मीठा बोलने में कंजूसी नहीं करनी चाहिये... !

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नेत्रहीन संतएक बार एक राजा अपने सहचरों के साथ शिकार खेलने जंगल में गया था । वहाँ शिकार के चक्कर में एक दूसरे से बिछड़ गये और एक दूसरे को खोजते हुये राजा एक नेत्रहीन संत की कुटिया में पहुँच कर अपने बिछड़े हुये साथियों के बारे में पूछा ।नेत्र हीन संत ने कहा महाराज सबसे पहले आपके सिपाही गये हैं, बाद में आपके मंत्री गये, अब आप स्वयं पधारे हैं । इसी रास्ते से आप आगे जायें तो मुलाकात हो जायगी । संत के बताये हुये रास्ते में राजा ने घोड़ा दौड़ाया और जल्दी ही अपने सहयोगियों से जा