Atul Kumar Sharma ” Kumar ”

Atul Kumar Sharma ” Kumar ” मातृभारती सत्यापित

@atulkumarsharma205722

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आपके बारे में

लेखक के लिए आवश्यक है पाठकों के हृदय में अपने शब्दों से जगह बनाना। शब्द जो भावनाओ को अभिव्यक्ति देते हैं। शब्द जो पढ़ने वाले के हृदय में हमेशा के लिए घर बना लेते हैं। किताबी बातें ना करते हुए ऐसा कुछ सार्थक लिखना जो जन जन के जीवन की झांकी को प्रस्तुत करे। कलम से ऐसा कुछ निकले जिससे समाज मे सकारात्मक परिवर्तन आ सके। जो जन जन की भावनाओं को अभिव्यक्ति दे सके। जो पाठक का मनोरंजन भी कर सके और मार्गदर्शन भी। कम शब्दों में बहुत कुछ अभिव्यक्त कर सके।

आजकल के आम आदमी भी बड़े चतरे हो गए हैं साहब। वो पहले वाले नही जिन्हें कोई भी अमरीश पुरी या प्रेम चोपड़ा 2 गुंडे भेज चमका दे। ☺️

अतुल कुमार शर्मा

-Atul Kumar Sharma ” Kumar ”

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' मेरे नैना सावन भादौ ' के बाद अब मेरी एक और हॉरर मर्डर मिस्ट्री ' अदृश्यम ' मातृभरती पर बहुत जल्द। पढ़ने के लिए मुझे फॉलो करें।
https://www.matrubharti.com/atulkumarsharma205722

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Atul Kumar Sharma ” Kumar ” मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी विचार
1 साल पहले

क्या करें किससे कहें, कौन माने लेता है,
चार गाय चौदह भैंसे कौआ निगले लेता है।...😊

-Atul Kumar Sharma ” Kumar ”

Atul Kumar Sharma ” Kumar ” मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी विचार
2 साल पहले

है भगवान तू ही महान तू ही सर्वशक्तिमान
तेरी भक्ति करता रहूँ बस यही है अरमान
पर फिर भी मुझे आपसे कुछ शिकायत है श्रीमान
इस दुनिया रूपी खेत को आखिर आपने किस हल से है जोता
मिठाई की दुकान के पास एक गरीब माँ का भूखा बच्चा है रोता
ऐसी मार्मिक दास्तान देख भला में चैन से कैसे सोता
जिसकी थाली भरी पड़ी है , वो गिन गिन के है खाता
जिसे जरूरत है खुराक की , उसे कुछ नही मिल पाता
सच मे आंख झलक आई इस नन्हे की खुशी को देख...
इस मार्मिक मुस्कान के आगे दुनिया के सारे ऐशो आराम हैं फेक...🤔😢

ये बालक रो नही रहा है बल्कि खाना मिलने की खुशी में इसके आंसू झलक आये। लेकिन ये स्तिथि हमे सोचने और रोने पर मजबूर करती है। अन्न का निरादर ना करें। कोई सूखी रोटी को अपने बुरे वक्त की निशानी समझता है, तो कोई उसी सूखी रोटी के लिए ईश्वर को धन्यवाद देता है।

है ईश्वर सबको खुश रख🙏

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प्रचंड ज्वाला है जल रही , हवाओं में प्रबल वेग है
जो लक्ष्य पर नज़र टिकाए है , वही आज अभेद है...
जो हृदय में है ठान लिया , वही इरादा नेक है,
इन आँधीयों तूफानों से टकराना ही सनातन साहस का संकेत है...👍

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#कुछ_तो_भी_तुकबंदी 😀

कभी खुशी कभी गम
कभी पीडा कभी मरहम
कभी हाल कभी चाल
कभी बाल कभी टाल
कभी पंगु कभी समर्थ
कभी अर्थ कभी व्यर्थ
कभी पूरे कभी अधूरे
कभी गोरे कभी भूरे
कभी तारीफ कभी हूल
कभी 2 माली कभी 1 फूल
कभी शोले कभी त्रिशूल
कभी बोली कभी गोली
कभी सचिन कभी कोहली
कभी सिंघम कभी बेदम
कभी शोला कभी शबनम
कभी भांगड़ा कभी डांडिया
कभी मदर इंडिया
कभी मिस्टर इंडिया
कभी नरम कभी गरम
कभी बच्चन कभी धरम
कभी अकेले कभी साथ
कभी आलोक नाथ
कभी प्रेम नाथ
कभी मंगल कभी दंगल
कभी चोपड़ा कभी हंगल
कभी फ्री एंट्री कभी फीस
कभी आंटी नम्बर वन
कभी चाची 420
कभी टिंकू जिया कभी बिल्लू नाई
इतना सन्नाटा क्यों है भाई...☺😊

Atul Kumar Sharma

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Atul Kumar Sharma ” Kumar ” मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी कहानी
2 साल पहले

Atul Kumar Sharma ” Kumar ” लिखित कहानी "अनीता (A Murder Mystery) - 1" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें
https://www.matrubharti.com/book/19924477/aneeta-a-murder-mystery-1

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Atul Kumar Sharma ” Kumar ” मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी कहानी
2 साल पहले

Atul Kumar Sharma ” Kumar ” लिखित कहानी "अमावस - ( कहानी काली रात की )" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें
https://www.matrubharti.com/book/19924407/amaawas

Atul Kumar Sharma ” Kumar ” मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी कहानी
2 साल पहले

Atul Kumar Sharma ” Kumar ” लिखित कहानी "अनीता (A Murder Mystery) - 1" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें
https://www.matrubharti.com/book/19924477/aneeta-a-murder-mystery-1

Atul Kumar Sharma ” Kumar ” मातृभारती सत्यापित कोट्स पर पोस्ट किया गया हिंदी ब्लॉग
2 साल पहले

आम इंसान की तो पुरातन काल मे भी नही चलती थी
मेहनत और संघर्ष के बल पर ही उसकी दुनिया पलती थी...
कभी असुरों के हाथ निपट गए
कभी ऋषियों के शाप का निवाला बन गए...
जिंदगी आज भी रंग बदलती है
जिंदगी तब भी रूप बदलती थी...
ईश्वर ने श्रीराम श्रीकृष्ण के मानवतार भले लिए
पर भगवानीयत हमेशा उनके साथ ही चलती थी...
वरना साधारण मानव को कहाँ नसीब इंद्र का रथ
उसे भला कहाँ मिलेंगे हनुमान से भक्त ...
दुर्योधन ने जब कृष्ण को बंदी बनाने आगे कदम बढ़ाया
तब तुरन्त ईश्वर ने विश्वरूप दिखलाया...
जिनके आगे एक बार बोलने को पूरी दुनिया तरसती थी
अंत मे विजय उन्हीं निराकार की तो होती थी...
मित्र सुदामा से मित्रता का अनूठा बन्धन बाद में भले प्रभु ने निभाया
पर पहले एक मुट्ठी चने का मूल्य उस ब्राह्ममण ने भी तो सारी उम्र संघर्ष कर चुकाया...
सत्ता के लिए युद्ध तो तब भी होते थे
भला कौनसा अवतार उन्हें रोक पाया...

अंत मे...

ईश्वर के गुण कहाँ मानवों में आ पायंगे
कितने राम पिता के वचनों की लाज रख पाएंगे?????
कितने कृष्ण अपने माता पिता के अपमान का बदला ले पाएंगे?????
कितने केशव द्रौपदी की लाज बचा पाएंगे?????
साधारण मानव तो अंत मे कर्मों की गति पर ही निर्भर रह जाएंगे
उसका परिणाम तो सिर्फ ईश्वर ही घोषित कर पाएंगे...👍

अतुल कुमार शर्मा

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