-----थाने वाला गाँव----विल्लोर गांव का एकात्म स्वरूप बदल चुका था गांव छोटे छोटे टोलो में जातिगत आधार में बंट एक अविकसित कस्बाई रूप ले चुका था जहाँ हर व्यक्ति गांव के एकात्म स्वरूप के सौहार्द को याद कर समय को कोसता और बादलते समय की दुहाई देकर वर्तमान परिस्थितियों को स्वीकार कर लेता गांव की हालत यह हो गयी थी कि गांव के प्रत्येक व्यक्ति की सोच सिर्फ स्वयं एव स्वयं के परिवार और जाति तक सीमित रह गयी थी स्वार्थ के अतिरिक्त कोई मूल्य शेष नही रह गया था ।गांव के एक टोले के लोग दूसरे टोले के लोंगो