स्वप्न हो गये बचपन के दिन भी... (6)

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बीत गये बचपन के दिन भी (6)पत्रहीन आम्र-वृक्ष का रुदन...गाँव के किशोरों-युवाओं में एक खेल आज भी बहुत प्रिय है--'डोलापाती' ! ५०-५५ वर्ष पहले यह खेल शहरों में भी खूब खेला जाता था, क्योंकि तब शहरों में भी बगीचे और वृक्ष हुआ करते थे। आज के प्रायः तमाम शहर वृक्ष-विहीन हो गए हैं। वृक्षों की जगह नन्हे पौधों ने ले ली है और वे क्यारियों या गमलों में आ बसे हैं! मुश्किल ये है कि 'डोलापाती' का खेल वृक्षों पर ही खेला जा सकता है, पौधों पर नहीं।मैं जिस ज़माने की बात कह रहा हूँ, उस ज़माने में, यानी मेरे