अपना आकाश - 23 - कंकड़ी उवाच और........

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अनुच्छेद- २३ कंकड़ी उवाच और........ भँवरी, नन्दू और हरबंश के हस्ताक्षर से एक प्रार्थना पत्र जब पुलिस अधीक्षक के सामने आया, वे चौंक पड़ीं। डाक से प्रार्थना-पत्र की प्रति डी. आई.जी. और मुख्य मंत्री को भी भेजी गई थी। उन्होंने चटपट सी. ओ. सदर को जाँच के लिए दे दिया। शाम तक कोतवाल को भी सूचना मिल गई। वे अपनी कुर्सी पर बैठे चाय की चुस्की ले रहे थे। एक बार उनके मुँह से निकला 'हूँ।' दौड़ रहा है उनका दिमाग । फिर एक बार निकला 'हूँ।' वे अकेले बैठे हैं। दो घूँट पीने के बाद चाय का प्याला रख