जीवन उत्सव

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आशीष रेलगाड़ी से गोरखपुर जंक्सन पर उतर गया रात को ही उसने भोजन किया था एक फूटी कौड़ी उसके पास नही थी यह उसका सौभाग्य ही था कि कप्तान गंज से गोरखपुर के बीच किसी भी टी टी से मुलाकात नही हुई उसके मन मे डर भी सता रहा था कि कही उसके पिता मुसई उंसे खोजते हुए यहाँ पहुँच जाय। आशीष गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर कुछ देर इधर उधर भटकता रहा जो भी उंसे देखता पूछने से नही चुकता की क्या तुम घर से भागे हो ?उसका जबाब होता भगवान श्री कृष्ण कि इच्छा एक दो बार सवाल करने