जीवन सूत्र 140 आसक्ति क्रोध और डर ईश्वर प्राप्ति में बाधक गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है -वीतरागभयक्रोधा मन्मया मामुपाश्रिताः।बहवो ज्ञानतपसा पूता मद्भावमागताः।।4/10।।इसका अर्थ है, हे अर्जुन,जिनके राग,भय और क्रोध समाप्त हो गए हैं,जो मुझ में ही तल्लीन हैं, जो मेरे ही आश्रित हैं,वे ज्ञान रूपी तप से पवित्र होकर मेरे स्वरूप को प्राप्त हो चुके हैं। इस श्लोक में भगवान कृष्ण ने उन उपायों पर चर्चा की है,जिनसे कोई व्यक्ति ईश्वर को प्राप्त कर सकता है।उन्होंने स्वयं कहा है कि अपनी आसक्ति,डर और क्रोध जैसी भावनाओं को दूर कर चुके अनेक साधक उन्हें अर्थात ईश्वर को प्राप्त