मॉटरनी का बुद्धु---(भाग-17)संध्या के साथ घूम कर भूपेंद्र जी खुश थे और फ्रेश भी फील कर रहे थे। संभव पापा को खुश देख कर खुश था। संडे था तो भूपेंद्र जी घर पर ही थे, फिर उनके दोनो भाई भी परिवार के साथ आ रहे थे। सभ्यता ने काकी को सब बता दिया था। काकी अपने साथ अपनी बेटी को भी ले आयी थी। दोनो ने मिल कर रसोई संभाल ली। बीच में भूपेंद्र जी ने उसे घर पर पढने के लिए भेज दिया। कढाही पनीर भी बनना था तो वो काकी नहीं बना सकती थी सो भूपेंद्र जी ने