भाग 38 :जीवन सूत्र भाग 38 :जीवन सूत्र 44:इंद्रियों को साधें, स्वयं को जीतेंभगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है,तानि सर्वाणि संयम्य युक्त आसीत मत्परः।वशे हि यस्येन्द्रियाणि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।2/61।।इसका अर्थ है, हे अर्जुन! साधक उन सम्पूर्ण इन्द्रियों को वश में करके मेरे परायण होकर ध्यान में बैठे; क्योंकि जिस व्यक्ति की इन्द्रियाँ वशमें हैं,उसकी बुद्धि स्थिर हो जाती है। हमारे दैनिक जीवन में आपाधापी की स्थिति है। कारण यह है कि हममें से अनेक लोगों के लक्ष्य आपस में टकराते हैं और एक अनार, सौ बीमार वाली स्थिति बन जाती है। इसका परिणाम यह होता है एक ही