The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
8
8k
72.1k
नाम...डॉ अमृता शुक्ला जन्म तिथि.....11मार्च 1960 पिता...स्व.डॉ राजेश्वर गुरु साहित्यकार पितामह.....विश्वविद व्याकरणाचार्य पं कामता प्रसाद गुरु पति...श्री अनिल शुक्ला शिक्षा....एमए हिंदी पीएचडी बीएड रुचि...पठन पाठन .लेखन .संगीत प्रकाशित पुस्तकें....बेतनाम....डॉ श्रीमती अमृता शुक्ला जन्म तिथि....11march 1960 जन्म स्थान.....भोपाल म.प्र. पितामह......विश्व विद व्याकरणाचार्य पं.कामता प्रसाद गुरू पिता........स्व.डॉ राजेश्वर गुरु साहित्य कार पति.......श्री अनिल शुक्ला शिक्षा.......एमए हिंदी,पीएचडी,बीएड
राखी के दो धागों में भाई बहन का प्यार बसा है राखी के दो धागों में । आशीषों का उपहार बसा है राखी के दो धागों में। भाई भाभी को टीका कर बांधें राखी, कमी न खलती हो बाबा और मां की । जोडी बनी रहे बहन ये दुआ माँगती । घर की खुशियों की सौगात चाहती। रिश्तों का संसार बसा है बस राखी के दो धागों में। आशीषों का उपहार बसा है राखी के दो धागों में । अब बहनें सब हैं अपने घर , मिल न पाते रक्षाबंधन पर। चिठ्ठी से उनको जाती राखी, भाभी से कहना लिखे वो पाती। यादों का अंबार बसा है राखी के दो धागों में। भाई बहन का प्यार बसा है राखी के दो धागों में । आशीषों का उपहार बसा है राखी के दो धागों में। डॉअमृता शुक्ला #Rakshabandhan
गणतंत्र दिवस #धर्म का नाम लेकर न झगड़ा करो। ताकतवर बनते हो ,पर खुदा से ड़रो एकता ही भारत की पहचान रही है, देश की उन्नति में ही जियो और मरो। छब्बीस जनवरी गणतंत्र दिवस पर , सद्भावना और प्रेम से सब बैर हरो। अमृता शुक्ला
Shaheed कारगिल विजय दिवस यह दिन है उन शहीदों को श्रद्धासुमन चढ़ाने का। जिन्होंने संकल्प लिया था, मातृभूमि को बचाने का। घात लगाकर बैठे दुश्मन अपनी चाल चल रहे थे, सैनिको के बुलंद हौसले उनकी ढाल बन रहे थे, उस ताकत के आगे , नहीं कम उम्र कुछ माने का। जिन्होंने संकल्प लिया था मातृभूमि को बचाने का। बर्फीली जमीन और हवाएं उनके पैर धंसा देती थीं, फिर भी बंदूकों की गोलियां जोश से दागी जाती थीं। दुर्गम पथ था देर से पता लगा शत्रु के घुस जाने का। जिन्होंने संकल्प लिया था मातृभूमि को बचाने को । डॉअमृता शुक्ला
#Deshbhakti #देशभक्ति और भाईचारे से बना देश का तंत्र। बहुरंगी लोगों की विभिन्न जाति ,धर्म के मंत्र। सबको समानता का अधिकार मिला ऐसा है, छब्बीस जनवरी को मनाते हम दिवस गणतंत्र । अमृता शुक्ला
#आजा़दी आजा़दी आज हो गई है पछत्तर साल की। । इसे पाने में भूमिका थी लाल बाल पाल की। मनमानी करके नफरत, दंगे मत भडकाओ, संघर्षों से मिली ये पूंजी है देश विशाल की। डॉअमृता शुक्ला
#पतंग वो उम्र कमसिन थी उड़ा करती पतंग सी। आकाश की ऊंचाई में जाने को बेताब रहती। तेज़ हवाओं के कानो में धीरे से कुछ कहना चाहती। रंगीन सपने आंखों में धारे। चलते किसी प्यार के सहारे। जो डोर को थामकर रखता बन जाता एक मीठा रिश्ता। लेकिन सब ये आभास हरदम रहता नहीं पास। जब पतंग कट जाती है डोर हाथ से छूट जाती है। वैसे ही जीवन की पतंग भी उड़ती नहीं पहली उमंग सी। हो चुकी है वो बेरंग की। छूटते बिछड़ते संग की डोर है अब ऊपर वाले के हाथ। जाने कब छूट जाए साथ। डॉअमृता शुक्ला
बर्फ की चादर ,नीलगगन की सुंदरता। लेकिन क्यों फिर लगती कुछ जड़ता। शुष्क चिनार का आमंत्रण बाँहें खोले, वसंत, समाकर भर दो मुझमें जीवंतता। डॉअमृता शुक्ला
जीवन के बिखरे ताने -बाने में, हँसने और रोने के फ़साने में, समय कैसे गुज़रता जाता है, महीने,सालों के आने जाने में। कितने रिश्ते जुड़ते ,बिछड़ते, होते थे अपने ,बनते अन्जाने में। डॉअमृता शुक्ला
दूरियाँ कैसी भी हों,ऊंचाई गहरी भी हो। हौसले बुलंद हो और हसरतें ठहरी न हों। उस नभ पर, वो सूरज की रोशनी तलक, पहुँचों वहाँ,जहाँ तकलीफ की देहरी न हो। डॉअमृता शुक्ला
घर-परिवार की खुशी ,पैसे से मत तोल। अपने साथ में रहें ,अपने तो हैं अनमोल। बस जीवन की जरूरत पूरी होती जाय , पैसा हाथ का मैल ,कहें बुजुर्ग ये बोल। डॉअमृता शुक्ला
लॉग इन करें
लॉगिन से आप मातृभारती के "उपयोग के नियम" और "गोपनीयता नीति" से अपनी सहमती प्रकट करते हैं.
वेरिफिकेशन
ऐप डाउनलोड करें
ऐप डाउनलोड करने के लिए लिंक प्राप्त करें
Copyright © 2022, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser