एक विधवा और एक चाँद - 1

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एक विधवा और एक चाँद नीला प्रसाद (1) आज यहाँ आखिरी रात है। फैसले की ये रात मान्या के दिल पर बहुत भारी है- अपनी कह और अजित की सुन सकने वाली आखिरी रात! 'आज का दिन मेरी उम्मीद का है आखिरी दिन', नहीं, 'आज की रात मेरी उम्मीद की है आखिरी रात'...कल सुबह तो इस ट्रेनिंग हॉस्टल में दूर- दूर से इकट्ठा हुए सारे पंछी अपने- अपने बसेरे उड़, बिछुड़ जाएँगे! इसीलिए तो कह रही है जिंदगी- 'तुरंत फैसला लो या उमर भर पछताओ।' वक्त की उफनती आई लहर जब ऐन आँखों के सामने एक चमकदार, कीमती मोती डाल