खुदा कि दोस्ती

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जब नफरत कि हद हो जाती है और उन्माद चरम पर होता है तब सारी दुनियां एव समाज उसकी तरफ मुखतिब होती है और हर आम खास कि जुबान जेहन में घट रही घटनाओं के सम्बंध में अपने अपने विचार आते है जिसे वह गाहे बगाहे अवसर मिलने पर प्रस्तुत करता रहता है ।जबकि घट रही घटनाओं से उसका दूर दूर तक कोई संबंध नही होता है किंतु घट रही घटनाओं से जूझते समाज के मध्य पल प्रति पल नई नई संभावनाएं जन्म लेती है जो कभी कही किसी सकारत्मक आशा का संचार करती है तो भय भ्रम एव शोषण