इस दश्‍त में एक शहर था - 9

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इस दश्‍त में एक शहर था अमिताभ मिश्र (9) फिलहाल हम उन भाइयों की बात करें जिन्होंने बेतरतीबी से जिन्दगी जी उनमें से एक यानि गणपति बाबू का ब्यौरा हम ले चुके हैं। बाद को वे घर से दूर ही हो गए या कर दिए गए और बेटों का जीवन ठीक ही रहा। बेटियों की शादियां जो कि तीन थीं की भले घरों में हो गई और वे भी सुकून से जी रहीं हैं। अब हम आते हैं गणेशीलाल यानि छप्पू यानि नंबर तीन जिनकी पत्नी घर की सबसे जानकार। रसमो रिवाज और पंचायत में माहिर। जब सब इकठ्ठा होते