीगिरी बातूनी विराज