गीता से श्री कृष्ण के 555 जीवन सूत्र - भाग 146

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जीवन सूत्र 421 सब लोगों को समान समझने की दृष्टि आवश्यक अर्जुन फिर सोच में पड़ गए। सामने भगवान श्री कृष्ण हैं।अखिल ब्रह्मांड महानायक।अर्जुन के आराध्य सखा सब कुछ।भगवान कृष्ण अनेक तरह से अर्जुन को समझाने का प्रयत्न कर रहे हैं। अभी थोड़ी देर पहले श्री कृष्ण ने कहा था।सर्दी-गर्मी,सुख-दुख,मान- अपमान इन दोनों में भी हमारे अंतःकरण की वृत्ति को शांत होना चाहिए। अर्जुन ने सोचा। सर्दी और गर्मी अगर संतुलित मात्रा में हो तब तो ठीक है।अगर अत्यधिक सर्दी पड़े और भीषण लू के थपेड़े झेलने पड़े तो ऐसी स्थिति में अंतःकरण की वृत्ति कैसे शांत होगी? जब श्री