अनुच्छेद-चार जिन्दगी पतंग की तरह कट जाए तो ? अस्पताल में भी एक तरह की अनाशक्ति पनप जाती है। रोज कितने ही लोग भर्ती होते हैं, कितने ही उससे बाहर होते हैं। रोज कितनी ही मौतें हो जाती हैं। जब किसी वार्ड में पड़े हुए किसी आदमी की मौत हो जाती है तो थोड़ी देर के लिए वातावरण जरूर बोझिल हो जाता है। जैसे ही वह शव बाहर हो जाता है, ऐसा लगता है कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं। उसी बिस्तर पर चद्दर बदल दिया