मॉटरनी का बुद्धु---(भाग-12)संध्या के साथ अपने सफर को रात में दोहराते हुए भूपेंद्र जी सो गए। सुबह अलार्म बजते ही उठ गए। रोज के टाइम से थोड़ा जल्दी आ गए। सभ्यता को पता नहीं था कि पापा जल्दी आने वाले हैं तो वो अपने रूम से बाहर नहीं आयी थी। भूपेंद्र जी न्यूज पेपर पढने बैठ गए, पर मन नहीं लगा तो किचन में जा कर दो कप चाय का पानी रख दिया। चाय बनते तक सभ्यता भी आ गयी। पापा को हॉल में भेज चाय छान कर ले आयी। जब भी उन्हें डॉ. संध्या के टेस्टस के लिए कहते