बरसात की एक रात 'हरी हरी वसुंधरा पे नीला नीला ये गगन कि जिसपे बादलो की पालकी उड़ा रहा पवन दिशाएं देखो रंग भरी, चमक रहीं उमंग भरी ये किसने फूल फूल पे किया श्रृंगार है ये कौन चित्रकार है, ये कौन चित्रकार......... प्रकृति की अद्भुत सुंदरता में डूबी वसुधा के होठों पर स्वत: यह गीत आने लगे। सावन के महीने में यह पर्वतीय प्रदेश अपने सुंदरतम रूप में होता है।काठगोदाम से उसकी कार बढ़ रही थी बिनसर की तरफ।अचानक बादलों के पीछे से इन्द्रधनुष उभरता देख कर दैवीय आभा से दमकते भीमताल में कुछ देर के लिए वह रुक